Cough Syrup DEG Contamination: बच्चों के लिए खतरनाक कफ सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल
खतरनाक कफ सिरप की चौंकाने वाली रिपोर्ट
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में बच्चों की मौतों के बाद किए गए परीक्षण में कम से कम तीन कफ सिरपों में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की मात्रा अधिक पाई गई। यह यौगिक मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत विषाक्त है और बच्चों में तीव्र गुर्दे की चोट और फेल्योर का कारण बन सकता है।
DEG स्तर और प्रभावित सिरप
राज्य ड्रग नियामकों द्वारा किए गए परीक्षण में गुजरात स्थित Rednex Pharmaceutical का Respifresh सिरप 1.3% DEG के साथ पाया गया, जबकि अधिकतम अनुमति केवल 0.1% है। इसी तरह, Shape Pharma का Relife सिरप 0.6% DEG के साथ पाया गया। सबसे खतरनाक मामला तामिलनाडु स्थित Sresan Pharma का ColdRif था, जिसमें 48.6% DEG पाया गया।
DEG विषाक्तता के लक्षण
DEG विषाक्तता के लक्षणों में पेट दर्द, उल्टी, दस्त, पेशाब करने में कठिनाई, सिरदर्द और मानसिक स्थिति में बदलाव शामिल हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह तीव्र गुर्दे की चोट उत्पन्न कर सकता है, जो बच्चों के लिए घातक हो सकती है। मध्य प्रदेश में कम से कम 14 बच्चों की मौत हुई है, जबकि 9 अन्य उपचाराधीन हैं।
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DEG कैसे सिरप में आता है?
DEG सिरप में एक अनुमत विलायक पॉलीथीलीन ग्लाइकॉल के माध्यम से प्रवेश करता है। इस यौगिक का औद्योगिक उपयोग एंटीफ्रीज, हीट ट्रांसफर फ्लूइड और इमल्सीफायर के रूप में होता है। इसलिए, यह कच्चा माल औद्योगिक ग्रेड और फार्मास्यूटिकल ग्रेड में उपलब्ध है। औद्योगिक ग्रेड में DEG का स्तर उच्च हो सकता है, जबकि फार्मास्यूटिकल ग्रेड में इसे निर्धारित सीमा से कम रखना अनिवार्य है।
नियामक प्रक्रियाओं में खामियां
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2022 में गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौतों के बाद चेतावनी जारी की थी। भारत सरकार ने इसके बाद सभी निर्यातित सिरपों का परीक्षण केंद्रीय या राज्य ड्रग परीक्षण प्रयोगशालाओं में अनिवार्य कर दिया। विशेषज्ञों ने सवाल उठाया कि केवल निर्यात के लिए सिरप का परीक्षण क्यों किया जा रहा है, देश में हमारे बच्चों के लिए नियम अलग क्यों हैं?
वेब स्टोरी:
DEG की पिछली घटनाएँ
भारत में DEG से संबंधित पिछले मामले चिंताजनक हैं। 2020 में जम्मू-कश्मीर के रामनगर में हिमाचल प्रदेश की कंपनी द्वारा निर्मित सिरप से 17 बच्चों की मौत हुई थी। 1998 में गुरुग्राम में भी एक सिरप से 33 बच्चों की मौत हुई थी। इन घटनाओं ने अस्पतालों में तीव्र गुर्दे की विफलता के मामलों को जन्म दिया और स्वास्थ्य नियामकों के लिए चेतावनी संकेत बने।
निष्कर्ष
यह घटनाएँ स्पष्ट करती हैं कि सिरपों में DEG का स्तर बच्चों के लिए अत्यंत खतरनाक हो सकता है और इसके नियंत्रण में नियामक प्रक्रियाओं में सुधार आवश्यक है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी सिरप, चाहे वे निर्यात के लिए हों या देश में उपयोग के लिए, सख्त गुणवत्ता मानकों के अंतर्गत परीक्षण किए जाएँ।