Vijay Hazare Trophy: 24 दिसंबर 2025 की तारीख भारतीय घरेलू क्रिकेट के इतिहास में लंबे समय तक याद रखी जाएगी। यह वह दिन था, जब विजय हजारे ट्रॉफी सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं रही, बल्कि रिकॉर्डों का ऐसा मंच बन गई, जहां हर कुछ मिनटों में इतिहास खुद को बदलता नजर आया। इस ऐतिहासिक दिन का सबसे दिलचस्प पहलू यह रहा कि चमकते हुए तीनों सितारे बिहार की मिट्टी से जुड़े थे। वैभव सूर्यवंशी, सकीबुल गनी और ईशान किशन—तीनों ने अपने-अपने अंदाज में ऐसा तूफान खड़ा किया, जिसने क्रिकेट प्रेमियों को हैरानी और गर्व, दोनों से भर दिया।
एक ही दिन में टूटा इतिहास
विजय हजारे ट्रॉफी के पहले दिन ही ऐसा लगा, मानो बल्लेबाजों ने गेंदबाजों के खिलाफ किसी अनकहे युद्ध का एलान कर दिया हो। सुबह से लेकर शाम तक स्कोरबोर्ड पर ऐसे आंकड़े दर्ज होते रहे, जिन्हें अब तक असंभव माना जाता था। खास बात यह रही कि यह इतिहास किसी एक मैदान या एक टीम तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अलग-अलग मुकाबलों में एक साथ रचा गया।
14 साल के वैभव ने बदली सोच
अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ बिहार की पारी की शुरुआत से ही संकेत मिल गया था कि कुछ खास होने वाला है। 14 वर्षीय वैभव सूर्यवंशी ने उम्र से कहीं ज्यादा परिपक्वता दिखाते हुए गेंदबाजों पर हमला बोला। मात्र 36 गेंदों में शतक जड़कर उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी और लिस्ट-ए क्रिकेट में सबसे तेज शतक लगाने वाले दूसरे भारतीय बनने का गौरव हासिल किया।
रिकॉर्ड भी टिक नहीं पाया, गनी ने मचा दिया तूफान
वैभव का रिकॉर्ड शायद लंबे समय तक चर्चा में रहता, लेकिन कप्तान सकीबुल गनी ने इसे एक घंटे के भीतर ही इतिहास बना दिया। गनी ने 32 गेंदों में शतक जड़कर लिस्ट-ए क्रिकेट में किसी भारतीय द्वारा लगाया गया सबसे तेज शतक अपने नाम कर लिया।
गनी की बल्लेबाजी में कप्तानी का आत्मविश्वास और जिम्मेदारी साफ झलक रही थी। 40 गेंदों पर नाबाद 128 रन, 10 चौके और 12 छक्के—यह पारी सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं थी, बल्कि टीम को रिकॉर्ड स्कोर तक पहुंचाने की निर्णायक कड़ी भी बनी।
574 रन: जब स्कोरबोर्ड भी हैरान रह गया
बिहार ने 50 ओवर में छह विकेट पर 574 रन बनाए और लिस्ट-ए क्रिकेट का सबसे बड़ा टीम स्कोर दर्ज किया। इससे पहले यह रिकॉर्ड तमिलनाडु के नाम था, जिसने 2022 में अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ 506 रन बनाए थे। संयोग देखिए कि दोनों बार सामने अरुणाचल की टीम ही थी।
इस पारी में आयुष लोहुरुका का 116 रन और पियूष सिंह के 77 रन भी अहम रहे। यह सामूहिक प्रदर्शन बताता है कि यह सिर्फ एक-दो खिलाड़ियों की चमक नहीं, बल्कि पूरी टीम की सोच में आया बदलाव है।
ईशान किशन: बिहार की मिट्टी, झारखंड की जर्सी
इसी दिन एक और मुकाबले में ईशान किशन ने भी इतिहास रच दिया। झारखंड और कर्नाटक के बीच खेले गए मैच में ईशान ने 33 गेंदों में शतक जड़कर लिस्ट-ए क्रिकेट में दूसरा सबसे तेज भारतीय शतक लगाया। 39 गेंदों पर 125 रन, 14 छक्के और सात चौके—यह पारी टी20 क्रिकेट की आक्रामकता को वनडे फॉर्मेट में ढालने का बेहतरीन उदाहरण थी।
हालांकि ईशान झारखंड से खेलते हैं, लेकिन उनकी जड़ें बिहार में हैं। यही वजह है कि इस ऐतिहासिक दिन को ‘बिहारियों के नाम’ कहा जा रहा है।
बदलता घरेलू क्रिकेट का चेहरा
यह दिन केवल रिकॉर्डों के लिए नहीं, बल्कि सोच के बदलाव के लिए भी याद किया जाएगा। घरेलू क्रिकेट अब सिर्फ धैर्य और तकनीक तक सीमित नहीं रह गया है। युवा खिलाड़ी बेखौफ होकर खेल रहे हैं और बड़े स्कोर बनाने से डर नहीं रहे।
इसका सीधा असर भारतीय क्रिकेट के भविष्य पर पड़ेगा। जब घरेलू स्तर पर खिलाड़ी 500 से ज्यादा के स्कोर और 30 गेंदों में शतक जैसी उपलब्धियां हासिल करेंगे, तो अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनका आत्मविश्वास भी कई गुना बढ़ेगा।
बिहार क्रिकेट के लिए नई सुबह
कभी संसाधनों की कमी और अवसरों की तलाश में जूझने वाला बिहार क्रिकेट अब अपनी पहचान खुद बना रहा है। वैभव और गनी जैसे खिलाड़ी यह साबित कर रहे हैं कि प्रतिभा किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती।
24 दिसंबर का दिन बिहार क्रिकेट के इतिहास में एक मील का पत्थर बन चुका है—एक ऐसा दिन, जिसने यह दिखा दिया कि आने वाले समय में भारतीय क्रिकेट को नई ऊर्जा यहीं से मिलने वाली है।