रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध और भारत का विकल्प
अमेरिका ने रूस की प्रमुख तेल कंपनियों Rosneft और Lukoil पर नए प्रतिबंध लगाए, जिससे वैश्विक ऊर्जा बाजार में हलचल मची। भारत अपनी करीब 30% कच्ची तेल जरूरत रूस से पूरी करता है, इसलिए इस कदम का सीधा असर भारतीय रिफाइनर कंपनियों पर पड़ने वाला है।
अब भारतीय कंपनियां रूस से घटते आयात की भरपाई के लिए मिडिल ईस्ट, अमेरिका और लैटिन अमेरिका से तेल खरीद बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं।
अमेरिकी प्रतिबंधों की सीमाएँ और प्रभाव
22 अक्टूबर को लगाए गए नए प्रतिबंधों के तहत अमेरिकी कंपनियों और व्यक्तियों को Rosneft या Lukoil से कोई लेनदेन करने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा, गैर-अमेरिकी कंपनियों के लिए भी सख्त नियम हैं, और सभी मौजूदा लेनदेन 21 नवंबर तक समाप्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
विश्लेषक सुमित रितोलिया के अनुसार, “रूस से आने वाला कच्चा तेल फिलहाल 1.6 से 1.8 मिलियन बैरल प्रति दिन के स्तर पर रहेगा, लेकिन नवंबर के बाद इसमें गिरावट आएगी।”
रिलायंस और नायरा एनर्जी की स्थिति
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL), जो Rosneft के साथ 25 साल के करार के तहत रोजाना 5 लाख बैरल तेल खरीदती है, अब नए सप्लायर तलाश सकती है। नायरा एनर्जी, जो पहले से रूस पर निर्भर है, के पास फिलहाल सीमित विकल्प हैं।
हालांकि कुछ रिफाइनर थर्ड पार्टी के जरिए रूसी तेल खरीदना जारी रखेंगे, लेकिन सतर्कता बढ़ जाएगी।
आयात बिल और कीमतों पर प्रभाव
ICRA लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रशांत वशिष्ठ का कहना है कि रूस से कम तेल आने का मतलब होगा कि भारत का तेल आयात बिल करीब 2% तक बढ़ सकता है। मिडिल ईस्ट या अमेरिका से तेल खरीद संभव है, लेकिन ये बाजार आधारित कीमतों पर होगा, जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होने की संभावना है।
रूस की वैश्विक स्थिति और भारत की चुनौती
रूस दुनिया का सातवां सबसे बड़ा तेल निर्यातक है और उसके निर्यात में गिरावट की संभावना बढ़ गई है। भारत जैसे बड़े उपभोक्ताओं के लिए चुनौती यह है कि वे सस्ता तेल खोकर भी अपनी ऊर्जा जरूरतें पूरी करें।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय रिफाइनर तकनीकी रूप से सक्षम हैं कि वे विभिन्न ग्रेड का तेल प्रोसेस कर सकते हैं, इसलिए सप्लाई में बड़ी दिक्कत नहीं होगी। असली असर कीमतों और आयात बिल पर ही पड़ेगा।
रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारत को तेल की आपूर्ति के लिए विविध और महंगे विकल्पों की ओर बढ़ना पड़ेगा। इसका असर आम लोगों की जेब तक पहुंचेगा और आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल महंगा होने की संभावना जताई जा रही है।