MEA Press Meet: भारत ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर बृहस्पतिवार (14 अगस्त) को पाकिस्तान को चेतावनी दी कि उसे निशाना बनाकर किये जाने वाले किसी भी दुस्साहस के लिए पड़ोसी देश को ‘कष्टकारी परिणाम’ भुगतने होंगे तथा ‘युद्ध भड़काने’ और ‘नफरती’ बयानबाजी से दूर रहने की सलाह दी।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर द्वारा भारत को परमाणु धमकी दिये जाने तथा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ एवं रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ सहित कई पाकिस्तानी नेताओं के भारत के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर नयी दिल्ली की यह कड़ी प्रतिक्रिया आई है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ‘हमने पाकिस्तानी नेतृत्व की ओर से भारत के खिलाफ लगातार की जा रही लापरवाह, युद्धोन्मादी और घृणास्पद टिप्पणियों से जुड़ी खबरें देखी है।’
उन्होंने कहा, ‘अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए बार-बार भारत-विरोधी बयानबाजी करना पाकिस्तानी नेतृत्व का जगजाहिर तौर-तरीका है।’
जायसवाल ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर के परोक्ष संदर्भ में कहा, ‘पाकिस्तान को आगाह किया जाता है कि वह अपनी बयानबाजी में संयम रखे, क्योंकि किसी भी दुस्साहस के कष्टकारी परिणाम होंगे, जैसा कि हाल ही में प्रदर्शित किया गया है।’
पिछले हफ्ते फ्लोरिडा के टैम्पा में पाकिस्तानी प्रवासियों को संबोधित करते हुए, मुनीर ने कथित तौर पर कहा था कि अगर भविष्य में भारत के साथ युद्ध में उनके देश को अस्तित्व का खतरा पैदा होता है, तो पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल भारत और ‘आधी दुनिया’ को तबाह करने के लिए कर सकता है।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने यह भी धमकी दी थी कि अगर भारत के बांध पाकिस्तान की ओर जाने वाले जल प्रवाह में बाधा डालते हैं, तो इस्लामाबाद उन्हें नष्ट कर देगा।
मुनीर की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए, भारत ने सोमवार को कहा था कि उनकी धमकी उस देश में परमाणु कमान और नियंत्रण से जुड़ी गंभीर शंकाओं को पुष्ट करती है, जहां सेना की आतंकवादी समूहों के साथ ‘मिलीभगत’ है।
नयी दिल्ली ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि वह किसी भी परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा। पाकिस्तान सरकार भी पिछले कुछ दिनों से भारत के खिलाफ अपनी आक्रामकता बढ़ा रही है।
इस हफ्ते की शुरुआत में इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम में शरीफ ने कहा था कि अगर भारत अपनी ओर नदियों के पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने की कोशिश करेगा तो वह उसे ‘सबक’ सिखाएंगे।
जायसवाल ने इस सप्ताह हेग स्थित मध्यस्थता न्यायालय द्वारा दोनों देशों की सीमा के आर-पार बहने वाली नदियों पर दिए गए फैसले को भी खारिज कर दिया।
इस फैसले में, मध्यस्थता न्यायालय ने कहा है कि भारत को सिंधु जल संधि के तहत पश्चिमी नदियों के जल को पाकिस्तान के अप्रतिबंधित उपयोग के लिए बहने देना चाहिए।
जायसवाल ने कहा, ‘भारत ने तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय की वैधता, औचित्य या क्षमता को कभी स्वीकार नहीं किया है। इसलिए, इसके फैसले अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं, कानूनी मान्यता से रहित हैं और भारत के जल उपयोग के अधिकारों पर इनका कोई प्रभाव नहीं पड़ता।’
उन्होंने कहा, ‘भारत तथाकथित ‘निर्णय’ के बारे में पाकिस्तान के चुनिंदा और भ्रामक संदर्भों को भी स्पष्ट रूप से अस्वीकार करता है।’
प्रवक्ता ने भारत द्वारा 27 जून को जारी एक बयान का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि सिंधु जल संधि ‘निलंबित’ है।
उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार के एक संप्रभु निर्णय के तहत सिंधु जल संधि निलंबित है, जो पहलगाम आतंकी हमले सहित सीमा पार से होने वाले आतंकवाद को पाकिस्तान द्वारा लगातार प्रायोजित किये जाने के जवाब में लिया गया।’