देश भर में पिछले कुछ समय से डिजिटल अरेस्ट के नाम पर धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़े हैं। ठगों का यह नया तरीका आम लोगों को भारी नुकसान पहुंचा रहा है। इस गंभीर समस्या को देखते हुए अब सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को देश भर में हुए डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी के सभी मामलों की जांच करने का आदेश दिया है। अदालत ने साफ कहा कि इस मामले में बैंकों की भूमिका की भी गहरी जांच होनी चाहिए।
डिजिटल अरेस्ट क्या है और कैसे हो रही धोखाधड़ी
डिजिटल अरेस्ट एक नया शब्द है जो साइबर ठगों ने गढ़ा है। इसमें ठग खुद को पुलिस, सीबीआई, ईडी या अन्य सरकारी एजेंसियों का अधिकारी बताकर लोगों को फोन करते हैं। वे लोगों को डराते हैं कि उनके नाम पर कोई गंभीर मामला दर्ज है या उनके खिलाफ कोई जांच चल रही है। फिर वे कहते हैं कि व्यक्ति को डिजिटल अरेस्ट किया जा रहा है और इससे बचने के लिए तुरंत पैसे जमा करने होंगे।
ठग वीडियो कॉल पर नकली पुलिस वर्दी पहनकर या नकली दफ्तर दिखाकर लोगों को विश्वास दिलाते हैं। डर के मारे लोग अपनी मेहनत की कमाई इन ठगों के खाते में ट्रांसफर कर देते हैं। कई मामलों में तो लाखों और करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी हो चुकी है।
देश भर में फैली है यह समस्या
यह समस्या केवल एक शहर या राज्य तक सीमित नहीं है। देश के हर कोने से डिजिटल अरेस्ट के नाम पर धोखाधड़ी के मामले सामने आ रहे हैं। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, चेन्नई जैसे बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक में लोग इस धोखे का शिकार हो रहे हैं।
पढ़े-लिखे और समझदार लोग भी इस धोखे में फंस रहे हैं क्योंकि ठग बहुत ही चालाकी से काम करते हैं। वे असली दिखने वाले दस्तावेज दिखाते हैं, सरकारी दफ्तरों की नकल करते हैं और व्यक्ति को इतना डरा देते हैं कि वह सोच-समझ नहीं पाता।
सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह मामला बहुत गंभीरता से लिया है। अदालत ने कहा कि सीबीआई को इन सभी मामलों की गहरी जांच करनी होगी। सिर्फ शिकायत दर्ज करने से काम नहीं चलेगा बल्कि असली अपराधियों तक पहुंचना होगा।
खास बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को बैंकों की भूमिका की भी जांच करने को कहा है। अदालत का मानना है कि इतनी बड़ी रकम के लेनदेन में बैंकों की कुछ जिम्मेदारी बनती है। यदि बैंक सतर्क रहें और संदिग्ध लेनदेन को तुरंत रोकें तो बहुत से मामलों में धोखाधड़ी को रोका जा सकता है।
अदालत ने सीबीआई को पूरी आजादी दी है कि वह अपने तरीके से जांच करे और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।
बैंकों की जिम्मेदारी पर सवाल
कई मामलों में देखा गया है कि पीड़ित लोगों ने अपने खाते से बड़ी रकम एक साथ ट्रांसफर की लेकिन बैंकों ने कोई चेतावनी नहीं दी। कुछ मामलों में तो लोगों ने घंटों में कई-कई लेनदेन किए लेकिन बैंकिंग प्रणाली ने कोई अलर्ट नहीं दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चिंता जताई है। अदालत का कहना है कि बैंकों के पास आधुनिक तकनीक है और वे असामान्य लेनदेन को पकड़ सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति अचानक बड़ी रकम निकाल रहा है या ट्रांसफर कर रहा है तो बैंक को तुरंत उसे रोकना चाहिए या कम से कम पुष्टि करनी चाहिए।
आम लोगों के लिए सावधानी जरूरी
जब तक जांच पूरी होती है और अपराधी पकड़े जाते हैं, तब तक आम लोगों को खुद सावधान रहना बहुत जरूरी है। कुछ बातों का ध्यान रखें:
पहली बात, कोई भी सरकारी एजेंसी फोन या वीडियो कॉल पर किसी को गिरफ्तार नहीं करती। डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज कानून में नहीं है।
दूसरी बात, यदि कोई अधिकारी बनकर फोन करे तो घबराएं नहीं। फोन काट दें और नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर पूछताछ करें।
तीसरी बात, कभी भी डर के कारण जल्दबाजी में पैसे ट्रांसफर न करें। कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर पैसे मांगने का काम नहीं करती।
चौथी बात, यदि कोई वीडियो कॉल पर वर्दी में दिखे तो भी विश्वास न करें। आजकल नकली वर्दी और नकली दफ्तर बनाना बहुत आसान है।
सरकार और पुलिस की कोशिशें
सरकार और पुलिस विभाग भी इस समस्या से निपटने के लिए प्रयास कर रहे हैं। साइबर क्राइम सेल ने कई जागरूकता अभियान चलाए हैं। लोगों को बताया जा रहा है कि डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं होती।
कई राज्यों में विशेष टीमें बनाई गई हैं जो इन मामलों की जांच कर रही हैं। कुछ ठग पकड़े भी गए हैं लेकिन समस्या अभी भी बड़ी है क्योंकि ये गिरोह अक्सर दूसरे देशों से काम करते हैं।
आगे क्या होगा
अब जब सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच का आदेश दिया है तो उम्मीद है कि इन मामलों में तेजी आएगी। सीबीआई के पास देश भर में जांच करने की ताकत है और वह अलग-अलग राज्यों में हुए मामलों को एक साथ जोड़कर बड़े अपराधियों तक पहुंच सकती है।
बैंकों की जांच से यह भी पता चलेगा कि क्या उनकी सुरक्षा प्रणाली में कोई कमी है। यदि कमियां मिलती हैं तो उन्हें सुधारा जा सकेगा और भविष्य में ऐसे मामले कम होंगे।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आम लोगों के लिए राहत की बात है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि अब इन साइबर ठगों को सजा मिलेगी और उनका हौसला टूटेगा। साथ ही, यह फैसला दूसरे अपराधियों के लिए भी चेतावनी है कि कानून उनसे बहुत दूर नहीं है।