पश्चिम चम्पारण जिले के नरकटियागंज विधानसभा क्षेत्र में इस बार चुनावी माहौल बेहद गर्म और पेचीदा हो गया है। महागठबंधन के भीतर हाल ही में दरार के संकेत देखने को मिले हैं, जिससे यह क्षेत्र राजनीतिक विश्लेषकों के लिए चर्चा का प्रमुख विषय बन गया है। राजद और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख दलों ने अपने-अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं और आज दोनों ने ही नामांकन पत्र दाखिल किए।
राजद और कांग्रेस के प्रत्याशी
राजद की ओर से दीपक यादव ने नामांकन पर्चा दाखिल किया। दीपक यादव पहले भी लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं और उनकी राजनीतिक सक्रियता इस क्षेत्र में कई वर्षों से बनी हुई है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने शाश्वत केदार पांडे को मैदान में उतारा है। शाश्वत भी पहले लोकसभा चुनाव में भाग ले चुके हैं, लेकिन दोनों ही प्रत्याशी पिछली बार हार गए थे।
नामांकन के दौरान, दोनों प्रत्याशी SDM कार्यालय में आमने-सामने आए। यह दृश्य राजनीतिक विशेषज्ञों के लिए विशेष रूप से ध्यान देने योग्य था, क्योंकि इससे यह प्रतीत हो रहा था कि महागठबंधन में इस क्षेत्र में पूर्ण सहयोग नहीं है।
महागठबंधन में मतभेद के संकेत
नामांकन के बाद जो सबसे अधिक चर्चा का विषय बना, वह था शाश्वत केदार पांडेय और दीपक यादव का आपसी व्यवहार। कई सूत्रों के अनुसार, नामांकन के बाद दोनों ने एक-दूसरे से मिलकर शिष्टाचार का परिचय दिया। बावजूद इसके, पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि इस क्षेत्र में गठबंधन के भीतर मतभेद स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि महागठबंधन की यह दरार चुनावी रणनीति और स्थानीय समीकरणों पर असर डाल सकती है। विशेषकर, नरकटियागंज जैसे संवेदनशील विधानसभा क्षेत्र में जहां मतदाता बहुसंख्यक हैं, वहाँ किसी भी प्रकार का मतभेद सीधे चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकता है।
स्थानीय राजनीतिक माहौल
नरकटियागंज विधानसभा क्षेत्र की राजनीति वर्षों से काफी प्रतिस्पर्धात्मक रही है। राजद और कांग्रेस के अलावा अन्य स्थानीय और राष्ट्रीय दल भी अपनी जड़ें मजबूत करने की कोशिश में हैं। इस बार महागठबंधन के भीतर मतभेद ने चुनावी समीकरण और भी जटिल बना दिए हैं।
स्थानीय मतदाता भी इस स्थिति पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कई मतदाताओं का कहना है कि अगर महागठबंधन के भीतर सहयोग नहीं हुआ तो यह क्षेत्र में उम्मीदवारों की जीत की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है। वहीं, कुछ लोग इसे राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मानते हैं, जो अंतिम चरण में हल हो सकता है।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस प्रकार के मतभेद किसी भी गठबंधन के लिए चुनौतीपूर्ण होते हैं। वे बताते हैं कि नरकटियागंज विधानसभा क्षेत्र में दोनों पार्टियों का विरोध एक-दूसरे के लिए वोट बंटवाने का कारण बन सकता है। इससे आम जनता में भी भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि दोनों प्रत्याशियों की पिछली हारें और इस बार उनकी आमने-सामने स्थिति, चुनाव को और अधिक रोचक और अनिश्चित बना रही हैं।
निष्कर्ष
नरकटियागंज विधानसभा क्षेत्र इस बार महागठबंधन में मतभेद के कारण राजनीतिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण बन गया है। राजद के दीपक यादव और कांग्रेस के शाश्वत केदार पांडेय के बीच यह टकराव आगामी चुनाव के परिणामों पर निर्णायक प्रभाव डाल सकता है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि महागठबंधन के भीतर यह दरार कैसे और कब तक भरेगी, या यह चुनावी रणभूमि में और भी गहरी हो जाएगी।