Samrat Chaudhary: जनता ने आधा जनादेश दे दिया है, अब एनडीए की सरकार फिर से बनेगी

बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि जनता ने एनडीए को आधा जनादेश दे दिया है और अब सरकार फिर से बनेगी। उन्होंने तेजस्वी यादव पर आरक्षण मुद्दे पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि महिला आरक्षण बिल को रोकने के लिए लालू प्रसाद यादव जिम्मेदार हैं।
नवम्बर 9, 2025

बिहार चुनाव में सम्राट चौधरी का तीखा बयान, कहा – “जनता ने आधा जनादेश पहले ही दे दिया”

एनडीए सरकार के फिर से लौटने का दावा

बिहार में जैसे-जैसे चुनावी सरगर्मी बढ़ रही है, नेताओं के बयान भी तेज़ होते जा रहे हैं। इस बीच बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने शनिवार को एक बयान देकर राजनीतिक माहौल में नई चर्चा छेड़ दी। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने एनडीए को आधा जनादेश पहले ही दे दिया है, और अब जनता का पूरा आशीर्वाद मिलने के बाद राज्य में एनडीए की सरकार एक बार फिर बनेगी।

सम्राट चौधरी ने कहा कि लोग विकास के मुद्दे पर एनडीए के साथ हैं। उन्होंने दावा किया कि एनडीए की सरकार ने जिस गति से काम किया है, वह जनता के विश्वास का प्रतीक है।

“जनता विकास चाहती है, न कि नारेबाजी”

अपने बयान में सम्राट चौधरी ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जो लोग 55 साल तक देश को लूटते रहे और बिहार में “चारा खाने वाले और अलकतरा पीने वाले” कहलाए, वे अब एनडीए पर बेबुनियाद आरोप लगाते हैं।

उन्होंने कहा कि बिहार की जनता अब समझदार है, उसे सिर्फ नारों से नहीं, विकास के असली काम से मतलब है। एनडीए सरकार ने सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो काम किया है, उसे जनता भलीभांति देख रही है।

तेजस्वी यादव पर पलटवार

सम्राट चौधरी ने तेजस्वी यादव पर भी करारा जवाब दिया। तेजस्वी यादव ने हाल ही में एनडीए पर आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा न करने का आरोप लगाया था। इस पर सम्राट चौधरी ने कहा,
“तेजस्वी यादव के माता-पिता ने आज तक एक भी आरक्षण दिया है क्या? इस देश में जब-जब आरक्षण की बात आई, भाजपा ने उसका समर्थन किया।”

उन्होंने कहा कि भाजपा ने ही स्वर्ण समाज को आरक्षण, मंडल कमीशन, और अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जबकि कांग्रेस ने हमेशा इसका विरोध किया।

“महिला आरक्षण बिल को लालू प्रसाद ने ही रोका”

सम्राट चौधरी ने कहा कि महिला आरक्षण बिल, जो अब जाकर लागू हुआ है, उसे रोकने के लिए लालू प्रसाद यादव जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि 30 साल तक बिहार और देश की महिलाओं को जो अधिकार नहीं मिल पाया, उसके लिए लालू प्रसाद पूरी तरह दोषी हैं।

उन्होंने कहा, “महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता भाजपा ने खोला है। लालू प्रसाद यादव ने संसद में महिला आरक्षण का विरोध किया था, यह बात पूरी देश की जनता जानती है।”

“एनडीए का संकल्प है – सबका साथ, सबका विकास”

अपने संबोधन के अंत में सम्राट चौधरी ने कहा कि एनडीए सरकार का लक्ष्य राजनीति नहीं, सेवा है। उन्होंने कहा कि बिहार में हर वर्ग, हर जाति और हर क्षेत्र के विकास के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि जनता के विश्वास और सहयोग से बिहार को आत्मनिर्भर और प्रगतिशील बनाया जाएगा। एनडीए सरकार विकास की रफ्तार को और तेज़ करेगी और युवाओं के लिए रोजगार तथा उद्योग के नए अवसर लाएगी।


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Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com



