नागपुर में एक नया अध्याय शुरू हुआ है जब एयर मार्शल यल्ला उमेश ने भारतीय वायु सेना के रखरखाव कमान की कमान संभाली। 1 दिसंबर 2025 को उन्होंने 39वें एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ के रूप में यह जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली। यह नियुक्ति भारतीय वायु सेना के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है क्योंकि रखरखाव कमान देश की हवाई ताकत को चुस्त और दुरुस्त रखने में अहम भूमिका निभाता है।
एयर मार्शल यल्ला उमेश का सफर
एयर मार्शल यल्ला उमेश की यात्रा एक साधारण अधिकारी से शुरू होकर इस बड़े पद तक पहुंची है। उन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग (मैकेनिकल) ब्रांच में कमीशन हासिल किया और उसके बाद से लगातार अपनी मेहनत और लगन से सफलता की सीढ़ियां चढ़ते रहे। उन्होंने भारतीय वायु सेना के विभिन्न विमानों जैसे लड़ाकू विमान, परिवहन विमान और विशेष विमानों के रखरखाव में अलग-अलग इंजीनियरिंग और नेतृत्व की जिम्मेदारियां निभाई हैं।
शिक्षा और योग्यता
एयर मार्शल उमेश की शैक्षणिक योग्यता उनके समर्पण और ज्ञान की प्यास को दर्शाती है। वह कैट ए एयरोनॉटिकल इंजीनियर हैं। उनके पास प्रबंधन में डॉक्टरेट की डिग्री है, जो उनकी गहरी समझ और विशेषज्ञता को दिखाती है। इसके अलावा उन्होंने औद्योगिक इंजीनियरिंग और प्रबंधन में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है। उनकी बुनियादी शिक्षा मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री से शुरू हुई थी।
उन्होंने अपनी पढ़ाई कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट और नेशनल डिफेंस कॉलेज से भी की है। ये दोनों संस्थान देश के रक्षा क्षेत्र में काम करने वाले अधिकारियों के लिए बेहद प्रतिष्ठित माने जाते हैं। इन संस्थानों से शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने अपनी रणनीतिक सोच और प्रबंधन कौशल को और निखारा।
करियर की खास जिम्मेदारियां
अपने शानदार करियर के दौरान एयर मार्शल यल्ला उमेश ने कई अहम पदों पर काम किया है। हर पद पर उन्होंने अपनी क्षमता और कुशलता का परिचय दिया। उन्होंने एयर स्टाफ इंजीनियरिंग के सहायक प्रमुख के रूप में काम किया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने वायु सेना की तकनीकी जरूरतों को समझा और उन्हें पूरा करने के लिए योजनाएं बनाईं।
उन्होंने एयर कमोडोर इंजीनियरिंग (परिवहन) के पद पर भी सेवा दी। इस दौरान उन्होंने परिवहन विमानों के रखरखाव और उनकी तैयारी की जिम्मेदारी संभाली। एक गाइडेड वेपन बेस रिपेयर डिपो के एयर ऑफिसर कमांडिंग के रूप में उन्होंने हथियारों की मरम्मत और रखरखाव का काम देखा।
सबसे खास बात यह है कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित एयरफील्ड में चीफ इंजीनियरिंग ऑफिसर के रूप में काम किया। यह अनुभव उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा क्योंकि उन्होंने विश्व स्तर पर अपनी क्षमता को साबित किया।
रखरखाव कमान का पदभार संभालने से पहले उन्होंने एयर हेडक्वार्टर में डायरेक्टर जनरल (एयरक्राफ्ट) के पद पर काम किया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने विमानों के संचालन और रखरखाव से जुड़े सभी पहलुओं को संभाला।
सम्मान और पुरस्कार
एयर मार्शल यल्ला उमेश की सेवाओं को देखते हुए उन्हें विशेष सेवा पदक से सम्मानित किया गया है। यह पदक उन अधिकारियों को दिया जाता है जिन्होंने असाधारण सेवा की हो। यह सम्मान उनकी मेहनत, लगन और देश के प्रति समर्पण का प्रमाण है।
रखरखाव कमान का महत्व
भारतीय वायु सेना का रखरखाव कमान एक बेहद अहम हिस्सा है। यह कमान सभी विमानों, हेलीकॉप्टरों और अन्य हवाई साधनों की मरम्मत और रखरखाव का काम देखता है। इसकी मुख्य जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि हर विमान युद्ध के लिए तैयार रहे। बिना सही रखरखाव के कोई भी विमान अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर सकता।
नागपुर में स्थित यह कमान देश की रक्षा व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां से पूरे देश में फैली वायु सेना की इकाइयों को तकनीकी सहायता मिलती है। रखरखाव कमान के प्रमुख की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है क्योंकि उन्हें हजारों लोगों की टीम का नेतृत्व करना होता है और करोड़ों रुपए के उपकरणों की देखभाल करनी होती है।
एयर मार्शल विजय कुमार गर्ग की विरासत
एयर मार्शल यल्ला उमेश ने एयर मार्शल विजय कुमार गर्ग की जगह ली है। एयर मार्शल गर्ग ने 30 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्ति ली। उन्होंने देश और भारतीय वायु सेना को 39 साल तक अपनी शानदार और समर्पित सेवा दी। उनके नेतृत्व में रखरखाव कमान ने कई उपलब्धियां हासिल कीं। एयर मार्शल गर्ग की विरासत को आगे बढ़ाना एयर मार्शल उमेश के लिए एक चुनौती और जिम्मेदारी दोनों है।
आगे की चुनौतियां
एयर मार्शल यल्ला उमेश के सामने कई चुनौतियां हैं। आधुनिक युग में तकनीक तेजी से बदल रही है। नए विमान और नई प्रणालियां आ रही हैं। इन सबके रखरखाव के लिए नए तरीके और नई विशेषज्ञता की जरूरत है। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि रखरखाव कमान इन बदलावों के साथ कदम से कदम मिलाकर चले।
भारत की सुरक्षा चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। देश की सीमाओं पर लगातार तनाव बना रहता है। ऐसे में वायु सेना का हर विमान पूरी तरह तैयार रहना जरूरी है। एयर मार्शल उमेश को अपनी टीम के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी स्थिति में वायु सेना तैयार रहे।
हर काम देश के नाम
एयर मार्शल यल्ला उमेश का मूल मंत्र है ‘हर काम देश के नाम’। यह सिर्फ एक नारा नहीं है बल्कि उनके जीवन और काम का आधार है। उन्होंने अपने पूरे करियर में देश की सेवा को सबसे ऊपर रखा है। अपनी नई जिम्मेदारी में भी वह इसी सिद्धांत को लेकर आगे बढ़ेंगे।
उनकी नियुक्ति से यह उम्मीद की जा रही है कि रखरखाव कमान और मजबूत होगा। उनका अनुभव, शिक्षा और समर्पण इस दिशा में बेहद सहायक होगा। भारतीय वायु सेना के लिए यह एक नई शुरुआत है और पूरा देश एयर मार्शल यल्ला उमेश से बड़ी उम्मीदें रखता है।
एयर मार्शल यल्ला उमेश की नियुक्ति भारतीय वायु सेना के लिए एक सकारात्मक कदम है। उनका अनुभव और योग्यता रखरखाव कमान को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद करेगी। उनके नेतृत्व में वायु सेना और मजबूत होगी और देश की रक्षा में अपनी भूमिका और बेहतर तरीके से निभाएगी। हर काम देश के नाम के मंत्र के साथ वह अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे और देश को गौरवान्वित करेंगे।