बिहार में राजनीतिक हलचल और सरकार गठन का नया चरण
बिहार की राजनीति 2025 में फिर एक बार तेजी से बदलाव की ओर बढ़ रही है। एनडीए की हालिया जीत के बाद राज्य में नई सरकार गठन की प्रक्रिया ने सभी दलों की रणनीतियों को प्रभावित किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार भंग करने की औपचारिक जानकारी दी है। अब विधानसभा भंग होकर नई सरकार 20 तारीख को शपथ लेने जा रही है। इस बीच, विपक्षी दलों के बीच और लालू परिवार में राजनीतिक उठापटक लगातार चर्चा में बनी हुई है।
लालू परिवार में फूट और रोहिणी आचार्य का मामला
लालू प्रसाद यादव के परिवार में हाल ही में रोहिणी आचार्य के विवादित बयान और उनके अलग होने के बाद राजनीतिक हलचल और बढ़ गई है। निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कुछ ‘जयचंदों’ ने इस स्थिति को उत्पन्न किया है और उन्हें माफ नहीं किया जाना चाहिए। पप्पू यादव ने तेजस्वी यादव से आग्रह किया कि वे अपने परिवार को एकजुट रखें और रोहिणी आचार्य तथा तेज प्रताप यादव को अपने पास बुलाकर गले लगाएं।
इस बयान ने बिहार की राजनीति में परिवार आधारित गठजोड़ और उसके प्रभाव को फिर से सवालों के घेरे में ला दिया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि लालू परिवार की एकजुटता राज्य की राजनीति में विपक्ष की ताकत को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
VIDEO | Patna: On Rohini Acharya’s exit from the Lalu Prasad Yadav family, independent MP Pappu Yadav says, “Some ‘Jaichands’ have created this situation. They should not be spared. I request Tejashwi ji to call Rohini and his brother, embrace them both, I want the family to stay… pic.twitter.com/fYKJoJD61o
— Press Trust of India (@PTI_News) November 17, 2025
नई सरकार गठन की प्रक्रिया और समयसीमा
बिहार की वर्तमान विधानसभा 19 तारीख को भंग हो जाएगी और अगले दिन नई सरकार शपथ लेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की वापसी के बाद प्रशासनिक और राजनीतिक संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण रहेगा। विपक्षी दल, विशेषकर राजद, अपनी रणनीति पर विचार कर रहे हैं कि वे नई सरकार के कार्यकाल में कैसे अपने प्रभाव को बनाए रखें।
विपक्ष का दृष्टिकोण और उपेंद्र कुशवाहा का बयान
जनता दल यूनाइटेड और अन्य विपक्षी दलों ने भी नई सरकार गठन के संदर्भ में अपनी टिप्पणियाँ शुरू कर दी हैं। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि विपक्ष को सतर्क रहना होगा और नई सरकार की नीतियों की आलोचना करते रहना चाहिए। उन्होंने एनडीए और विशेष रूप से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि जनता की अपेक्षाओं को ध्यान में रखना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी होगी।
राजनीतिक विश्लेषण: बिहार में भविष्य के समीकरण
राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि बिहार की राजनीति में परिवारवाद और व्यक्तिगत विवाद का प्रभाव हमेशा महत्वपूर्ण रहा है। लालू परिवार के भीतर फूट और राजद के नेता तेजस्वी यादव की रणनीतियाँ आगामी विधानसभा चुनाव और स्थानीय निकाय चुनावों में निर्णायक साबित हो सकती हैं।
इसके अलावा, एनडीए की जीत के बाद राज्य में राजनीतिक स्थिरता और प्रशासनिक कार्यों की गति भी चर्चा में है। सरकारी योजनाओं और विकास परियोजनाओं पर भी नई सरकार की नीतियाँ असर डालेंगी।
मीडिया और जनसंपर्क का प्रभाव
बिहार में राजनीतिक हलचल के बीच मीडिया की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो गई है। हर बयान और हर घटना को मीडिया तेजी से जनता तक पहुंचा रही है। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर व्यापक बहस चल रही है, जो राजनीतिक दलों के लिए अपनी रणनीतियाँ बदलने का कारण बन सकती है।
बिहार की राजनीति 2025 में लालू परिवार में फूट, एनडीए की जीत और नई सरकार गठन की प्रक्रिया राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल रही है। यह समय राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए निर्णायक है। जनता की अपेक्षाएँ, प्रशासनिक स्थिरता और राजनीतिक गठजोड़ सभी मिलकर बिहार की राजनीति को नए मुकाम तक ले जाएंगे।