मुजफ्फरपुर में पारस की पार्टी की रणनीति तेज, सभी 11 सीटों पर उतरेगी आरएलजेपी
मुजफ्फरपुर में बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी तेज हो गई है। पशुपति कुमार पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) ने बड़ा दांव खेलते हुए यह घोषणा की है कि वह जिले की सभी ग्यारह विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।
पार्टी जिलाध्यक्ष अजय कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश नेतृत्व के निर्देश पर सोमवार को भगवानपुर स्थित जिला कार्यालय में एक आपात बैठक बुलाई गई है, जिसमें उम्मीदवारों के नामों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
छोटे दलों से समझौते की कवायद, तीसरे मोर्चे का संकेत
अजय कुमार सिंह ने कहा कि आरएलजेपी छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा तैयार करने की दिशा में काम कर रही है। उनका कहना था कि “हमारा लक्ष्य केवल सीट जीतना नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में एक सशक्त विकल्प प्रस्तुत करना है।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार की राजनीति एनडीए और महागठबंधन के बीच बंटी हुई है। ऐसे में पारस की पार्टी का यह कदम राजनीतिक समीकरणों को नया मोड़ दे सकता है।
उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया शुरू, बायोडेटा और आवेदन होंगे जमा
जिलाध्यक्ष अजय कुमार सिंह के अनुसार, पार्टी ने संभावित प्रत्याशियों से बायोडेटा और आवेदन पत्र मांग लिए हैं। सभी दस्तावेजों को समीक्षा के बाद प्रदेश कार्यालय को भेजा जाएगा, जहां अंतिम सूची पर मुहर लगेगी।
प्रदेश नेतृत्व की ओर से मिले निर्देशों के तहत हर सीट पर स्थानीय और सक्रिय कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाएगी। पार्टी का फोकस उन चेहरों पर रहेगा जो जनता से सीधे जुड़े हैं और क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत है।
दो दिनों के अवकाश के बाद फिर शुरू हुआ नामांकन
बिहार चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया 10 अक्टूबर से शुरू हुई थी। दो दिनों के अवकाश (शनिवार और रविवार) के बाद सोमवार को एक बार फिर नामांकन का सिलसिला शुरू हुआ।
इस दौरान प्रत्याशियों की भीड़ चुनाव कार्यालयों में देखी गई। कई दलों के कार्यकर्ताओं ने संभावित उम्मीदवारों के समर्थन में नारेबाजी की।
सूत्रों के अनुसार, अब तक 20 से अधिक प्रत्याशी नाजिर रसीद कटवा चुके हैं, जबकि सोमवार को यह संख्या और बढ़ सकती है।
कांटी सीट से पहले ही हुआ नामांकन, बढ़ी हलचल
कांटी विधानसभा सीट से राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी की ओर से विरेंद्र कुमार विश्वास ने नामांकन दाखिल किया है। इसके साथ ही मुजफ्फरपुर की राजनीति में हलचल बढ़ गई है।
जानकारी के अनुसार, पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा के पुत्र संजीव कुमार शर्मा का नाम भी संभावित प्रत्याशियों में शामिल है। हालांकि भाजपा और जदयू की ओर से अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
राजनीतिक समीकरणों में नया मोड़
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आरएलजेपी का यह कदम एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।
यदि पशुपति पारस छोटे दलों को साथ लेकर तीसरा मोर्चा बनाने में सफल होते हैं, तो कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो जाएगा।
इससे बड़ी पार्टियों की पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
स्थानीय स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह
मुजफ्फरपुर के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों — कांटी, सकरा, बोचहा, गायघाट, और मीनापुर सहित अन्य इलाकों में आरएलजेपी कार्यकर्ताओं में जोश देखा जा रहा है।
पार्टी दफ्तरों पर बैठकों का दौर जारी है और नए कार्यकर्ता भी पार्टी में शामिल हो रहे हैं।
जिलाध्यक्ष अजय कुमार सिंह ने कहा, “यह चुनाव मुजफ्फरपुर की जनता की आवाज़ बनेगा। हम जनता के मुद्दों को सर्वोपरि रखकर आगे बढ़ेंगे।”
जनता के मुद्दों पर केंद्रित होगी चुनावी रणनीति
आरएलजेपी की रणनीति में रोजगार, महंगाई, शिक्षा और किसानों की समस्याएं प्रमुख रहेंगी।
अजय कुमार सिंह ने कहा कि पार्टी ने गांव-गांव जाकर जन संवाद की शुरुआत कर दी है।
उन्होंने दावा किया कि जनता इस बार विकल्प चाहती है और आरएलजेपी वही विकल्प साबित होगी।
निष्कर्ष: बिहार की राजनीति में ‘तीसरे मोर्चे’ की आहट
पशुपति पारस की यह पहल बिहार की राजनीति में एक नए समीकरण की नींव रख सकती है।
मुजफ्फरपुर जैसे बड़े जिले से सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारना केवल चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है—
कि आरएलजेपी अब केवल सहयोगी दल नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र और सशक्त ताकत के रूप में उभरना चाहती है।