Bihar Polls End: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का अंतिम चरण, एग्ज़िट पोल्स पर सबकी नज़र, पुराने अनुमानों से क्या सीख मिली
जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का दूसरा और अंतिम चरण मंगलवार शाम को संपन्न हुआ, अब राजनीतिक गलियारों में सबसे ज्यादा चर्चा एग्ज़िट पोल्स को लेकर है। हर बार की तरह इस बार भी जनता और दल दोनों ही इन आंकड़ों के जरिए चुनावी रुझान समझने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये एग्ज़िट पोल्स वाकई सटीक साबित होंगे, या एक बार फिर पुराने अनुभवों की तरह भ्रमित करने वाले होंगे?
2020 के एग्ज़िट पोल्स: अनुमान से उलटी दिशा में गया जनादेश
2020 के विधानसभा चुनावों में लगभग 11 प्रमुख सर्वे एजेंसियों ने मिलकर यह अनुमान लगाया था कि राजद-नेतृत्व वाला महागठबंधन बहुमत के करीब पहुंचेगा। औसतन अनुमान था कि महागठबंधन को 125 सीटें मिल सकती हैं जबकि एनडीए को करीब 108 सीटें मिलने का अनुमान था।
हालांकि, नतीजे इसके ठीक विपरीत आए। एनडीए ने 125 सीटें जीतकर सत्ता बरकरार रखी, जबकि महागठबंधन को केवल 110 सीटों पर संतोष करना पड़ा। यानी एग्ज़िट पोल्स ने एनडीए को लगभग 17 सीटें कम और महागठबंधन को करीब 15 सीटें ज्यादा आंकीं।
उस समय लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने अलग राह अपनाई थी, जबकि मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) एनडीए का हिस्सा थी।
2015 के नतीजे: सर्वे एजेंसियों की भारी चूक
यदि 2015 के चुनावों को देखा जाए तो एग्ज़िट पोल्स और वास्तविक नतीजों के बीच की दूरी और भी ज्यादा थी। उस समय जेडीयू-राजद-कांग्रेस के महागठबंधन ने मिलकर 178 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया था। वहीं एनडीए केवल 58 सीटों पर सिमट गया था।
कई एजेंसियों ने एनडीए के पक्ष में भारी झुकाव दिखाया था। औसतन, सर्वेक्षणों ने महागठबंधन के प्रदर्शन को 55 सीटें कम आंका और एनडीए के प्रदर्शन को 56 सीटें ज्यादा आंका।
हालांकि, सीएनएन-आईबीएन-एक्सिस का एग्ज़िट पोल उस दौर का सबसे सटीक रहा। उसने महागठबंधन को 176 सीटें और एनडीए को 64 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था, जो वास्तविक परिणामों के बेहद करीब था।
बिहार की राजनीति में एग्ज़िट पोल्स की विश्वसनीयता पर सवाल
बिहार की राजनीति जातीय समीकरणों, स्थानीय उम्मीदवारों और क्षेत्रीय दलों की भूमिका पर अत्यधिक निर्भर करती है। यही कारण है कि एग्ज़िट पोल्स अक्सर इन जटिल कारकों को सटीक रूप से नहीं माप पाते।
2015 और 2020 दोनों चुनाव इस बात के प्रमाण हैं कि बिहार में केवल राजनीतिक हवा नहीं, बल्कि सामाजिक समीकरण भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 में भी यही स्थिति दोहराई जा सकती है क्योंकि इस बार भी राज्य में कई छोटे दलों की भूमिका अहम है और मतदाता वर्ग पहले से अधिक विभाजित नजर आ रहा है।
2025 में क्या उम्मीद की जा रही है?
Bihar Polls End: इस बार के चुनाव में एनडीए, इंडिया गठबंधन और स्वतंत्र उम्मीदवारों के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है। जातीय और क्षेत्रीय संतुलन के साथ-साथ बेरोजगारी, विकास और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दे मतदाताओं की प्राथमिकता में हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार के एग्ज़िट पोल्स में भी कुछ असंगतियां देखने को मिल सकती हैं क्योंकि बिहार का जनादेश कई बार मतदान के आखिरी घंटे तक बदल जाता है।
एग्ज़िट पोल्स केवल एक संकेत होते हैं, निर्णय नहीं। 2015 और 2020 के अनुभवों से स्पष्ट है कि बिहार के मतदाता कई बार विश्लेषकों की भविष्यवाणियों को उलट देते हैं। इसलिए 2025 के नतीजे आने तक किसी भी पक्ष को अति-आत्मविश्वास या निराशा में नहीं जाना चाहिए।