गोवर्धन पूजा 2025: श्रीकृष्ण भक्ति में डूबेगा देश
नई दिल्ली। दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाने वाला गोवर्धन पूजा पर्व भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और अहंकार पर भक्ति की विजय का प्रतीक माना जाता है। यह दिन न केवल अन्नकूट महोत्सव के रूप में प्रसिद्ध है, बल्कि यह प्रकृति, विनम्रता और भक्ति के महत्व को भी उजागर करता है। इस वर्ष गोवर्धन पूजा 2025, 22 अक्टूबर (बुधवार) को पूरे देश में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जाएगी।
गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब इंद्रदेव ने घमंडवश गोकुलवासियों पर मूसलाधार वर्षा की, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी को आश्रय दिया। इस घटना ने मनुष्य को यह सिखाया कि अहंकार से बड़ी शक्ति सच्ची भक्ति और करुणा में होती है। इसलिए भक्त इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं और श्रीकृष्ण की आराधना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
अन्नकूट महोत्सव और पूजा विधि
इस दिन अन्नकूट के रूप में भगवान को 56 प्रकार के भोग (छप्पन भोग) अर्पित किए जाते हैं। घरों और मंदिरों में गोवर्धन पर्वत का प्रतीक रूप बनाकर गाय के गोबर से सजाया जाता है। भक्त दीप जलाकर, माखन-मिश्री, फल, मिठाइयां और अनाज अर्पित करते हैं। यह दिन प्रकृति और गोमाता के सम्मान का भी प्रतीक है।
गोवर्धन पूजा के सुंदर संदेश (Wishes & Messages)
“प्रेम से जो ले कृष्ण का नाम, पूरे होंगे सारे अधूरे काम।
आज काम न करना कोई दूजा, आज करनी है गोवर्धन पूजा।”
“घमंड तोड़ इंद्र का, प्रकृति का महत्व बताया,
ऊंगली पर उठाकर पहाड़, वो ही रक्षक कहलाया।”
“गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक,
देवेंद्र मानमर्दनम् कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्।”
“कृष्ण की शरण में आकर भक्त नया जीवन पाते हैं,
इसलिए गोवर्धन पूजा का दिन हम सच्चे मन से मनाते हैं।”
“हर खुशी आपके द्वार आए, जो मांगे उससे अधिक पाए।
गोवर्धन पूजा में कृष्ण गुण गाएं, और यह त्योहार खुशी से मनाएं।”
भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से बने शुभ दिन
मान्यता है कि जो भक्त गोवर्धन पूजा के दिन सच्चे मन से श्रीकृष्ण का स्मरण करते हैं, उनके जीवन से सभी विपदाएं दूर होती हैं। श्रीकृष्ण का सन्देश यही है कि “धर्म का साथ दो, अहंकार का नहीं।”
यह पर्व केवल पूजा का दिन नहीं बल्कि आभार और विनम्रता का उत्सव है — प्रकृति, गोमाता और भगवान श्रीकृष्ण के प्रति समर्पण का प्रतीक।
अस्वीकरण:
इस लेख में उल्लिखित मान्यताएं, सलाह और धार्मिक संदर्भ पारंपरिक कथाओं एवं ज्योतिषीय मतों पर आधारित हैं। RB या उसके सहयोगी इन मान्यताओं का समर्थन नहीं करते। पाठक अपनी आस्था और विवेक से निर्णय लें।