सीजेआई गवई ने की सिफारिश — न्यायमूर्ति सूर्यकांत बनेंगे भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (पीटीआई):
भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने सोमवार को केंद्र सरकार को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति सूर्यकांत के नाम की सिफारिश अगला मुख्य न्यायाधीश (CJI) नियुक्त करने के लिए की है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, जो वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं, 24 नवंबर 2025 को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभालेंगे। मौजूदा सीजेआई गवई 23 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत का कार्यकाल और पृष्ठभूमि
स्रोतों के अनुसार, न्यायमूर्ति गवई ने औपचारिक रूप से कानून मंत्रालय को यह अनुशंसा भेज दी है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत का कार्यकाल लगभग 1.2 वर्ष का होगा, जो 9 फरवरी 2027 तक चलेगा।
वे हरियाणा के हिसार जिले में 10 फरवरी 1962 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे थे और 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की उल्लेखनीय न्यायिक उपलब्धियाँ
न्यायमूर्ति सूर्यकांत अपने दो दशक से अधिक लंबे न्यायिक करियर में कई ऐतिहासिक निर्णयों का हिस्सा रहे हैं —
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धारा 370 को निरस्त करने,
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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,
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लोकतंत्र और भ्रष्टाचार विरोधी मामलों,
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पर्यावरण संरक्षण, और
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लैंगिक समानता से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णयों में उनकी अहम भूमिका रही है।
उन्होंने औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून (Sedition Law) को निलंबित करने वाले फैसले में भाग लिया, जिसके तहत अदालत ने निर्देश दिया था कि सरकार की समीक्षा पूरी होने तक कोई नई FIR दर्ज न की जाए।
महिलाओं और पारदर्शिता के पक्षधर
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने न्यायिक प्रणाली में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए भी अहम योगदान दिया। उन्होंने बार एसोसिएशनों में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का निर्देश दिया था।
उन्होंने वन रैंक-वन पेंशन (OROP) योजना को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया और महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की याचिकाओं की सुनवाई की।
इसके अलावा, वे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़े ऐतिहासिक मामले में भी शामिल रहे, जिसमें 1967 के फैसले को पलटते हुए नया रास्ता खोला गया।
लोकतंत्र और पारदर्शिता के पैरोकार
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता को बढ़ावा देने वाले कई आदेश दिए।
उन्होंने बिहार में चुनाव आयोग से 65 लाख हटाए गए नामों की जानकारी सार्वजनिक करने को कहा था, जिससे मतदाता सूचियों की पारदर्शिता सुनिश्चित हुई।
इसके अलावा, वे पेगासस जासूसी मामले की सुनवाई करने वाली पीठ के सदस्य थे। उन्होंने कहा था कि “राज्य को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर असीमित छूट नहीं दी जा सकती।”
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक की जांच के लिए न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में समिति गठित करने का आदेश दिया था।
परंपरा और प्रक्रिया
भारत में सीजेआई की नियुक्ति “Memorandum of Procedure” के तहत होती है, जिसके अनुसार सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश को यह पद दिया जाता है, यदि वे इस दायित्व के लिए उपयुक्त हों।
कानून मंत्री, परंपरानुसार, मौजूदा सीजेआई से उनके उत्तराधिकारी का नाम सेवानिवृत्ति से एक माह पहले मांगते हैं।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत: संवेदनशीलता और सख्ती का संतुलन
न्यायमूर्ति सूर्यकांत को एक संवेदनशील, व्यावहारिक और सख्त न्यायाधीश के रूप में जाना जाता है, जिनके निर्णयों ने न केवल कानूनी व्यवस्था को दिशा दी, बल्कि समाज में न्याय की भावना को भी मजबूत किया।
उनकी नियुक्ति से न्यायपालिका में एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है — जहां संविधान की भावना, नागरिक अधिकारों और पारदर्शिता को सर्वोच्च प्राथमिकता मिलेगी।