आंध्र प्रदेश पुलिस ने माड़वी हिड़मा के माओवादी तंत्र को ध्वस्त किया, सात नक्सली मार गिराए और पचास गिरफ्तार

Naxalism
Hidma Maoist Network: आंध्र प्रदेश पुलिस की व्यापक कार्रवाई में सात नक्सली ढेर और पचास की गिरफ्तारी (File Photo)
आंध्र प्रदेश पुलिस ने माड़वी हिड़मा के माओवादी नेटवर्क पर एक समन्वित अभियान चलाते हुए सात उग्रवादियों को मार गिराया और पचास को गिरफ्तार किया। इस कार्रवाई में कई वरिष्ठ नेता, तकनीकी विशेषज्ञ और प्लाटून सदस्य पकड़े गए। राज्य पुलिस इसे वाम उग्रवाद के खिलाफ सबसे बड़ी सफलताओं में से एक मान रही है।
नवम्बर 19, 2025

आंध्र प्रदेश में माओवादी नेटवर्क पर बड़ी पुलिस कार्रवाई

माओवादी गतिविधियों पर निर्णायक प्रहार

आंध्र प्रदेश में नक्सलवाद के उभार को समाप्त करने के उद्देश्य से राज्य पुलिस ने एक व्यापक और सुनियोजित अभियान चलाया, जिसके परिणामस्वरूप माओवादी संगठन को गहरा झटका लगा है। कई जिलों में फैले इस अभियान ने न केवल वाम उग्रवाद के नेटवर्क को कमजोर किया है, बल्कि इसे सुरक्षा बलों की अब तक की सबसे महत्वपूर्ण सफलताओं में से एक माना जा रहा है। विभिन्न जिलों में एक साथ की गई इस कार्रवाई का लक्ष्य संगठन की जड़ों को उखाड़ना था, ताकि क्षेत्र में लंबे समय से व्याप्त असुरक्षा और भय का वातावरण समाप्त हो सके।

गोलीबारी में सात माओवादी मारे गए

राज्य के अमरावती क्षेत्र में बुधवार को मारेदुमिल्ली के घने वनक्षेत्र में पुलिस और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसमें सात सशस्त्र माओवादी ढेर हो गए। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मारे गए उग्रवादियों में तीन महिला सदस्य भी शामिल थीं, जो कई वर्षों से संगठन की सक्रिय इकाइयों में कार्यरत थीं। सुरक्षा बलों ने घटनास्थल से भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और संचार उपकरण बरामद किए।

सुरक्षा एजेंसियों ने घटनास्थल पर मिले साक्ष्यों के आधार पर यह स्पष्ट किया कि माओवादी दल पिछले कई दिनों से राज्य में किसी बड़े हमले की रणनीति बना रहा था। पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने उस संभावित खतरे को टाल दिया।

मारे गए माओवादियों की पहचान और भूमिकाएँ

पुलिस प्रदेश में नक्सली गतिविधियों के इतिहास को देखते हुए मारे गए उग्रवादियों की पहचान को विशेष महत्व दे रही है। शुरुआती जानकारी के अनुसार, मरने वालों में एक की पहचान मेतुरी जोखा राव उर्फ शंकर के रूप में हुई है। शंकर श्रीकाकुलम का निवासी था और आंध्र-ओडिशा सीमा क्षेत्र में सक्रिय AOB कमेटी का इंचार्ज माना जाता था।

शंकर तकनीकी मामलों में दक्ष था, जिसमें हथियार निर्माण, विस्फोटक तकनीकों का उपयोग तथा उन्नत संचार प्रणालियों को संभालना शामिल था। पुलिस का कहना है कि वह संगठन का बेहद विश्वसनीय और महत्वपूर्ण सदस्य था, जिसकी मौत से माओवादी नेटवर्क की कमर टूट गई है।

अन्य मृतकों की पहचान जारी है, लेकिन पुलिस को भरोसा है कि इस अभियान में माओवादी संगठन के कई अनुभवी और प्रशिक्षित सदस्य मारे गए हैं, जिनके जरिए हिड़मा के दक्षिण बस्तर और दंडकारण्य नेटवर्क को ऊर्जा मिलती थी।

