नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम को अपनी ही धरती पर एक शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है। कोलकाता के ऐतिहासिक ईडन गार्डन्स स्टेडियम में खेले गए पहले टेस्ट मैच में दक्षिण अफ्रीका ने भारत को 30 रन से हराकर एक बड़ा उलटफेर कर दिया। यह हार इसलिए और भी शर्मनाक मानी जा रही है क्योंकि भारतीय टीम को मात्र 124 रन का लक्ष्य हासिल करना था, लेकिन वह केवल 93 रन पर सिमटकर रह गई।
रविवार को खेले गए इस मैच में भारतीय बल्लेबाजों ने दक्षिण अफ्रीकी स्पिनरों के सामने पूरी तरह से आत्मसमर्पण कर दिया। स्पिन के लिए मददगार पिच पर साइमन हार्मर, केशव महाराज और एडेन मार्करम ने भारतीय बल्लेबाजी क्रम को तितर-बितर कर दिया। यह हार भारतीय क्रिकेट के लिए एक बड़ा झटका है और 28 साल पुरानी दर्दनाक याद को ताजा कर गई है।
अट्ठाईस साल बाद दोहराई गई शर्मनाक गलती
यह मैच भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गया है। 1997 के बाद यह पहला मौका है जब भारतीय टीम टेस्ट मैच में 125 रन या उससे कम के लक्ष्य का पीछा करने में विफल रही है। इससे पहले 1997 में ब्रिजटाउन में वेस्टइंडीज के खिलाफ भारत ने 120 रन के आसान लक्ष्य का पीछा करते हुए केवल 81 रन पर समर्पण कर दिया था। उस मैच में भारत को 38 रन से हार का सामना करना पड़ा था।
कोलकाता में हुई यह हार उसी श्रेणी में आती है और भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक दर्दनाक अनुभव रही है। घरेलू परिस्थितियों में, जहां भारतीय टीम को अजेय माना जाता है, वहां इस तरह की हार ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह हार विशेष रूप से इसलिए चिंताजनक है क्योंकि भारत को स्पिन की पिच पर माहिर माना जाता है और घरेलू परिस्थितियों में उसका रिकॉर्ड शानदार रहा है।
भारत की सबसे शर्मनाक पराजयों की सूची
भारतीय क्रिकेट इतिहास में कई बार ऐसे मौके आए हैं जब टीम छोटे लक्ष्य का पीछा करने में असफल रही है। कोलकाता में हुई हार इस सूची में दूसरे स्थान पर आ गई है। 120 रन के लक्ष्य को खोने के बाद यह 124 रन का लक्ष्य है जिसे भारत हासिल नहीं कर पाया।
हाल के वर्षों में भारत ने कई बार छोटे लक्ष्यों का पीछा करते हुए शर्मनाक हार झेली है। 2024 में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में न्यूजीलैंड के खिलाफ 147 रन का लक्ष्य खोना एक और शर्मनाक उदाहरण था। इससे पहले 2015 में गॉल में श्रीलंका के खिलाफ 176 रन का लक्ष्य और 2025 में ही लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ 193 रन का लक्ष्य भी भारत ने गंवाया था।
ये सभी उदाहरण दर्शाते हैं कि भारतीय टीम को छोटे लक्ष्यों का पीछा करते समय एक मानसिक कमजोरी का सामना करना पड़ता है। जब लक्ष्य छोटा होता है तो बल्लेबाजों पर दबाव कम होना चाहिए, लेकिन भारतीय टीम के साथ ऐसा नहीं होता। कई बार खिलाड़ी अति आत्मविश्वास या अत्यधिक सावधानी का शिकार हो जाते हैं, जिसके कारण विकेट गंवाते हैं।
दक्षिण अफ्रीकी स्पिनरों का शानदार प्रदर्शन
कोलकाता में दक्षिण अफ्रीकी स्पिनरों ने अपनी क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया। साइमन हार्मर, केशव महाराज और एडेन मार्करम ने मिलकर भारतीय बल्लेबाजी को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। इन तीनों गेंदबाजों ने लाइन और लेंथ पर नियंत्रण रखते हुए भारतीय बल्लेबाजों को कोई राहत नहीं दी।
साइमन हार्मर ने अपनी आक्रामक स्पिन गेंदबाजी से भारतीय बल्लेबाजों को लगातार परेशान किया। उन्होंने पिच का पूरा फायदा उठाते हुए गेंद को तेजी से घुमाया और भारतीय बल्लेबाजों को गलतियां करने पर मजबूर किया। केशव महाराज ने भी अपनी अनुभवी गेंदबाजी से महत्वपूर्ण विकेट लिए और भारत की पारी को तोड़ने में अहम भूमिका निभाई।
