पटना:
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी उत्तर प्रदेश से सटे क्षेत्रों में तेज हो गई है। चंपारण, सिवान, रोहतास, बक्सर, गोपालगंज और कैमूर जैसे जिलों के 19 विधानसभा क्षेत्र त्रिकोणीय मुकाबले का अखाड़ा बनते दिख रहे हैं। एनडीए, महागठबंधन और अब बसपा के बीच सियासी खलबली बढ़ गई है।
साल 2020 के चुनाव में इन 19 सीटों में 8 सीटों पर एनडीए और 10 सीटों पर महागठबंधन ने जीत दर्ज की थी। बसपा की एक सीट चैनपुर पर जीत थी, जिसे जीतने के बाद जदयू में शामिल किया गया।
बसपा की एंट्री और राजनीतिक असर
बसपा प्रमुख मायावती ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी बिहार में अकेले चुनाव लड़ेगी और किसी से गठबंधन नहीं करेगी। उनकी यह एंट्री भाजपा और महागठबंधन दोनों के लिए चुनौती बन गई है। भाजपा ने बसपा की काट के लिए अपनी रणनीति तेज कर दी है, जबकि महागठबंधन का मानना है कि बाहरी प्रदेश का प्रभाव सीमित रहेगा।
दलों की रणनीतियाँ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री और बिहार चुनाव सह प्रभारी केशव प्रसाद मौर्य और मंत्री दारा सिंह चौहान को सीमावर्ती सीटों पर सक्रिय किया गया है। बसपा ने अपने नेता आकाश आनंद को चुनावी रणनीति और प्रत्याशी चयन की जिम्मेदारी दी है।
कांग्रेस भी सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय नेताओं को मैदान में उतारने की योजना बना रही है।
तीनों दलों का फोकस
- एनडीए: संगठन और सत्ता के भरोसे जीत का प्रयास
- महागठबंधन: सामाजिक समीकरणों के आधार पर सत्ता की ओर बढ़ना
- बसपा: तीसरे खिलाड़ी के रूप में खुद को स्थापित करने की कोशिश
इन तैयारियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि बिहार-यूपी सीमा की 19 सीटें 2025 विधानसभा चुनाव में तीनों पक्षों के बीच कांटे की टक्कर के लिए तैयार हैं।