बिहार चुनावी माहौल का हाल
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों के नजदीक आते ही राजनीतिक गतिविधियाँ चरम पर पहुँच चुकी हैं। आज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दो अलग-अलग स्थानों पर विशाल रैलियों को संबोधित करेंगे। पहली रैली औरंगाबाद के गोह में और दूसरी वैशाली के पातेपुर में होगी। वहीं, महागठबंधन की ओर से एक साझा प्रेस वार्ता भी आयोजित की जाएगी।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इन रैलियों और प्रेस वार्ता का सीधा असर आगामी चुनावी रणनीतियों और जनता की मानसिकता पर पड़ेगा। बिहार की जनता की निगाहें अब हर छोटे-बड़े राजनीतिक कदम पर टिकी हैं।
जेपी नड्डा की चुनावी रैलियों का महत्व
भाजपा के लिए यह रैलियाँ केवल भाषण देने का माध्यम नहीं हैं, बल्कि पार्टी की चुनावी ताकत और संगठनात्मक क्षमता को प्रदर्शित करने का भी अवसर हैं। नड्डा के भाषण में मुख्य रूप से विकास, रोजगार, कृषि और प्रदेश की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर जोर दिया जाएगा।
भाजपा के स्थानीय नेताओं का मानना है कि नड्डा की रैलियाँ पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रेरित करेंगी और आम जनता के मन में भाजपा के प्रति सकारात्मक धारणा बनाएँगी।
महागठबंधन की साझा प्रेस वार्ता
वहीं महागठबंधन ने आज एक साझा प्रेस वार्ता का आयोजन किया है, जिसमें सीट बंटवारे, मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और गठबंधन की रणनीतियों पर चर्चा होगी। पिछले कुछ हफ्तों से गठबंधन में सीटों को लेकर विवाद गहराया है।
JDU नेता राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि महागठबंधन की सेहत सुधरने वाली नहीं है। उन्होंने कहा, “अगर महागठबंधन में आपसी सहमति होती तो इतनी सीटों पर आपस में टकराव नहीं होता। चाहे मुख्यमंत्री का चेहरा कोई भी हो, गठबंधन की स्थिति कमजोर ही रहेगी।”
जनता की समझ और प्रतिक्रिया
भाजपा के बिहार अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने महागठबंधन की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा, “जनता सब समझती है। जब गठबंधन अपने आपसी विवाद सुलझा नहीं सकता तो सरकार कैसे चला सकता है?”
विश्लेषकों का मानना है कि जनता की नजरें अब केवल घोषणाओं पर नहीं बल्कि नेताओं के व्यवहार और गठबंधन की स्थिरता पर टिकी हैं।
पूर्व राजद नेता का पक्ष
पूर्व राजद नेता अनिल सहनी ने महागठबंधन से अपने इस्तीफे का कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि अति पिछड़ा समाज को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से टिकट की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन उनके समाज के प्रतिनिधियों को उचित अवसर नहीं मिला। उन्होंने प्रेस वार्ता में इस विषय पर विस्तार से चर्चा करने की बात कही।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अब महज दो कदम दूर हैं और राजनीतिक परिदृश्य लगातार बदल रहा है। भाजपा और महागठबंधन दोनों ही अपनी ताकत और कमजोरियों को जनता के सामने प्रदर्शित करने का प्रयास कर रहे हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि आगामी सप्ताह बिहार के राजनीतिक समीकरणों को और स्पष्ट करेंगे। जनता की दृष्टि में नेताओं के दावे, रैलियाँ और प्रेस वार्ताएँ निर्णायक भूमिका निभाएँगी।
बिहार चुनाव 2025 न केवल राजनीतिक दलों के लिए बल्कि पूरे राज्य की जनता के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। जनता की समझ, प्रत्याशियों की स्वीकार्यता और गठबंधनों की स्थिरता आगामी चुनाव परिणाम तय करेगी।