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सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी के भूगोल वाले बयान पर पाक सेना का तीखा जवाब

Operation Sindoor — भारत के सेना प्रमुख के बयान पर पाकिस्तान की कड़ी प्रतिक्रिया और क्षेत्रीय तनाव की आशंका
Operation Sindoor — भारत के सेना प्रमुख के बयान पर पाकिस्तान की कड़ी प्रतिक्रिया और क्षेत्रीय तनाव की आशंका
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ऑपरेशन सिंदूर वाले बयानों के बाद बढ़ा तनाव: क्या नई रणभूमि बन रही है?

सेना प्रमुख के बयान का सार
राज्य के उच्चस्तर के सैन्य नेतृत्व द्वारा दिए गए हालिया बयानों ने क्षेत्रीय रूप से चिंता बढ़ा दी है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने राजस्थान के श्रीगंगानगर के अनूपगढ़ अग्रिम क्षेत्र में सैनिक तैयारियों का अवलोकन करते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान को इतिहास और भूगोल में बने रहना है तो उसे राज्य-प्रायोजित आतंकवाद रोकना होगा। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर 1.0 का जिक्र करते हुए कहा कि उस बार भारतीय सेना ने संयम दिखाया, पर यदि फिर वैसी ही स्थिति बनी तो भारत अब तथा अधिक सामरिक तैयारी के साथ कार्य करेगा और वह संयम संभवतः नहीं बरतेगा। उनके कथन में यह भी था कि अगली बार कार्रवाई ऐसी हो सकती है कि पाकिस्तान को सोचना पड़े कि उसे इतिहास और भूगोल में अपनी जगह बनानी है या नहीं।

पाकिस्तानी सेना की प्रतिक्रिया और चेतावनी

भारतीय सेना प्रमुख के उक्त बयानों के बाद पाकिस्तान की सेना ने तीखी टिप्पणी की। इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशन्स (आईएसपीआर) ने कहा कि भारतीय सुरक्षा संस्थान आक्रामकता के लिए बहाने ढूँढ रहे हैं और ऐसी “उत्तेजक और युद्धोन्मादी” बयानबाज़ी दक्षिण एशिया की शांति के लिए खतरा है। आईएसपीआर ने स्पष्ट किया कि यदि तनाव बढ़ा और परिस्थितियाँ ऐसी बनीं कि दोनों तरफ़ विनाशकारी परिणाम हों, तो पाकिस्तान भी बिना हिचक के जवाब देगा। बयान में यह भी कहा गया कि अगर भारत ने किसी तरह की “नक्शे से मिटाने” जैसी मंशा दिखाई तो दोनों को भारी नुकसान होगा।

ऑपरेशन सिंदूर का पृष्ठभूमि संदर्भ

ऑपरेशन सिंदूर का नाम हालिया उस सैन्य अभियान से जुड़ा है, जिसमें अप्रैल 2025 में कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान में चरमपंथी ठिकानों को निशाना बनाया था। उस कार्रवाई के बाद दोनों देशों के बीच सीमापार गतिरोध और कुछ रुखसत युद्धक झड़पें हुईं, और मई में संघर्ष विराम पर सहमति बनी। उस अभियानी की स्मृति और उसके प्रभावों का हवाला अब सैन्य और राजनयिक दोनों स्तरों पर दिया जा रहा है।

वायुसेना और रक्षा मंत्री के संकेत भी महत्त्वपूर्ण

इन बयानों के सन्दर्भ में वायुसेना प्रमुख ने भी ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान के हवाई और ठिकानों पर हुए कथित निशानों का ज़िक्र किया था और यह कहा कि कुछ विमान और कई बुनियादी ढांचागत लक्ष्य क्षतिग्रस्त हुए थे। रक्षा मंत्री द्वारा सर क्रीक क्षेत्र में पाकिस्तानी सैन्य विस्तार के दावे ने भी माहौल और संवेदनशील बना दिया है। इन सबने मिलकर एक बहु स्तरीय संवाद और प्रतिस्पर्धा का परिदृश्य रचा है — जहां सैनिक क्षमता के साथ-साथ भाषणों की तिव्रता ने भी तनाव बढ़ाया है।

क्षेत्रीय शांति और कूटनीति पर असर

दोनों पक्षों के शीर्ष सैन्य और राजनीतिक नेताओं के बयान दक्षिण एशिया की सुरक्षा-स्थिरता के लिए चुनौती पेश करते हैं। आईएसपीआर ने स्पष्ट किया कि इस तरह की बयानबाज़ी से दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि जब सैन्य नेतृत्व सार्वजनिक तौर पर कठोर भाषा का प्रयोग करते हैं, तो कूटनीति के लिए गुंजाइश कम हो जाती है और स्थिति नियंत्रण से बाहर होने की आशंका बढ़ जाती है। इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच अन्य चैनलों पर शांतिपूर्ण संवाद और विश्वास-निर्माण उपायों की आवश्यकता और भी अधिक मजबूरन हो जाती है।

विश्लेषण: शक्ति प्रदर्शन बनाम नियंत्रण की आवश्यकता

यह स्पष्ट है कि सैन्य नेतृत्व कभी-कभी अपनी तैयारियों और नीतियों का संकेत देने के लिए आक्रामक भाषा का प्रयोग करता है ताकि विरोधी को हतोत्साहित किया जा सके। परंतु इस रणनीति के साथ जोखिम भी जुड़ा होता है — बातचीत के विकल्प कम होना, किसी छोटी घटना का बड़ा सैन्य संघर्ष बन जाना, और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था तथा आम जनता को अभी अनभिज्ञ लागत उठानी पड़ सकती है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सैन्य ताकत दिखाने के साथ-साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय कूटनीति को सक्रिय रखना अनिवार्य होगा।

निष्कर्ष: चेतावनी और संयम दोनों की जरूरत

जनरल उपेंद्र द्विवेदी के बयान और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया ने स्पष्ट कर दिया है कि वर्तमान परिदृश्य संवेदनशील है। जहां एक तरफ़ राष्ट्र की सुरक्षा और आतंकवाद से मुकाबले के लिए सख्त रुख आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर किसी भी प्रकार के अनियोजित तनाव से बचने के लिए कम्युनिकेशन चैनलों को खुला रखना भी उतना ही ज़रूरी है। क्षेत्रीय शांति व स्थिरता के हित में दोनों देशों को कूटनीतिक संवाद और भरोसा निर्माण के उपायों पर ज़ोर देना होगा, ताकि किसी भी स्वीकार्य असामंजस्य का दायरा नियंत्रण से बाहर न हो।


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Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com