डिजिटल भारत की असली नायकों को अब मिल गई कानूनी पहचान
भारत की तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था में जो लोग सबसे ज्यादा काम कर रहे हैं, उनकी बात कम ही सुनी जाती है। मतलब उन हजारों लड़कों और लड़कियों की कहानी जो ऐप खोलते हैं और दिनभर काम करते हैं – डिलीवरी से शुरु करके राइड शेयरिंग तक। पिछले कुछ सालों में ये गिग वर्कर्स भारत की डिजिटल क्रांति की रीढ़ बन गए हैं। लेकिन इन्हें कानूनी सुरक्षा नहीं थी। उन्हें न तो पेंशन मिलती थी, न ही स्वास्थ्य बीमा। बीमारी हो या दुर्घटना, सब कुछ खुद संभालना पड़ता था।
लेकिन अब सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के तहत ये सब बदलने वाला है। यह एक बड़ा कदम है जो गिग वर्कर्स के भविष्य को पूरी तरह से बदल सकता है।
गिग अर्थव्यवस्था का सच जो सबको पता होना चाहिए
हमारे देश में लाखों लोग गिग काम पर निर्भर हैं। युवा, शहरी आबादी, डिजिटल सुविधाएं – सब कुछ इस नई अर्थव्यवस्था को बढ़ा रहा है। ई-कॉमर्स, लाइव सर्विसेस, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स – सब जगह गिग वर्कर्स काम कर रहे हैं। लेकिन ये सब कुछ परंपरागत नियोक्ता-कर्मचारी संबंध से परे है। इसलिए जो कानून मजदूरों के लिए बने थे, वो इन पर लागू नहीं होते थे।
गिग वर्कर्स को मिली औपचारिक कानूनी पहचान
पहली बार इस देश में गिग वर्कर्स को पूरी कानूनी पहचान दी जा रही है। मतलब ये लोग अब सरकार के रिकॉर्ड में हैं। पहले ये अनौपचारिक और असंगठित क्षेत्र का हिस्सा माने जाते थे। अब नहीं। सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत, गिग वर्कर्स, प्लेटफॉर्म वर्कर्स, एग्रीगेटर्स – सब कुछ परिभाषित किया गया है। कानून में लिखा है कि कौन गिग वर्कर है, कौन प्लेटफॉर्म है, कौन एग्रीगेटर है।
ये परिभाषाएं सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं हैं। इनके पीछे है असली सुरक्षा का ढांचा।
सामाजिक सुरक्षा लाभ जो बदल सकते हैं जीवन
अब गिग वर्कर्स को दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य लाभ, मातृत्व लाभ, पेंशन, जीवन बीमा – सब कुछ मिलेगा। क्रेच सुविधाएं भी शामिल हैं। ये सब लाभ एग्रीगेटर कंपनियों के योगदान से आएंगे जो अपने सालाना टर्नओवर का 1-2% या वर्कर्स को दिए गए भुगतान का 5% तक सामाजिक सुरक्षा कोष में डालेंगे।
असली बात यह है कि पहले ये कोई भी लाभ नहीं मिलते थे। अब कानूनी दायरे में हैं।
ई-श्रम पोर्टल: पहचान और पोर्टेबिलिटी का नया युग
सबसे अच्छी बात यह है कि हर गिग वर्कर को ई-श्रम पोर्टल पर एक यूनिक आधार-लिंक्ड आईडी मिलेगी। मतलब आप एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जा सकते हैं, लेकिन आपकी सामाजिक सुरक्षा के लाभ आपके साथ चलेंगे। ये पोर्टेबिलिटी है। आपकी पहचान आपकी है, किसी कंपनी की नहीं।
इसका मतलब यह भी है कि सरकार के पास एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनेगा। इससे नीति निर्माण सही होगा। कौशल विकास बेहतर होगा। वेलफेयर योजनाएं असल में उन तक पहुंचेंगी।
शिकायत निवारण की नई व्यवस्था
गिग वर्कर्स की शिकायतों को दूर करने के लिए सरकार सुविधा केंद्र, कॉल सेंटर और टोल-फ्री हेल्पलाइन बनाएगी। मतलब अब किसी का शोषण हो तो उसे कहीं शिकायत कर सकते हैं। पहले तो ये व्यवस्था थी ही नहीं।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी जीत
ये सुधार सिर्फ गिग वर्कर्स के लिए नहीं है। यह भारत की पूरी डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी जीत है। जब वर्कर्स को सुरक्षा मिलेगी तो वे बेहतर काम करेंगे। उनका उत्पादकता बढ़ेगा। और असली बात यह है कि ये एक न्यायसंगत अर्थव्यवस्था की नींव है।
अभी चुनौतियां हैं – सरकार को इन सब सुविधाओं को सही तरीके से लागू करना होगा। लेकिन दिशा बिल्कुल सही है।