पूर्व आईपीएस शिवदीप लांडे का बड़ा राजनीतिक दांव: दो सीटों से चुनाव मैदान में उतरेंगे | Shivdeep Lande Bihar Election 2025
पटना ब्यूरो। बिहार की राजनीति में एक नया और चर्चित चेहरा उतरने जा रहा है — पूर्व आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे, जिन्होंने बुधवार को फेसबुक लाइव के माध्यम से यह घोषणा की कि वे दो विधानसभा सीटों — मुंगेर की जमालपुर और अररिया से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेंगे।
यह घोषणा न केवल उनके समर्थकों में उत्साह लेकर आई है, बल्कि बिहार की सियासत में भी नई हलचल पैदा कर दी है।
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आईपीएस से जनता के नेता तक – एक यात्रा
शिवदीप लांडे 2006 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे हैं, जिन्होंने अपनी सेवा के दौरान एक सख्त और जनता से जुड़े अधिकारी के रूप में अपनी पहचान बनाई।
मुंगेर में उनकी पहली पोस्टिंग हुई थी, जहां वे अपराध पर सख्त कार्रवाई और अनुशासनप्रिय रवैये के लिए जाने गए।
बाद में अररिया में बतौर एसपी उन्होंने न केवल अपराध पर लगाम लगाई बल्कि गरीबों और युवाओं के बीच “जनता के पुलिसवाले” के नाम से लोकप्रिय हुए।
उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि जब वे किसी जिले से ट्रांसफर होते थे, तो लोगों ने सड़कों पर उतरकर उनके समर्थन में प्रदर्शन किए।
‘हिंद सेना’ का गठन और नया सफर
पुलिस सेवा छोड़ने के बाद, शिवदीप लांडे ने अप्रैल 2025 में ‘हिंद सेना’ नामक संगठन की स्थापना की।
इस संगठन का उद्देश्य समाजसेवा, शिक्षा और युवा सशक्तिकरण को बढ़ावा देना बताया गया।
हालांकि, चूंकि संगठन का राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण नहीं हुआ है, इसलिए लांडे ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
फेसबुक लाइव में उन्होंने कहा —
“मैं किसी पार्टी की विचारधारा से नहीं, जनता की आवाज़ से प्रेरित हूं। जनता चाहती है कि मैं चुनाव लड़ूं, इसलिए मैं मैदान में उतर रहा हूं।”
मुंगेर और अररिया क्यों चुने?
दोनों क्षेत्र शिवदीप लांडे के कार्यकाल से गहराई से जुड़े हैं।
मुंगेर वह जगह है जहां उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी, और अररिया वह जिला है जहां उन्होंने अपनी पहचान को मजबूत किया।
दोनों ही इलाकों में उनकी लोकप्रियता काफी अधिक है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि “लांडे का यह निर्णय रणनीतिक है — एक भावनात्मक जुड़ाव और जमीनी पकड़ दोनों जगह मौजूद है।”
बिहार की राजनीति में नया समीकरण
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पहले से ही एनडीए और महागठबंधन के बीच तीखी प्रतिस्पर्धा का गवाह है।
ऐसे में शिवदीप लांडे जैसे चर्चित और प्रभावशाली पूर्व अधिकारी का मैदान में उतरना, राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि लांडे अगर कुछ सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो वे आने वाले समय में किसी बड़े दल के लिए ‘किंगमेकर’ या भविष्य के चेहरे के रूप में उभर सकते हैं।
जनता की प्रतिक्रिया और समर्थन
शिवदीप लांडे के चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों की बाढ़ आ गई।
लोगों ने फेसबुक और एक्स (ट्विटर) पर लिखा —
“ईमानदारी की राजनीति शुरू हो चुकी है।”
“बिहार को ऐसे नेता की जरूरत है जो जनता से सीधे जुड़ा हो।”
उनकी लोकप्रियता खासकर युवाओं में अत्यधिक है, जो उन्हें प्रेरणा और ईमानदारी के प्रतीक के रूप में देखते हैं।
आगे की राह
हालांकि दो सीटों से निर्दलीय चुनाव लड़ना आसान नहीं होगा, पर शिवदीप लांडे का नाम और छवि उनके सबसे बड़े हथियार हैं।
उनका कहना है —
“मैं चुनाव जीतने नहीं, बदलाव लाने आया हूं।”
बिहार की राजनीति में जहां जातिगत समीकरण और पार्टी गठबंधन हावी रहते हैं, वहां लांडे जैसे चेहरे का निर्दलीय उतरना जनता की सोच और चुनावी रणनीति दोनों को नया मोड़ दे सकता है।
वेब स्टोरी:
शिवदीप लांडे का यह कदम न सिर्फ बिहार के आगामी चुनाव में नई ऊर्जा और उम्मीदें लेकर आया है, बल्कि यह संकेत भी दे रहा है कि अब जनता पार्टी नहीं, चेहरे देखेगी।
अगर वे जनता का विश्वास जीतने में सफल होते हैं, तो यह बिहार की राजनीति में एक नई शुरुआत साबित हो सकती है।