टाटा कैपिटल आईपीओ: भारत के तीसरे सबसे बड़े एनबीएफसी की ऐतिहासिक एंट्री
भारत की वित्तीय सेवा क्षेत्र में एक और बड़ी हलचल होने जा रही है। टाटा कैपिटल लिमिटेड, जो टाटा समूह की वित्तीय सेवाओं की प्रमुख इकाई है, अब ₹15,512 करोड़ के अपने इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के साथ बाज़ार में उतर रही है। यह इश्यू 6 अक्टूबर से खुलेगा और 8 अक्टूबर 2025 को बंद होगा। इसे इस वर्ष का सबसे बड़ा आईपीओ कहा जा रहा है।
टाटा कैपिटल की यात्रा: 2007 से अब तक
टाटा कैपिटल की शुरुआत वर्ष 2007 में एक सरल उद्देश्य के साथ हुई थी — आम उपभोक्ताओं, छोटे व्यापारियों और कॉरपोरेट संस्थाओं को वित्तीय सेवाएं प्रदान करना।
वर्षों के साथ कंपनी ने अपने कारोबार का विस्तार किया और अब यह केवल उपभोक्ता ऋण ही नहीं बल्कि वेल्थ मैनेजमेंट, कमर्शियल फाइनेंस और निवेश सलाह जैसी सेवाएं भी दे रही है।
आज टाटा कैपिटल भारत की तीसरी सबसे बड़ी विविधीकृत एनबीएफसी बन चुकी है, जिसका कुल ऋण पोर्टफोलियो ₹2.33 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है।
आईपीओ की संरचना और राशि का उपयोग
कंपनी का कुल इश्यू साइज ₹15,512 करोड़ का है, जिसमें से ₹8,666 करोड़ का हिस्सा ऑफ़र फॉर सेल (OFS) के रूप में होगा।
इस हिस्से में टाटा संस, जो कंपनी में 88.6% हिस्सेदारी रखती है, और इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन (IFC) अपने कुछ शेयर बेचेंगे।
आईपीओ के बाद प्रमोटर की हिस्सेदारी 95.6% से घटकर लगभग 85.5% रह जाएगी।
वहीं ₹6,846 करोड़ का हिस्सा फ्रेश इश्यू होगा, जिसका उपयोग कंपनी अपने टियर-I कैपिटल बेस को मजबूत करने में करेगी।
मजबूत वित्तीय स्थिति लेकिन घटता मार्जिन
वित्त वर्ष 2024-25 में टाटा कैपिटल ने ₹28,300 करोड़ का राजस्व अर्जित किया, जो पिछले दो वर्षों में 44% CAGR की दर से बढ़ा है।
कंपनी का नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) फिलहाल 5.2% है, जो बाजाज फाइनेंस या श्रीराम फाइनेंस जैसी कंपनियों के औसत 7.6–10% से कम है।
फिर भी, कंपनी का मुनाफा ₹3,655 करोड़ (FY25) तक पहुंच गया है, जो पिछले तीन वर्षों में लगभग 11% CAGR से बढ़ा है।
पूंजी दक्षता और रिटर्न संकेतक
निवेशकों के लिए ROE (रिटर्न ऑन इक्विटी) और ROA (रिटर्न ऑन एसेट्स) जैसे अनुपात महत्वपूर्ण होते हैं।
टाटा कैपिटल का ROE 12.6% और ROA 1.8% है, जो उद्योग औसत 16% और 3.2% से कुछ कम है।
हालांकि कंपनी का ग्रॉस स्टेज-3 लोन रेशियो 1.5–2% के बीच है, जो कि औसत उद्योग स्तर 2.6% से बेहतर प्रदर्शन दर्शाता है।
बढ़ता जोखिम: बिना गिरवी ऋण और कानूनी मामले
कंपनी की ऋण पुस्तिका में लगभग 20% से अधिक हिस्सा अनसिक्योर्ड लोन यानी बिना किसी संपार्श्विक के ऋणों का है।
यह एक जोखिमपूर्ण क्षेत्र माना जाता है क्योंकि डिफॉल्ट की स्थिति में हानि की संभावना अधिक रहती है।
इसके अलावा कंपनी पर 283 आपराधिक मुकदमे लंबित हैं, जो ऋण विवाद, वाहन जब्ती, या फर्जीवाड़े के मामलों से जुड़े हैं।
इनसे जुड़ी संभावित देनदारियाँ ₹765 करोड़ तक पहुंच चुकी हैं, जो कंपनी के औसत मुनाफे के 5% की सीमा से अधिक हैं।
मूल्यांकन और निवेशकों की चुनौती
आईपीओ के ऊपरी मूल्य बैंड ₹326 प्रति शेयर पर कंपनी का मूल्यांकन 33x अर्निंग्स और 4.2x बुक वैल्यू के आधार पर किया गया है।
यह अनुपात अपने समकक्षों बजाज फाइनेंस (27.2x P/E) और श्रीराम फाइनेंस (3.6x P/B) की तुलना में अधिक है, यानी शेयर थोड़ा महंगा प्रतीत होता है।
वर्तमान में बाज़ार पहले से ही कई बड़े आईपीओ से भरा हुआ है।
पिछले वर्ष NTPC ग्रीन एनर्जी और HDB फाइनेंशियल जैसे इश्यूज़ ने शुरुआती दिनों में बढ़त दिखाई, लेकिन बाद में कीमतें लगभग स्थिर हो गईं।
ऐसे माहौल में टाटा कैपिटल के लिए निवेशकों का भरोसा आकर्षित करना चुनौतीपूर्ण होगा।
“टाटा” नाम पर भरोसा या वास्तविक मूल्य?
निवेश विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशक इस इश्यू में भाग लेने के लिए अधिकतर “टाटा” ब्रांड की साख पर भरोसा करेंगे।
हालांकि कंपनी की बुनियादी स्थिति मजबूत है, लेकिन उसके मूल्यांकन और मुनाफे की वृद्धि दर के बीच का अंतर निवेशकों को सोचने पर मजबूर कर सकता है।
टाटा कैपिटल आईपीओ भारतीय वित्तीय क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
कंपनी की साख, बेहतर एसेट क्वालिटी और टाटा समूह का भरोसा निश्चित रूप से इसे आकर्षक बनाते हैं,
लेकिन उच्च मूल्यांकन और कानूनी जोखिमों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
अंततः, यह इश्यू उन निवेशकों के लिए उपयुक्त हो सकता है जो दीर्घकालिक दृष्टिकोण से निवेश करना चाहते हैं, न कि केवल लिस्टिंग गेन के लिए।
Disclaimer:
यह लेख केवल जानकारी और शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। इसे किसी भी प्रकार की निवेश सलाह या सिफ़ारिश न समझें। शेयर बाज़ार में निवेश जोखिमपूर्ण है। कृपया निवेश से पहले सभी दस्तावेज़ ध्यान से पढ़ें और केवल SEBI-रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार से परामर्श करें। इस लेख के आधार पर लिए गए किसी भी निर्णय या हानि की ज़िम्मेदारी लेखक/प्रकाशक की नहीं होगी।