बिहार चुनाव परिणाम 2025: राजनीतिक परिदृश्य में नई हलचल
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम घोषित हो गए हैं। इस बार का चुनाव कई मायनों में विशेष था। महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला, लेकिन इस चुनाव की सबसे चर्चा की जाने वाली बात रही ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) और NOTA के मतों की तुलना।
AIMIM और NOTA के मतों की समानता
चुनाव आयोग की आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, AIMIM को कुल 1.85 प्रतिशत मत मिले, जबकि NOTA को 1.81 प्रतिशत मत मिले। यह मामूली अंतर राजनीतिक विश्लेषकों के लिए बेहद रोचक है। विशेष रूप से सीमांचल क्षेत्र में AIMIM के प्रदर्शन ने महागठबंधन के कई उम्मीदवारों के लिए मुश्किलें बढ़ा दी।
AIMIM के कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिन मतदाताओं ने AIMIM के चुनाव चिन्ह पर वोट किया, उनकी प्राथमिकताएं अक्सर NOTA के मतदाता जैसी ही रही हैं। यह दर्शाता है कि बिहार के मतदाता पारंपरिक दलों से असंतुष्ट हैं और अपनी नाराजगी का इजहार करने के लिए नई राजनीतिक विकल्प तलाश रहे हैं।
पारंपरिक दलों के लिए चेतावनी
भाकपा, माकपा, बसपा और राकांपा जैसे दलों को इस चुनाव में NOTA से भी कम वोट प्राप्त हुए। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह पारंपरिक दलों के पतन का संकेत है। तारिक अनवर के बाद राकांपा की राज्य में राजनीतिक प्रासंगिकता कम हो गई, जबकि भाकपा, माकपा और बसपा ने लंबे समय तक अपने जनाधार बनाए रखा। इसके बावजूद इस बार उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा।
सीपीआई का राजनीतिक पतन
सीपीआई कभी बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण शक्ति रही है, लेकिन अब यह पार्टी भी राज्य में अपनी पकड़ खोती नजर आ रही है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पार्टी की स्थानीय संगठन क्षमता कमजोर होने और युवा मतदाताओं की नई पसंदों के कारण इसका जनाधार घटा है।
महागठबंधन और एनडीए की स्थिति
इस चुनाव में एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला है। 20 नवंबर को नई सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। महागठबंधन को AIMIM के प्रभाव और सीमांचल में मतों के बंटवारे से नुकसान हुआ है। कई सीटों पर गणित बदलने के कारण पार्टी को रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
भविष्य की राजनीति में संभावित बदलाव
AIMIM का सीमांचल में बढ़ता प्रभाव और NOTA के अधिकतम मतदान ने संकेत दिया है कि बिहार की राजनीति में अब नए समीकरण बन सकते हैं। आगामी विधानसभा सत्र और स्थानीय निकाय चुनावों में इन बदलावों की राजनीतिक रणनीतियों पर असर पड़ने की पूरी संभावना है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मतदाता अब पारंपरिक दलों की तुलना में नए विकल्पों और असंतोष जताने के विकल्पों की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं। AIMIM और NOTA के मतों की समानता ने राज्य की राजनीति में नए संकट और अवसर दोनों पैदा किए हैं।