कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता राशिद अल्वी ने हाल ही में अपनी ही पार्टी के संगठनात्मक हालात पर चिंता जताई है। उन्होंने खुलकर कहा कि कांग्रेस का संगठन कमजोर हो गया है और इसके लिए सीधे तौर पर पार्टी की लीडरशिप जिम्मेदार है। अल्वी का यह बयान कांग्रेस के भीतरी मामलों पर एक नई बहस को जन्म दे रहा है। उनके मुताबिक चुनावी तैयारियों के मामले में कांग्रेस भाजपा से कहीं पीछे है और पार्टी की मेहनत जमीन पर कहीं दिखाई नहीं दे रही है।
राशिद अल्वी ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कांग्रेस की मौजूदा स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि पार्टी का हाल दयनीय हो चुका है। उन्होंने कहा कि भाजपा जमीनी स्तर पर लगातार काम कर रही है लेकिन कांग्रेस की ओर से ऐसी कोई मेहनत देखने को नहीं मिल रही है। उनका कहना है कि चुनावी तैयारी और जमीनी काम के मामले में कांग्रेस बहुत पीछे रह गई है। यही वजह है कि चुनावों में लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है।
संगठन की स्थिति दयनीय, लीडरशिप जिम्मेदार
राशिद अल्वी ने साफ शब्दों में कहा कि कांग्रेस संगठन की जो स्थिति आज है, उसके लिए पार्टी की लीडरशिप पूरी तरह से जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को किनारे कर दिया गया है। इन सीनियर लीडरों को महसूस होता है कि उन्हें जिम्मेदारी नहीं दी जा रही है जबकि वे पार्टी को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। अल्वी ने कहा कि आज सबसे जरूरी काम यह है कि जिन नेताओं को किनारे लगाया गया है, उनकी नाराजगी को दूर किया जाए और उन्हें मुख्यधारा में वापस लाया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के कई वरिष्ठ नेता हाशिये पर चले गए हैं और इस स्थिति के लिए भी पार्टी की लीडरशिप ही जिम्मेदार है। संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने के लिए इन अनुभवी नेताओं की भागीदारी बेहद जरूरी है।
राहुल गांधी से मिलना भी मुश्किल
राशिद अल्वी ने कांग्रेस हाईकमान की कार्यशैली पर भी तीखा सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आज राहुल गांधी से मुलाकात करना पार्टी के नेताओं के लिए भी आसान नहीं रह गया है। जबकि पुराने समय में इंदिरा गांधी से आसानी से मुलाकात हो जाती थी। अल्वी ने कहा कि इंदिरा गांधी के समय में पार्टी के कार्यकर्ता और नेता उनसे सीधे संपर्क कर पाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के मुखिया मल्लिकार्जुन खरगे हैं न कि राहुल गांधी, इसलिए पार्टी की सारी जिम्मेदारी खरगे पर है। उन्हें पार्टी की समस्याओं को जल्द से जल्द सुलझाना चाहिए।
प्रियंका गांधी को मिले पार्टी की बागडोर
राशिद अल्वी ने एक बड़ा सुझाव देते हुए कहा कि प्रियंका गांधी को कांग्रेस पार्टी की बागडोर संभालनी चाहिए। उनका मानना है कि प्रियंका गांधी में इंदिरा गांधी की छवि दिखाई देती है। अल्वी ने कहा कि प्रियंका गांधी के पास नेतृत्व क्षमता है और वे पार्टी को नई दिशा दे सकती हैं। उन्होंने कहा कि प्रियंका में वह जुझारूपन है जो कांग्रेस को इस मुश्किल दौर से निकालने के लिए जरूरी है।
यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता ने प्रियंका गांधी को पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी देने की बात कही हो। पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता मानते हैं कि प्रियंका गांधी की सक्रिय भागीदारी से पार्टी को नई ऊर्जा मिल सकती है।
कर्नाटक की स्थिति चिंताजनक
राशिद अल्वी ने कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही रस्साकशी पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में जो हालात बन रहे हैं, वे चिंताजनक हैं। कर्नाटक में डीके शिवकुमार के समर्थकों का कहना है कि सरकार गठन के समय ढाई-ढाई साल के लिए करार हुआ था और अब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पद छोड़ देना चाहिए।
अल्वी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे हैं और उन्हें इस मसले को जल्दी से जल्दी हल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में अगर आंतरिक कलह जारी रही तो इससे पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है।
वसुंधरा राजे का उदाहरण
राशिद अल्वी ने भाजपा नेता और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का उदाहरण देते हुए कहा कि हर राजनीतिक दल में उतार-चढ़ाव आता है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में वसुंधरा राजे के साथ क्या हुआ, यह सबको पता है। जब किसी नेता को किनारे लगाया जाता है तो पार्टी को नुकसान होता है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वरिष्ठ नेताओं को किनारे न किया जाए। पार्टी को मजबूत करने के लिए सभी नेताओं की भागीदारी जरूरी है। अल्वी ने कहा कि अगर कांग्रेस को आगे बढ़ना है तो उसे अपने अनुभवी नेताओं का साथ लेना होगा।
पार्टी को चाहिए बदलाव
राशिद अल्वी के इस बयान ने कांग्रेस पार्टी के भीतर एक नई बहस को जन्म दिया है। कई नेता मानते हैं कि अल्वी ने जो कुछ भी कहा है, वह सही है। पार्टी को संगठनात्मक स्तर पर मजबूत बनाने की जरूरत है। चुनावी तैयारियों में तेजी लाने की जरूरत है और सबसे बड़ी बात यह है कि वरिष्ठ नेताओं को साथ लेकर चलने की जरूरत है।
कांग्रेस पार्टी के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण है। एक तरफ चुनावी मैदान में लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ता जा रहा है। ऐसे में राशिद अल्वी जैसे वरिष्ठ नेताओं की आवाज पर ध्यान देना बेहद जरूरी हो जाता है।