बिहार विधानसभा चुनाव 2025: तेज प्रताप यादव की महुआ सीट पर बड़ी हार, अन्य प्रत्याशियों का हाल
तेज प्रताप यादव की महुआ सीट पर हार
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन और एनडीए के बीच टक्कर के साथ-साथ अन्य छोटी पार्टियों के प्रत्याशियों का प्रदर्शन भी चर्चा में रहा। खासकर, तेज प्रताप यादव की पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) के उम्मीदवारों ने अपनी उम्मीदों के विपरीत परिणाम प्रस्तुत किए। महुआ सीट से खुद तेज प्रताप यादव को हार का सामना करना पड़ा। यहां लोजपा के संजय सिंह ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 87,641 वोट हासिल किए, जबकि तेज प्रताप को महज 35,703 वोट मिले।
जनशक्ति जनता दल के अन्य उम्मीदवारों की स्थिति
महुआ सीट पर तेज प्रताप यादव की हार के बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जनशक्ति जनता दल के अन्य उम्मीदवारों का क्या हाल रहा। बेलसंड सीट पर विकास कुमार, जो तेज प्रताप यादव के करीबी माने जाते हैं, लगभग 24,000 वोटों से पीछे चल रहे हैं। वहीं, शाहपुर सीट पर मदन यादव भी 50,000 वोटों से पीछे चल रहे हैं, जहां बीजेपी के राकेश रंजन ने बढ़त बना रखी है।
बख्तियारपुर, बिक्रम, जगदीशपुर और अन्य सीटों पर भी जनशक्ति जनता दल के उम्मीदवारों का प्रदर्शन कमजोर रहा है। बख्तियारपुर सीट से गुलशन कुमार यादव 72,000 वोटों से पीछे चल रहे हैं, जबकि बिक्रम सीट से अजीत कुमार लगभग 75,000 वोटों से हार रहे हैं।
बड़ी हार का कारण क्या?
इस चुनाव में जनशक्ति जनता दल के उम्मीदवारों की बड़ी हार का कारण कई कारक हो सकते हैं। पहली बात तो यह है कि पार्टी का प्रचार-प्रसार उतना प्रभावी नहीं था, जितना अन्य प्रमुख दलों का। दूसरी बात यह है कि तेज प्रताप यादव का परिवारिक संकट और आरजेडी से उनका विवाद भी मतदाताओं के मन में भ्रम पैदा कर रहा था। इसके अलावा, एनडीए और महागठबंधन के मजबूत उम्मीदवारों के सामने छोटे दलों की स्थिति हमेशा कमजोर रहती है।
एनडीए और महागठबंधन के बीच मुकाबला
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच तगड़ा मुकाबला देखने को मिला। जहां एक तरफ महागठबंधन की ओर से आरजेडी और कांग्रेस का समर्थन था, वहीं एनडीए के पास बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन था। इन दोनों गठबंधनों के उम्मीदवारों ने बिहार की विभिन्न सीटों पर मजबूती से अपनी स्थिति बनाई। इसके चलते कई छोटी पार्टियों को पीछे हटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।
जनशक्ति जनता दल की भविष्यवाणी
भले ही तेज प्रताप यादव की पार्टी इस बार बड़ी हार से जूझ रही हो, लेकिन भविष्य में बिहार की राजनीति में उनकी भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता। पार्टी को अपनी स्थिति सुधारने और मतदाताओं के बीच पुनः विश्वास बनाने के लिए अब कई कदम उठाने होंगे। उन्हें अपनी रणनीतियों और प्रचार-प्रसार में सुधार करने की आवश्यकता होगी ताकि आगामी चुनावों में उनका प्रदर्शन बेहतर हो सके।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों से सीख
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने यह साफ कर दिया कि राज्य की राजनीति में बड़े गठबंधनों का दबदबा अब भी बरकरार है। छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए अपनी साख बनाने में चुनौती बनी हुई है। बिहार के मतदाता अब पहले से कहीं अधिक जागरूक हो गए हैं और किसी भी पार्टी या नेता को जीत दिलाने के लिए उन्हें निरंतर प्रयास करना होगा।