Bihar Politics: सुगौली में वीवीपैट पर्चियों की बरामदगी से मचा हड़कंप
मोतिहारी जिले के सुगौली विधानसभा क्षेत्र में गुरुवार की सुबह उस समय हड़कंप मच गया जब नगर परिषद क्षेत्र के अमीर खां टोला, वार्ड संख्या 12 स्थित राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय निमूई में सैकड़ों वीवीपैट पर्चियां बरामद की गईं। यह वही विद्यालय है जहां बीते दिन विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में मतदान संपन्न हुआ था। विद्यालय की रसोइया जब नियमित रूप से कमरे का दरवाजा खोलने गई, तो देखा कि जमीन पर सैकड़ों पर्चियां बिखरी पड़ी थीं।
ग्रामीणों के आरोप और प्रशासन की पहली प्रतिक्रिया
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि मतदान समाप्त होने के बाद शाम लगभग चार बजे कुछ अधिकारियों द्वारा वीवीपैट की पर्चियां प्लास्टिक के थैले में बांधकर पास की सिकरहना नदी में फेंक दी गईं। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि यह कार्रवाई जानबूझकर की गई ताकि कुछ मतदान रिकॉर्ड छिपाए जा सकें।
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए। सदर एसडीएम श्वेता भारती और सुगौली प्रखंड विकास पदाधिकारी नूतन किरण ने तत्काल विद्यालय पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। कमरे को खोला गया और अंदर से सभी पर्चियों को जांच के बाद सुरक्षित रख लिया गया।
उम्मीदवारों का धरना और जांच की मांग
इस पूरे मामले को लेकर चुनाव में खड़े कई उम्मीदवारों ने विरोध जताया है। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के प्रत्याशी अफताब जुल्फिकार, जन शक्ति जनता दल के प्रत्याशी श्याम किशोर सहनी और जनसुराज दल के प्रत्याशी अजय झा सहित अन्य नेताओं ने प्रशासनिक लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई।
सभी उम्मीदवार विद्यालय परिसर में ही धरने पर बैठ गए और निर्वाचन पदाधिकारियों से निष्पक्ष जांच की मांग की। उनका कहना है कि जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक वे धरना समाप्त नहीं करेंगे।
प्रशासनिक अधिकारियों का बयान
Bihar Politics: सदर एसडीएम श्वेता भारती ने मीडिया से बातचीत में कहा कि घटना की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच टीम गठित की गई है। सभी बरामद पर्चियों को सुरक्षित कर लिया गया है और यह जांच की जा रही है कि ये पर्चियां मतदान के बाद कैसे यहां पहुंचीं।
उन्होंने कहा, “प्राथमिक जांच में किसी भी तरह की गड़बड़ी सामने नहीं आई है, लेकिन अंतिम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि लापरवाही किस स्तर पर हुई।”
घटना स्थल पर उमड़ी भीड़ और माहौल में तनाव
जैसे ही यह खबर फैली, आस-पास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग विद्यालय परिसर में इकट्ठा हो गए। लोगों में आक्रोश देखने को मिला और कई ने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए। कुछ लोगों ने कहा कि यदि मतदान के बाद इस तरह की घटनाएं होती हैं, तो आम जनता का विश्वास लोकतांत्रिक प्रणाली से उठ जाएगा।
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया और भीड़ को शांत किया।
जांच की दिशा और प्रशासनिक चुनौती
अब सबकी निगाहें प्रशासनिक कार्रवाई पर टिकी हैं। निर्वाचन विभाग इस बात की जांच कर रहा है कि पर्चियां कहां से आईं, कौन अधिकारी इनके जिम्मे थे, और इन्हें विद्यालय परिसर में क्यों छोड़ा गया।
यह घटना न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे जिले में चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगा रही है।