सबसे आश्चर्यजनक प्रदर्शन एडेन मार्करम का रहा, जो मुख्य रूप से एक बल्लेबाज हैं और पार्ट टाइम स्पिनर के रूप में गेंदबाजी करते हैं। मार्करम ने भारतीय बल्लेबाजों के खिलाफ अपनी सटीक गेंदबाजी से महत्वपूर्ण सफलता हासिल की और टीम को जीत दिलाने में अहम योगदान दिया।
भारतीय बल्लेबाजों का निराशाजनक प्रदर्शन
भारतीय बल्लेबाजी क्रम का प्रदर्शन पूरी तरह से निराशाजनक रहा। शीर्ष क्रम से लेकर निचले क्रम तक किसी भी बल्लेबाज ने जिम्मेदारी नहीं ली और टीम को जीत की ओर ले जाने का प्रयास नहीं किया। छोटे लक्ष्य का पीछा करते समय भारतीय बल्लेबाजों ने अनावश्यक जोखिम लिए और गैर जिम्मेदाराना शॉट खेलकर विकेट गंवाए।
सबसे बड़ी निराशा अनुभवी बल्लेबाजों के प्रदर्शन से मिली। जिन खिलाड़ियों से उम्मीद की जाती है कि वे मुश्किल परिस्थितियों में टीम को संभालेंगे, उन्होंने ही सबसे ज्यादा निराश किया। युवा खिलाड़ियों पर भी दबाव में खेलने की क्षमता के सवाल उठे हैं। पूरी टीम स्पिन की चुनौती का सामना करने में असफल रही और दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों के सामने बेबस नजर आई।
गौतम गंभीर का पिच पर बचाव
हार के बाद भारतीय हेड कोच गौतम गंभीर ने मीडिया से बातचीत में ईडन गार्डन्स की पिच का बचाव किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि पिच खेलने योग्य थी और जैसी पिच की उन्होंने मांग की थी, वैसी ही तैयार करके दी गई थी। गंभीर ने क्यूरेटर सुजन मुखर्जी के प्रयासों की सराहना की और कहा कि उन्होंने टीम की आवश्यकताओं को समझते हुए पिच तैयार की थी।
गंभीर ने कहा कि यह खेलने लायक नहीं होने वाली पिच नहीं थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि पिच ने खिलाड़ियों की मानसिक दृढ़ता का आकलन किया और जो बल्लेबाज अच्छा बचाव करने में सक्षम थे, वे रन बनाने में कामयाब हो सकते थे। हालांकि, भारतीय बल्लेबाज इस चुनौती का सामना करने में असफल रहे।
गंभीर का यह बयान विवादास्पद माना जा रहा है क्योंकि कई विशेषज्ञों का मानना है कि पिच अत्यधिक स्पिन के लिए मददगार थी और पहले दिन से ही गेंदबाजों को अत्यधिक सहायता प्रदान कर रही थी। हालांकि, गंभीर ने इस आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि यदि दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज रन बना सकते हैं तो भारतीय बल्लेबाज क्यों नहीं बना सकते।
आलोचनाओं का सामना कर रही टीम इंडिया
इस शर्मनाक हार के बाद टीम इंडिया को व्यापक आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। क्रिकेट विशेषज्ञों और पूर्व खिलाड़ियों ने टीम के प्रदर्शन पर सवाल उठाए हैं। कई लोगों ने कहा है कि घरेलू परिस्थितियों में इस तरह की हार स्वीकार्य नहीं है और टीम प्रबंधन को गंभीरता से सोचने की जरूरत है।
सोशल मीडिया पर भी क्रिकेट प्रेमियों ने अपनी निराशा व्यक्त की है। कई प्रशंसकों ने कहा है कि टीम को मानसिक मजबूती पर काम करने की जरूरत है और छोटे लक्ष्यों का पीछा करते समय अधिक धैर्य और अनुशासन दिखाना होगा। यह हार भारतीय क्रिकेट के लिए एक चेतावनी है कि घरेलू परिस्थितियों में भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती।
यह हार सीरीज में भारत को पीछे कर देती है और अब टीम को आगे के मैचों में वापसी करनी होगी। दक्षिण अफ्रीका की टीम आत्मविश्वास से भरी हुई है और भारत को अगले मैचों में और भी कठिन चुनौती का सामना करना पड़ेगा। टीम इंडिया को इस हार से सबक लेकर अपनी रणनीति में सुधार करना होगा और अपने बल्लेबाजों को मानसिक रूप से मजबूत बनाना होगा।