गंगा स्नान हादसा: 14 वर्षीय अंकिता कुमारी लापता
भागलपुर के सुल्तानगंज गंगा घाट पर मंगलवार की दोपहर को एक दर्दनाक हादसा हुआ। 14 वर्षीय अंकिता कुमारी, जो हाजीपुर के सत्यारा चौक निवासी मंतोष शाह की पुत्री है, गहरे पानी में समा गई। घटना के समय अंकिता अपनी छोटी बहन के साथ नहाने आई थी। छोटी बहन डूबने लगी, जिसे स्थानीय लोगों ने सुरक्षित बाहर निकाला, लेकिन अंकिता का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है।
स्थानीय लोगों का आक्रोश और सुरक्षा पर सवाल
घटना के तुरंत बाद स्थानीय लोग प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि घाटों पर न तो बैरिकेडिंग थी और न ही चेतावनी बोर्ड। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक हफ्ते में दूसरी घटना है, जब किसी ने गंगा में डूबकर अपनी जान गंवाई है।
सुल्तानगंज के स्थानीय निवासियों का कहना है कि दीपावली, काली पूजा और छठ महापर्व जैसे पर्वों के दौरान घाटों पर भारी भीड़ होती है, लेकिन प्रशासन ने सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए। लोगों की मांग है कि घाटों पर गोताखोर और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
परिवार का दर्द और परिजन की स्थिति
अंकिता की नानी निर्मला देवी ने बताया कि अंकिता छठी कक्षा की छात्रा थी और अपने पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर थी। पिता मंतोष शाह पटना में किराए के मकान में परिवार के साथ रहकर चाट बेचने का काम करते हैं। परिवार इस हादसे से गहरे शोक में है।
अंकिता की बहन को सुरक्षित निकालने के बावजूद, परिवार और ग्रामीणों का यह कहना है कि सुरक्षा की कमी ने इस हादसे को अंजाम तक पहुंचाया।
एनडीआरएफ की खोजबीन और प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना के 24 घंटे बीत जाने के बावजूद एनडीआरएफ की टीम लगातार गंगा में खोजबीन कर रही है। अभी तक उन्हें सफलता नहीं मिली है। प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे स्थानीय लोगों में असंतोष बढ़ रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि गंगा घाटों पर सुरक्षा के कड़े नियम लागू किए जाने चाहिए। इस तरह की घटनाएं सिर्फ प्रशासन की लापरवाही का परिणाम हैं।
पिछले हादसों का रिकॉर्ड और चेतावनी
9 अक्टूबर को भी मुंगेर जिले के जमालपुर निवासी नवनीत कुमार और बिट्टू की सुल्तानगंज के मंदिर घाट पर डूबने से मौत हो गई थी। लगातार हो रही इन घटनाओं से यह स्पष्ट हो गया है कि प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त नहीं है।
स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि घाटों पर स्थायी बैरिकेडिंग, चेतावनी बोर्ड और आपातकालीन बचाव टीम की तैनाती हो। वे प्रशासन से यह सवाल भी उठा रहे हैं कि आखिर कब तक लापरवाही बरती जाएगी।