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Mohan Bhagwat RSS“हिंदू होना भारत के प्रति उत्तरदायित्व का प्रतीक है” – डॉ. मोहन भागवत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने शनिवार को बेंगलुरु में दो दिवसीय व्याख्यानमाला का शुभारंभ किया। इस व्याख्यान श्रृंखला का विषय था — “राष्ट्रीय जीवन में संघ की दृष्टि और भूमिका”। भागवत जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि “हिंदू होना केवल एक पहचान नहीं है, बल्कि यह भारत के प्रति जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व का प्रतीक है।” संघ को समझने के लिए तथ्य जरूरी, अफवाह नहीं अपने संबोधन की शुरुआत में डॉ. भागवत ने कहा कि पिछले एक दशक से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर तरह-तरह की बातें सामने आती रही हैं, परंतु इनमें से अधिकांश धारणाएँ अधूरी या अफवाहों पर आधारित हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा, “संघ को दूसरों की बातों से नहीं जाना जा सकता। जो लोग संघ को समझना चाहते हैं, उन्हें स्वयं अनुभव करना होगा। जब तक ऐसा नहीं होगा, तब तक भ्रम फैलते रहेंगे।” भागवत जी ने यह भी याद दिलाया कि 2018 में दिल्ली में इसी उद्देश्य से व्याख्यानमाला आयोजित की गई थी ताकि संघ के बारे में प्रामाणिक और तथ्यात्मक जानकारी समाज तक पहुँचे। समर्थन या विरोध का आधार तथ्य होना चाहिए आरएसएस प्रमुख ने अपने वक्तव्य में कहा कि किसी भी संगठन के प्रति समर्थन या विरोध भावनाओं पर नहीं, बल्कि तथ्यों पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा, “संघ को समझे बिना उसकी आलोचना या समर्थन करना उचित नहीं। जो लोग संघ को जानते हैं, वे जानते हैं कि इसका उद्देश्य केवल राष्ट्र सेवा है।” भागवत जी के अनुसार, संघ किसी राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, समाज और राष्ट्र की एकजुटता के लिए कार्यरत संस्था है। “हिंदू” शब्द का गहरा अर्थ डॉ. मोहन भागवत ने कहा, “जब हम स्वयं को हिंदू कहते हैं, तो यह केवल धर्म की परिभाषा नहीं, बल्कि हमारी जीवनशैली, हमारी संस्कृति और हमारे राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव है।” उन्होंने समझाया कि हिंदुत्व का अर्थ किसी विशेष पूजा-पद्धति से नहीं, बल्कि उस जीवनदृष्टि से है जो सबके कल्याण और समरसता की भावना रखती है। भागवत जी ने कहा, “हिंदू होना मतलब यह मानना कि हम सब एक ही मातृभूमि के संतान हैं। भारत की सेवा, समाज की रक्षा और संस्कृति का संरक्षण ही सच्चा राष्ट्रधर्म है।” समाज के प्रति उत्तरदायित्व का भाव अपने वक्तव्य में उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह समाज में समरसता और सहयोग की भावना बनाए रखे। उन्होंने कहा, “संघ किसी व्यक्ति या संगठन के विरोध में नहीं, बल्कि सकारात्मक राष्ट्र निर्माण में विश्वास रखता है। हमें एक-दूसरे को समझने और जोड़ने की दिशा में कार्य करना चाहिए।” भागवत जी ने समाज के सभी वर्गों से अपील की कि वे परस्पर मतभेदों को छोड़कर देश के विकास के लिए एकजुट हों। उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा उसकी विविधता में बसती है, और यही विविधता राष्ट्र की शक्ति है। राष्ट्र निर्माण में संघ की भूमिका डॉ. भागवत ने बताया कि संघ का उद्देश्य किसी राजनीतिक सत्ता का केंद्र बनना नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग में राष्ट्रीय चेतना का विकास करना है। उन्होंने कहा, “संघ का काम व्यक्ति निर्माण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण करना है। जब व्यक्ति अपने कर्तव्य को समझेगा, तभी समाज और राष्ट्र सशक्त बनेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि आज भारत विश्व में एक नई भूमिका निभाने जा रहा है, और इस परिवर्तन के केंद्र में भारतीय संस्कृति की वही प्राचीन दृष्टि है — “वसुधैव कुटुंबकम्।” Short Summary (50 Words): बेंगलुरु में आयोजित व्याख्यानमाला में आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू होना केवल पहचान नहीं, बल्कि भारत के प्रति जिम्मेदारी का भाव है। उन्होंने संघ को समझने के लिए अफवाहों से नहीं, बल्कि तथ्यों से जुड़ने की अपील की और राष्ट्र निर्माण में एकता पर बल दिया।: “हिंदू होना भारत के प्रति उत्तरदायित्व का प्रतीक है” – डॉ. मोहन भागवत