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Bihar Chunav: महागठबंधन में 12 लोकसभा सीटों को लेकर गहन विवाद, कांग्रेस-राजद आमने-सामने

Bihar Mahagathbandhan 12 Seats Controversy
Bihar Mahagathbandhan 12 Seats Controversy – बिहार में कांग्रेस और राजद के बीच लोकसभा सीटों पर टकराव (file photo)
अक्टूबर 21, 2025

बिहार महागठबंधन में सीटों का विवाद

पटना। बिहार में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद गहरा गया है। कांग्रेस और राजद के बीच छह सीटों पर सीधी टक्कर की स्थिति बन गई है, जिससे गठबंधन की एकजुटता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। अन्य सहयोगी दल मध्यस्थता के प्रयास कर रहे हैं ताकि जल्द ही सभी सीटों का बंटवारा तय हो और महागठबंधन संगठित होकर चुनाव मैदान में उतरे।

उम्मीदवारों की सूची और आपसी खींचतान

20 अक्टूबर को बिहार विधानसभा चुनाव के नामांकन का अंतिम दिन था। इसके ठीक पहले तक महागठबंधन के सहयोगी दलों – राजद, कांग्रेस, भाकपा (सीपीआई) और विकासशील इंसान पार्टी – के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर संशय और असमंजस का माहौल बना हुआ था। अंततः 20 तारीख को उम्मीदवारों की सूची जारी की गई।

राजद ने कुल 143 उम्मीदवारों की सूची जारी की, कांग्रेस ने 61, वीआईपी को नौ और वाम दलों को कुल 30 सीटें दी गईं। हालांकि, कई दलों ने अपनी अधिकारिक सीटों से अधिक उम्मीदवार मैदान में उतार दिए, जिससे कुल उम्मीदवारों की संख्या बढ़कर 254 हो गई।

कौन-सा दल किस सीट पर आमने-सामने

छह सीटों पर कांग्रेस और राजद आमने-सामने हैं। ये सीटें हैं – वैशाली, कहलगांव, सुल्तानगंज, सिकंदरा, नरकटियागंज और वारसीलगंज। चार सीटों पर कांग्रेस और सीपीआई तथा दो सीटों पर राजद और विकासशील इंसान पार्टी आमने-सामने हैं।

इसके अतिरिक्त बेल्दौर सीट कांग्रेस के पास है, जबकि राजद ने इसे आईआईपी पार्टी को दे दिया। यहां भी टकराव की स्थिति बन रही है।

सीट राजद कांग्रेस
वारसीलगंज अनीता कुमार सतीश कुमार
लालगंज शिवानी शुक्ला आदित्य कुमार
कहलगांव रजनीश भारती प्रवीण सिंह कुशवाहा
सुल्तानगंज चंदन सिन्हा ललन कुमार
वैशाली अजय कुशवाहा ई संजीव सिंह
सिकंदरा उदय नारायण चौ विनोद चौधरी
सीट कांग्रेस सीपीआई
बछवाड़ा गरीब दास अवधेश राय
बिहारशरीफ शिव कुमार यादव ओमैर खान
करगहर संतोष मिश्रा महेंद्र गुप्ता
राजापाकर प्रतिमा दास मोहिस पासवान
सीट राजद वीआईपी
बाबूबरही अरुण कुशवाहा बिंदु गुलाब यादव
चैनपुर ब्रज किशोर सिंह बालगोविंद बिंद

महागठबंधन की रणनीति और मतदाताओं पर प्रभाव

राजद और कांग्रेस के बीच अंतिम समय तक तालमेल नहीं बन पाया। परिणामस्वरूप, कई सीटों पर सहयोगी दल आपस में ही लड़ते नजर आएंगे। यह स्थिति महागठबंधन के लिए वोटों के बिखराव और चुनावी नुकसान का कारण बन सकती है।

राजद-कांग्रेस की टक्कर, कांग्रेस-सीपीआई और राजद-वीआईपी की प्रतिद्वंद्विता ने मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। दिल्ली और पटना में नेताओं की दिन-रात की बैठकों और कड़ी मेहनत के बावजूद सहयोगी दलों के बीच दूरी मिट नहीं पाई।

विश्लेषण: गठबंधन की मजबूती पर सवाल

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह आपसी संघर्ष महागठबंधन के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। यदि सहयोगी दल आपस में उलझे रहेंगे, तो निश्चित रूप से एनडीए को फायदा होगा। सीटों के बंटवारे में यह तनातनी आगामी लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की विजय की संभावनाओं को कमजोर कर सकती है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि महागठबंधन को तुरंत आपसी मतभेदों को सुलझाना होगा। सहयोगी दलों को एकजुट होकर चुनाव लड़ना होगा, नहीं तो मतदाताओं के मन में भ्रम और गठबंधन की credibility पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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