सोने-चांदी की चमक लौट आई, निवेशकों की बढ़ी दिलचस्पी
नई दिल्ली, 20 अक्टूबर – एक हफ्ते की तेज गिरावट के बाद सोना और चांदी की कीमतों में सोमवार को फिर से तेजी देखने को मिली। दिवाली और शादी के मौसम की मांग ने घरेलू बाजारों में नई ऊर्जा भर दी है। वहीं, वैश्विक स्तर पर भी अनिश्चितताओं और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों ने कीमती धातुओं को फिर से मजबूती दी है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दिसंबर डिलीवरी वाले सोना वायदा की कीमत ₹3,580 यानी 2.82% बढ़कर ₹1,30,588 प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई। वहीं, चांदी दिसंबर अनुबंध ₹1,571 यानी 1% बढ़कर ₹1,58,175 प्रति किलोग्राम के स्तर पर कारोबार कर रही है।
अंतरराष्ट्रीय संकेत बने सहायक
वैश्विक बाजारों में भी सोना-चांदी की कीमतों ने फिर से रफ्तार पकड़ी है। COMEX पर दिसंबर डिलीवरी का सोना $62.46 यानी 1.48% चढ़कर $4,275.76 प्रति औंस पर पहुंचा, जबकि चांदी 1.5% बढ़कर $50.85 प्रति औंस पर दर्ज की गई।
विश्लेषकों का कहना है कि पश्चिम एशिया में जारी युद्धविराम की नाजुक स्थिति, अमेरिकी सरकार के शटडाउन और फेडरल रिजर्व की संभावित ब्याज दर कटौती ने निवेशकों का ध्यान फिर से सोने की ओर मोड़ा है।
विशेषज्ञों की राय: अभी खरीदें या प्रतीक्षा करें?
Aspect Bullion & Refinery के सीईओ दर्शान देसाई के अनुसार, “पिछले सप्ताह की तेज गिरावट के बाद निचले स्तरों पर खरीदारों की दिलचस्पी बढ़ी है।” उन्होंने कहा कि अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग और व्यापार तनावों में थोड़ी राहत जरूर मिली है, परंतु वैश्विक अस्थिरता अब भी जारी है, जिससे सोने को मजबूती मिल रही है।
LKP Securities के रिसर्च एनालिस्ट जतिन त्रिवेदी का कहना है कि “भारत में त्योहारों की मांग अब भी मजबूत है, जिससे कीमतों को सहारा मिल रहा है। हालांकि त्योहारों के बाद मुनाफावसूली देखने को मिल सकती है।” उन्होंने यह भी बताया कि इस सप्ताह अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) और कोर CPI डेटा पर बाजार की नजर रहेगी, जो फेड की अगली नीति दिशा तय करेगा।
दीर्घकालिक दृष्टिकोण: निवेश में अनुशासन जरूरी
विशेषज्ञों की सलाह है कि निवेशकों को इस समय बड़ी मात्रा में सोना नहीं खरीदना चाहिए। कीमतें फिलहाल ऊंचे स्तर पर हैं, इसलिए एकमुश्त निवेश की बजाय किस्तों में निवेश करना अधिक लाभदायक रहेगा।
सोने की कीमत ₹1.27 लाख से ₹1.31 लाख प्रति 10 ग्राम के बीच सीमित रह सकती है। दर्शान देसाई का कहना है कि “जब तक कीमत ₹1.27 लाख के ऊपर बनी रहती है, बाजार की संरचना सकारात्मक बनी रहेगी।”
चांदी की स्थिति और औद्योगिक मांग
चांदी में भी तेज़ी देखी जा रही है, जो मुख्यतः औद्योगिक मांग और ग्रीन एनर्जी सेक्टर की जरूरतों से जुड़ी है। विश्लेषकों के अनुसार, आने वाले दो तिमाहियों में चांदी की कीमतें और ऊपर जा सकती हैं क्योंकि औद्योगिक उत्पादन में सुधार के संकेत दिख रहे हैं।
केंद्रीय बैंकों की भूमिका और भारतीय संदर्भ
इस साल सोने की बढ़त केवल त्योहारी मांग का परिणाम नहीं है, बल्कि वैश्विक केंद्रीय बैंकों की लगातार खरीदारी ने भी इसकी मजबूती में योगदान दिया है। पिछले 18 महीनों से केंद्रीय बैंक डॉलर परिसंपत्तियों से हटकर सोने की ओर रुख कर रहे हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भी हाल के महीनों में अपने सोने के भंडार में वृद्धि की है। वहीं, घरेलू निवेशक अब पारंपरिक गहनों की बजाय सोवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGBs) और डिजिटल गोल्ड में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं।
दीवाली और शादी सीजन से बढ़ी मांग
अक्टूबर से दिसंबर तक का समय परंपरागत रूप से सोने की खरीद का सबसे व्यस्त मौसम होता है। दीवाली, धनतेरस और शादी के सीजन में ज्वैलर्स और उपभोक्ताओं दोनों की ओर से बड़ी मांग देखने को मिलती है।
Emkay Global की विश्लेषक रिया सिंह के अनुसार, “इस साल सोना अब तक 65% से अधिक बढ़ चुका है, जिसे केंद्रीय बैंकों की खरीद, ईटीएफ में निवेश और डॉलर की कमजोरी ने सहारा दिया है।”
निष्कर्ष: सोना अभी भी सुरक्षित निवेश
सोना-चांदी की मौजूदा तेजी केवल त्योहारों की अस्थायी उछाल नहीं है। वैश्विक नीतिगत बदलाव, आर्थिक अस्थिरता और निवेशकों की सतर्कता ने सोने को दीर्घकालिक निवेश का सबसे सुरक्षित विकल्प बना दिया है।
विशेषज्ञों की सलाह है – जल्दबाजी न करें, बल्कि अनुशासित तरीके से निवेश करें। कीमतों में गिरावट आने पर धीरे-धीरे खरीद बढ़ाएं और इसे दीर्घकालिक सुरक्षा कवच के रूप में अपनाएं।
सोना समय के साथ हमेशा मूल्यवान साबित हुआ है – जो धैर्य रखता है, वही इसका सच्चा लाभार्थी बनता है।
Disclaimer:
इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य जानकारियों और बाजार की प्रवृत्तियों पर आधारित है। यह किसी भी प्रकार की निवेश सलाह (Investment Advice) नहीं है। सोना–चाँदी या अन्य कीमती धातुओं में निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार (Financial Advisor) से परामर्श अवश्य करें। लेख में उल्लिखित दरें समय और स्थान के अनुसार बदल सकती हैं। लेखक या प्रकाशक निवेश में हुए किसी लाभ या हानि के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।