पचास माओवादी कार्यकर्ता गिरफ्तार

इस सफलता की दूसरी कड़ी में पुलिस ने विभिन्न जिलों — कृष्णा, एलुरु, एनटीआर विजयवाड़ा, काकीनाडा और डॉ. बी.आर. अंबेडकर कोनासीमा — से पचास माओवादी ऑपरेटिव्स को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए लोगों में कई वरिष्ठ नेता, लॉजिस्टिक्स संभालने वाले विशेषज्ञ, संचार तंत्र को संचालित करने वाले कार्यकर्ता और हथियारबंद प्लाटून के सदस्य शामिल हैं।

पुलिस के अनुसार, कुछ गिरफ्तार लोगों का सीधा संबंध माओवादी सेंट्रल कमेटी के सदस्य और कुख्यात नेता माडवी हिड़मा से था। हिड़मा को दक्षिण भारत में माओवादी गतिविधियों का सबसे खतरनाक चेहरा माना जाता है। संगठन के लिए वह रणनीतिक नेतृत्व, युद्ध कौशल और आपूर्ति श्रृंखला का प्रमुख अंग है। ऐसे में उसके नेटवर्क के इतने बड़े हिस्से का ध्वस्त होना वाम उग्रवाद के भविष्य के लिए एक गंभीर झटका है।

अभियान की योजना और सफलता के कारण

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई कई हफ्तों से तैयार की जा रही थी। माओवादी संगठन की गतिविधियों, उनके ठिकानों, हथियारों की आवाजाही और संचार तंत्र को लेकर गुप्त सूचनाएँ जुटाई गई थीं। स्थानीय पुलिस, विशेष बलों और खुफिया इकाइयों के बीच बेहतर समन्वय ने इस अभियान को सफलता दिलाने में अहम् भूमिका निभाई।

अधिकारियों के अनुसार, माओवादी संगठन उत्तर-पूर्वी आंध्र क्षेत्र में अपने पांव पसारने की कोशिश कर रहा था। जंगलों को आधार बनाकर वे ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते थे। परंतु पुलिस द्वारा समय रहते की गई कार्रवाई ने उनकी योजना को विफल कर दिया।

माओवादियों की रणनीति और राज्य की चुनौती

वर्षों से दक्षिण भारत में माओवादी संगठन अपनी छापामार रणनीति और जमीन से जुड़े नेटवर्क के लिए प्रसिद्ध रहा है। विशेषकर दंडकारण्य क्षेत्र में उनका प्रभाव लंबे समय तक बना रहा। आंध्र प्रदेश में भी अतीत में माओवादियों ने कई हमले किए, जिनमें सुरक्षा बलों को नुकसान उठाना पड़ा था।

लेकिन हाल के वर्षों में लगातार चलाए जा रहे विशेष अभियानों, पुलिस की बेहतर तकनीकी क्षमताओं और ग्रामीण स्तर पर जागरूकता अभियानों ने वाम उग्रवाद की ताकत को सीमित किया है। फिर भी, अधिकारियों का कहना है कि माओवादी अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुए हैं, और वे संगठन के बचे-खुचे सदस्यों को फिर से सक्रिय करने की कोशिश कर सकते हैं। इसलिए सतर्कता बनाए रखना आवश्यक है।

आगामी सुरक्षा उपाय और सतर्कता

राज्य पुलिस अब गिरफ्तार किए गए लोगों से पूछताछ कर रही है, ताकि माओवादी संगठन की आगे की योजनाओं, ठिकानों और समर्थन तंत्र की जानकारी हासिल की जा सके। अधिकारियों का मानना है कि आगामी हफ्तों में और भी महत्वपूर्ण खुलासे हो सकते हैं।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि वाम उग्रवाद से जुड़े किसी भी तत्व को बख्शा नहीं जाएगा और राज्य को हिंसामुक्त बनाने के लिए अभियान लगातार जारी रहेगा।

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