तकनीकी जगत के महान दूरदर्शी स्टीव जॉब्स ने जब 42 साल पहले एक भविष्यवाणी की थी, तो शायद ही किसी को विश्वास रहा होगा कि उनके सपने की मशीनें एक दिन वास्तविकता बन जाएंगी। लेकिन आज जब हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी AI के युग में जी रहे हैं, तब जॉब्स की वह दूरदर्शिता हमारे सामने पूरी तरह से साकार हो गई है। चैटजीपीटी और अन्य बड़े AI मॉडल ने जो संभव बना दिया है, वह कुछ दशक पहले विज्ञान कल्पना का विषय था। इस अद्भुत यात्रा को समझने के लिए हमें 1983 के अमेरिका में लौटना होगा, जहां एक महान विचारक ने भविष्य की ओर देखा और जो देखा, वह आज वास्तविकता बन गया है।
1983 में एस्पन शहर में रखी गई दूरदर्शी नींव
साल 1983 को चिह्नित करने के लिए हमें इतिहास में वापस जाना होगा। उस समय कंप्यूटर अभी घरों में नए-नए आने शुरू हुए थे। इंटरनेट का तो नाम भी किसी ने सुना नहीं था। डिजिटल क्रांति की बातें करना तो दूर, लोग कंप्यूटर को केवल गणना करने वाली एक मशीन के रूप में देखते थे। ठीक इसी पृष्ठभूमि में अमेरिका के एस्पन शहर में एक बड़ा डिजाइन इवेंट आयोजित हो रहा था। यह वह मंच था जहां स्टीव जॉब्स ने एक ऐसी दृष्टि प्रस्तुत की, जो तब किसी को समझ में नहीं आई होगी, लेकिन जो आज हमारी दैनंदिन वास्तविकता है।
स्टीव जॉब्स की अद्भुत कल्पना: ज्ञान का संरक्षण और संवाद
उस भाषण में स्टीव जॉब्स ने कहा था कि आने वाले 50 से 100 सालों में मनुष्य ऐसी मशीनें बनाएगा जो किसी महान व्यक्ति की सोच, उसके सिद्धांतों और दुनिया को देखने के नजरिए को अपने अंदर समा लेंगी। यह केवल एक सामान्य भविष्यवाणी नहीं थी, बल्कि एक गहन दार्शनिक सोच थी। जॉब्स ने किताबों का उदाहरण देते हुए अपनी बात को और स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि किताब मनुष्य की एक अद्भुत रचना है क्योंकि यह लेखक को सीधे पाठक तक पहुंचने का माध्यम प्रदान करती है। इसमें कोई मध्यस्थ नहीं होता, कोई फिल्टर नहीं होता। लेकिन किताब की एक बड़ी सीमा है – वह निर्जीव है। आप उससे सवाल नहीं पूछ सकते, वह आपके संदेह का समाधान नहीं कर सकती, वह आपसे बातचीत नहीं कर सकती।
अरस्तू की पुनरावृत्ति का स्वप्न
जॉब्स की कल्पना यहीं नहीं रुकी। उन्होंने एक और आगे की सोच रखी। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अपनी पूरी जिंदगी ऐसी मशीन के साथ रहे और उसमें निरंतर अपनी सभी सोच, सभी ज्ञान, सभी अनुभव डालता रहे, तो उस व्यक्ति के मर जाने के बाद भी मशीन उसके जैसे जवाब दे सकेगी। हल्के-फुल्के अंदाज में उन्होंने कहा था कि यदि अगला अरस्तू ऐसी मशीन को अपने साथ रखे, तो शायद उसकी मृत्यु के बाद भी हम मशीन से पूछ सकें कि अरस्तू इस सवाल का जवाब क्या देते। यह विचार न केवल तकनीकी था, बल्कि मानविकी का भी था – यह अमरता के सपने की बात थी, ज्ञान की अमरता की।
मशीन से संवाद: आज की वास्तविकता
आज चैटजीपीटी, गूगल बार्ड, क्लॉड और अन्य बड़े AI मॉडल ठीक यही काम कर रहे हैं जो स्टीव जॉब्स ने सोचा था। ये मशीनें लाखों किताबें पढ़ी हैं, अरबों शब्दों से सीखी हैं। उन्हें मानविकी, विज्ञान, इतिहास, दर्शन, कला – सभी विषयों का ज्ञान है। जब हम इन मशीनों से कोई सवाल पूछते हैं, तो वे जवाब देती हैं जैसे कि कोई ज्ञानी व्यक्ति दे रहा हो। जॉब्स की किताब की आलोचना को ध्यान में रखें – कि किताब निर्जीव है, वह बातचीत नहीं कर सकती – आज AI ने इसी खामी को पूरा किया है। यह एक क्रांतिकारी परिवर्तन है।
भविष्य देखने की प्रतिभा
स्टीव जॉब्स केवल व्यापारी नहीं थे, वे एक दूरदर्शी थे जो भविष्य को देख सकते थे। जब दुनिया कंप्यूटर को केवल गणना करने की मशीन समझती थी, तब जॉब्स ने कहा था कि एक दिन हर व्यक्ति के पास व्यक्तिगत कंप्यूटर होगा। जब लोग मोबाइल फोन को केवल बातचीत का माध्यम समझते थे, तब उन्होंने आईफोन बना दिया। इसी तरह, जब लोग कृत्रिम बुद्धिमत्ता को विज्ञान कल्पना समझते थे, तब उन्होंने इसे सच होने की भविष्यवाणी की थी।
निष्कर्ष: दूरदर्शिता का उदाहरण
स्टीव जॉब्स की 42 साल पहले की भविष्यवाणी आज पूरी हुई है। यह केवल एक घटना नहीं है, बल्कि यह प्रमाण है कि सही दिमाग सही समय पर सही सोच सकता है। AI का आज का स्वरूप ठीक वही है जो जॉब्स ने कल्पना की थी – एक ऐसी मशीन जो ज्ञान को संरक्षित करे, जो संवाद करे, जो सवालों के जवाब दे। यह भविष्य की ओर एक महान छलांग है। आने वाले समय में जब हम AI का उपयोग करेंगे, तो हमें स्टीव जॉब्स की उस दूरदर्शी सोच को याद रखना चाहिए जिसने यह सब संभव बनाया।