Chirag Paswan Hajipur News: हाजीपुर (Hajipur) में सोमवार को एक तस्वीर ने NDA के 20 साल के विकास के दावों पर सवाल खड़ा कर दिया। केंद्रीय मंत्री और हाजीपुर के सांसद Chirag Paswan अपने संसदीय क्षेत्र में शोक संतप्त परिवार से मिलने पहुंचे, लेकिन भारी जलजमाव के कारण उन्हें गली पार करने के लिए ईंटों पर संतुलन बनाते हुए पानी पार करना पड़ा। यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल होते ही विपक्ष के लिए बड़ा हथियार बन गया।
चिराग पासवान का “डिंग-डिंग” सफर
जिन इलाकों में चुनावी प्रचार और विकास रिपोर्टें चमकती हैं, वहां वास्तविक स्थिति अलग नजर आती है। चिराग पासवान को अपने ही क्षेत्र में डिंग-डिंग अंदाज में कदम रखकर पानी पार करना पड़ा। यह तस्वीर जनता के सामने सीधे सवाल खड़ा करती है कि 20 साल के विकास का असली असर क्या रहा।
वेब स्टोरी:
Chirag Paswan Hajipur News: सोशल मीडिया पर वायरल
Chirag Paswan Hajipur News: सोशल मीडिया पर यह तस्वीर तेजी से फैल गई। विपक्ष ने इसे लेकर NDA सरकार पर तीखा हमला बोला। लालू प्रसाद यादव की पुत्री ने चुभते हुए लिखा:
“20 साल से सांसद NDA के, 15 साल से मंत्री NDA के, विधायक भी NDA के, और नतीजा ये कि माननीय को खुद डिंग-डिंग करके जाना पड़ रहा है!”
इस पोस्ट ने दिखा दिया कि जनता और सोशल मीडिया के नजरिए से सत्ता की चमकदार रिपोर्टें और जमीनी हकीकत में काफी बड़ा अंतर है।

हाजीपुर का भीषण जलजमाव
हाजीपुर में भारी बारिश और जलजमाव ने शहर की सड़कों और गलियों को तालाब में बदल दिया। नागरिकों को आवागमन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। ऐसे हालात में सांसद को खुद कदमताल करते हुए परिवार तक पहुंचना पड़ा, जो विकास की बड़ी कहानियों और सरकारी रिपोर्टों के विपरीत प्रतीत हुआ।
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विपक्ष की प्रतिक्रिया
Chirag Paswan Hajipur News: विपक्ष ने इस तस्वीर को चुनावी मुद्दे के रूप में पेश किया। उनका कहना है कि रिपोर्टेड विकास और असली स्थिति में जमीन-आसमान का फर्क है। लोगों के लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव और जलजमाव जैसी समस्याएं यह दिखाती हैं कि घोषणाएं और योजनाएं कितनी प्रभावी रही हैं।

हाजीपुर की यह घटना बताती है कि सत्ता की चमक और जमीनी हकीकत में काफी अंतर हो सकता है। 20 साल के विकास के दावे जनता के सामने सिर्फ आंकड़ों तक सीमित रह गए हैं, जबकि असली जीवन में नागरिकों को साधारण मदद तक पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। चिराग पासवान का “डिंग-डिंग” सफर अब सोशल मीडिया और विपक्ष के लिए प्रतीक बन गया है कि सत्ता की तस्वीर हमेशा रिपोर्ट्स में नहीं दिखती।