एआईएमआईएम की ऐतिहासिक जीत से बिहार की राजनीति में उथल-पुथल, तीन पूर्व मंत्रियों को बड़ा झटका

AIMIM 2025
AIMIM की जीत 2025: बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर, तीन पूर्व मंत्रियों को लगा करारा झटका (File Photo)
एआईएमआईएम की जोकीहाट विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित जीत ने बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को गहराई से प्रभावित किया है। इस जीत ने तीन पूर्व मंत्रियों की राजनीतिक स्थिति को कमजोर कर दिया और महागठबंधन को तगड़ा झटका पहुंचाया है। एआईएमआईएम की रणनीति और ओवैसी के प्रभाव ने मुस्लिम वोटों को अपनी ओर मोड़ दिया, जिससे क्षेत्र की राजनीतिक दिशा पूरी तरह बदल गई।
नवम्बर 14, 2025

एआईएमआईएम की ऐतिहासिक जीत से बिहार की राजनीति में उथल-पुथल

बिहार में एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) की जोकीहाट विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित जीत ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। इस जीत ने राज्य के तीन पूर्व मंत्रियों की राजनीतिक स्थिति को झटका दिया और उनके लिए आगे की राह मुश्किल बना दी है। एआईएमआईएम की यह जीत महागठबंधन के लिए एक बड़ा धक्का साबित हुई है, जो पहले बिहार के राजनीतिक समीकरणों पर हावी था।

जोकीहाट में एआईएमआईएम की जीत

जोकीहाट विधानसभा में एआईएमआईएम के प्रत्याशी मुर्शिद आलम ने भारी मतों से विजय प्राप्त की। यहां पर पिछले कुछ समय से राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच संघर्ष जारी था, लेकिन एआईएमआईएम ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ते हुए जबरदस्त चुनावी रणनीति अपनाई और परिणामस्वरूप महागठबंधन के बड़े नेताओं को मात दी। मुर्शिद आलम की यह जीत न केवल राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एआईएमआईएम के ओवैसी फैक्टर की ताकत को भी साबित करती है।

मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण

जोकीहाट विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम की विजय का मुख्य कारण मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण था। ओवैसी के प्रभावी भाषण और रणनीति ने मुस्लिम समुदाय के वोटों को अपनी ओर आकर्षित किया। ओवैसी ने अपने भाषण में तसलीमुद्दीन परिवार के भीतर के झगड़े को उजागर किया, जिससे मतदाता भ्रमित हो गए और उनकी वोटिंग की दिशा बदल गई। ओवैसी ने कहा था कि “जहां दो भाई आपस में मोहब्बत नहीं करते, वहां और लोग क्या मोहब्बत करेंगे?” इस कटाक्ष ने तसलीमुद्दीन परिवार के बीच के मतभेदों को उजागर कर दिया और परिणामस्वरूप वोट एआईएमआईएम की झोली में चले गए।

तसलीमुद्दीन परिवार में कलह का असर

जोकीहाट विधानसभा का क्षेत्र तसलीमुद्दीन परिवार का गढ़ माना जाता था, लेकिन इस बार परिवार के भीतर की कलह ने एआईएमआईएम को वहां पैर जमाने का मौका दिया। पिछले दो चुनावों से दोनों भाइयों के बीच के विवाद ने एआईएमआईएम को अवसर प्रदान किया, जिससे पार्टी की स्थिति मजबूत हुई। जोकीहाट विधानसभा में एआईएमआईएम ने इन दोनों नेताओं के गढ़ में सेंध लगाई और परिणामस्वरूप यह सीट जीत ली।

महागठबंधन को हुआ बड़ा झटका

इस चुनाव परिणाम ने महागठबंधन के समीकरण को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। जहां एक तरफ महागठबंधन के नेता शाहनवाज आलम और सरफराज आलम ने अपने परिवारिक विवादों के चलते चुनावी मैदान में कमजोर स्थिति बनाई, वहीं दूसरी ओर जदयू के मंजर आलम भी बिरादरी के वोटों पर भरोसा करने के बावजूद चुनावी जीत हासिल करने में सफल नहीं हो पाए। परिणामस्वरूप एआईएमआईएम की विजय ने महागठबंधन को बड़ा झटका दिया और बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया।

आगे की राजनीति में क्या होगा?

एआईएमआईएम की जोकीहाट में विजय ने यह साबित कर दिया कि बिहार की राजनीति अब एक नए मोड़ पर पहुंच चुकी है। ओवैसी का प्रभावी नेतृत्व और पार्टी की चुनावी रणनीति ने यह साफ कर दिया कि भविष्य में एआईएमआईएम बिहार में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक ताकत के रूप में उभर सकता है। अब यह देखना होगा कि महागठबंधन के नेता इस चुनौती का सामना कैसे करते हैं और अपनी खोई हुई स्थिति को कैसे पुनः प्राप्त करते हैं।

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