एआई का केंद्रीकरण वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा: एनपीसीआई चेयरमैन अजय चौधरी
मुंबई में आयोजित ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 के दौरान नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के चेयरमैन अजय कुमार चौधरी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते केंद्रीकरण पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कुछ ही कंपनियों के पास एआई इंफ्रास्ट्रक्चर का नियंत्रण होना न केवल तकनीकी असंतुलन पैदा कर रहा है बल्कि वित्तीय स्थिरता, आर्थिक संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बनता जा रहा है।
कुछ कंपनियों पर निर्भरता से बढ़ रहा है वैश्विक असंतुलन
चौधरी ने अपने भाषण में कहा,
“एक कंपनी दुनिया के लगभग 90% एडवांस प्रोसेसर बनाती है, तीन कंपनियां ग्लोबल क्लाउड कैपेसिटी नियंत्रित करती हैं और कुछ ही हाथों में फाउंडेशन मॉडल्स की ताकत है। यह स्थिति किसी भी देश के लिए वित्तीय जोखिम बढ़ा सकती है।”
उन्होंने यह भी कहा कि अगर एआई को बिना नियमन के अपनाया गया तो यह वित्तीय चक्रों को असंतुलित कर सकता है और मौजूदा सिस्टम को अस्थिर कर सकता है। चौधरी ने बेसल कमेटी, IMF और BIS जैसी संस्थाओं द्वारा जताई गई चिंताओं का हवाला देते हुए कहा कि “रेस्पॉन्सिबल एआई सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि ज़रूरत है।”
जिम्मेदार एआई और डेटा गवर्नेंस पर जोर
एनपीसीआई चेयरमैन ने उद्योग जगत से अपील की कि वह अपनी निर्भरता को विविध बनाएं, डेटा गवर्नेंस को मजबूत करें और ऐसी तकनीक विकसित करें जो वित्तीय स्थिरता को मजबूत करने के साथ-साथ समावेशी विकास को भी प्रोत्साहित करे।
उन्होंने कहा,
“एआई की असली परीक्षा यही होगी कि यह स्थिरता को कमजोर करने के बजाय मजबूत करे। अगर हमने इसे दृष्टि, अनुशासन और जिम्मेदारी के साथ अपनाया, तो यह विकास को और अधिक समावेशी बना सकता है।”
वैश्विक निवेश और भारत की स्थिति
चौधरी ने बताया कि एआई अब वित्तीय सेवाओं का मुख्य हिस्सा बन चुका है। बैंकिंग, इंश्योरेंस, कैपिटल मार्केट्स और पेमेंट्स सेक्टर में एआई में निवेश 2027 तक 100 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। वर्तमान में 78% वित्तीय संस्थान किसी न किसी रूप में एआई का उपयोग कर रहे हैं, जो 2023 के 55% से कहीं अधिक है।
उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक बैंकों की उत्पादकता में 200 से 340 अरब डॉलर तक का वार्षिक लाभ एआई और जनरेटिव टेक्नोलॉजी से संभव है।
भारत का उदाहरण — UPI ने बदली डिजिटल पेमेंट्स की तस्वीर
अजय चौधरी ने भारत के UPI सिस्टम को समावेशी नवाचार का उत्कृष्ट उदाहरण बताया। उन्होंने बताया कि UPI अब हर महीने 20 अरब से अधिक ट्रांजैक्शन प्रोसेस करता है।
एनपीसीआई की पहलें जैसे — UPI Lite, UPI 123Pay (फीचर फोन उपयोगकर्ताओं के लिए) और UPI for Her (महिला उद्यमियों के लिए) — इस बात का प्रमाण हैं कि भारत एआई की मदद से डिजिटल वित्तीय समावेशन को नई दिशा दे रहा है।
फेडरेटेड एआई मॉडल और नए नवाचार
एनपीसीआई फ्रॉड रोकथाम के लिए फेडरेटेड एआई मॉडल का पायलट चला रहा है, जिससे संवेदनशील डेटा साझा किए बिना जोखिमों की पहचान की जा सके। साथ ही, म्यूल अकाउंट डिटेक्शन के लिए रियल-टाइम सिस्टम विकसित किए जा रहे हैं ताकि पेमेंट्स की विश्वसनीयता बनी रहे।
एनपीसीआई इंटरनेशनल अब सॉवरेन और इंटरऑपरेबल पेमेंट सिस्टम्स के विकास और UPI व RuPay के वैश्विक विस्तार पर काम कर रहा है।
अंत में, चौधरी ने “भारत कनेक्ट” नामक नए प्लेटफॉर्म की घोषणा की जो इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग को एकीकृत कर व्यापारिक भुगतानों को मानकीकृत करेगा।
अजय चौधरी के इस बयान ने स्पष्ट किया कि अगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को जिम्मेदारी से नहीं अपनाया गया, तो यह आर्थिक व्यवस्था के लिए उतना ही बड़ा खतरा बन सकता है जितना अवसर। एआई का संतुलित, पारदर्शी और विविधीकरण आधारित उपयोग ही वित्तीय क्षेत्र को सुरक्षित और समावेशी बना सकता है।