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Cyclone Montha News: साइक्लोन मोंथा से पहले गांवों में दहशत — शादियां टलीं, मछुआरों ने छोड़ा समुद्र

Cyclone Montha Impact: तूफान से पहले गांवों में डर का माहौल, मछुआरों ने छोड़ा समुद्र और कई शादियां टलीं
Cyclone Montha Impact: तूफान से पहले गांवों में डर का माहौल, मछुआरों ने छोड़ा समुद्र और कई शादियां टलीं
अक्टूबर 27, 2025

आंध्र प्रदेश / ओडिशा।
साइक्लोन ‘मोंथा’ के करीब आने से पहले तटीय इलाकों में दहशत का माहौल है। बंगाल की खाड़ी से उठ रहा यह तूफान जैसे-जैसे तट के करीब पहुंच रहा है, गांवों की गलियों से लेकर मछुआरों की बस्तियों तक चिंता की लहर फैल गई है।

समुद्र तट खाली, मछुआरों ने छोड़ी नावें

विशाखापट्टनम, काकीनाडा और गोपालपुर जैसे समुद्र तटीय इलाकों में मछुआरे अपनी नावें किनारे पर खींच लाए हैं।
सरकार ने मछली पकड़ने पर रोक लगा दी है और सभी नौकाओं को बंदरगाहों पर लौटने के निर्देश दिए हैं।
काकीनाडा के मछुआरे रमेश नायडू ने बताया —

“हमने 15 साल में ऐसा तूफान नहीं देखा। मछलियां पकड़ने का समय अच्छा था, लेकिन अब जान की सुरक्षा ज़्यादा जरूरी है।”


गांवों में शादियां टलीं, बाजार सूने

आंध्र और ओडिशा के तटीय गांवों में कई शादियों और पारिवारिक आयोजनों को स्थगित कर दिया गया है।
पुरी जिले के एक गांव में शादी के मंडप को हटाकर राहत शिविर में बदल दिया गया।
लोगों का कहना है कि “छत उड़ने का डर है, इसलिए अभी कोई समारोह नहीं करेंगे।”
बाजारों में भी भीड़ कम है, दुकानों पर लोग सिर्फ जरूरी सामान — मोमबत्तियां, बैटरी, और सूखा राशन खरीदते दिख रहे हैं।


बिजली विभाग और NDRF की चौकसी

ओडिशा और आंध्र के बिजली विभागों ने एहतियातन ब्लैकआउट प्लान तैयार किया है, ताकि तूफान के दौरान तारों और ट्रांसफॉर्मरों से नुकसान न हो।
NDRF की 24 टीमें दोनों राज्यों में तैनात कर दी गई हैं।
गोपालपुर में एक अस्थायी राहत शिविर में लगभग 800 लोगों को शिफ्ट किया गया है।


महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष इंतजाम

तूफान प्रभावित इलाकों में जिला प्रशासन ने महिलाओं और बच्चों के लिए अलग कमरे, प्राथमिक चिकित्सा और दूध की व्यवस्था की है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अतिरिक्त नर्सें तैनात की गई हैं।
बालासोर जिले की राहत अधिकारी मीना पटनायक ने कहा —

“हम चाहते हैं कि कोई बच्चा या बुजुर्ग अकेले न रहे। सभी को सुरक्षित स्थानों पर लाया जा रहा है।”


मौसम विभाग की सख्त चेतावनी

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने चेताया है कि तूफान के दौरान हवा की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच सकती है।
तटवर्ती जिलों में पेड़ गिरने, बिजली कटने और सड़क अवरोध की संभावना जताई गई है।
IMD ने मछुआरों से कहा है कि वे अगले आदेश तक समुद्र में बिल्कुल न जाएं।


स्थानीय लोगों की चिंता

सूरजगढ़ गांव की गृहिणी राधिका दास कहती हैं —

“हर साल तूफान आता है, लेकिन इस बार डर कुछ ज़्यादा है। हमने छत पर ईंटें रख दी हैं ताकि टीन न उड़ जाए।”

कई गांवों में लोगों ने पहले ही पीने का पानी और दवा का स्टॉक जमा कर लिया है।
सरकारी ट्रैक्टरों से पेड़ काटने और जलभराव रोकने की तैयारी जारी है।


निष्कर्ष: तूफान से पहले सन्नाटा और प्रार्थना

तटीय इलाकों में इस समय एक अजीब सन्नाटा है — लोग घरों में बंद हैं, स्कूलों के गेट पर ताले लटके हैं, और हर गली से सिर्फ एक ही प्रार्थना सुनाई दे रही है —

“भगवान, इस बार जान-माल का नुकसान न हो।”

‘मोंथा’ अभी तट से टकराया नहीं है, लेकिन उसकी आहट ने ही पूरे तटीय भारत को सिहरन में डाल दिया है।


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Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com

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