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जनसुराज में टिकट बिक्री का घोटाला: संस्थापक सदस्य ने खोली प्रशांत किशोर की पोल

Jansuraj Ticket Scandal
Jansuraj Ticket Scandal: बिहार में जनसुराज पार्टी के अंदर टिकट बिक्री का आरोप, संस्थापक सदस्य ने खोली पोल
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जनसुराज में टिकट बिक्री विवाद: पार्टी की आंतरिक गतिविधियों पर उठे गंभीर सवाल

बिहार विधानसभा चुनाव के पूर्व, जनसुराज पार्टी (Jansuraj Party) के भीतर एक बड़ा राजनीतिक संकट उभरकर सामने आया है। पार्टी के संस्थापक सदस्य और मुजफ्फरपुर वार्ड पार्षद संजय केजरीवाल ने पार्टी सुप्रीमो प्रशांत किशोर (पीके) और उनकी टीम पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके आरोपों ने न केवल पार्टी की छवि को प्रभावित किया है, बल्कि चुनावी सियासी हलचलों को भी उग्र कर दिया है।

टिकट बिक्री का आरोप और संस्थापक सदस्य का बयान

संजय केजरीवाल ने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि पार्टी के कुछ पदाधिकारी और आईपेक टीम के सदस्यों ने उनसे टिकट देने के बदले दो करोड़ रुपये की मांग की थी। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने यह राशि देने से इनकार किया, तब उनका टिकट काटकर डॉ. अजय कुमार दास को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया।

संजय केजरीवाल का कहना है—
“प्रशांत किशोर खुद को ईमानदारी और पारदर्शिता का प्रतीक बताते हैं, लेकिन उनके नेतृत्व में पार्टी के अंदर टिकटों की खुली बिक्री हो रही है। मुझे टिकट नहीं, इंसाफ चाहिए।”

इस बयान ने पार्टी के अंदरूनी विवादों की गहराई को स्पष्ट किया है। उनके अनुसार, पार्टी के नेतृत्व ने चुनावी फैसलों में पैसों को प्राथमिकता दी और ईमानदारी की बात केवल दिखावा रही।

निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव की घोषणा

संजय केजरीवाल ने घोषणा की कि वे अब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य केवल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है, बल्कि पार्टी की आंतरिक गतिविधियों और भ्रष्टाचार को उजागर करना भी है।

“जनसुराज पार्टी के अंदर की सच्चाई जनता तक पहुंचाना मेरा कर्तव्य है। जनता जानने के योग्य है कि चुनावी प्रक्रिया में पैसे की भूमिका कितनी अहम है,” उन्होंने कहा।

पार्टी की मौन प्रतिक्रिया और संभावित राजनीतिक परिणाम

जनसुराज पार्टी ने अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि चुनावी मौसम में यह खुलासा पार्टी के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। टिकट विवाद और संस्थापक सदस्य का विद्रोह पार्टी की साख को प्रभावित कर सकता है।

विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अगर पार्टी ने जल्दी और प्रभावी प्रतिक्रिया नहीं दी, तो यह मामला मीडिया और विपक्षी दलों के लिए बड़ा हथियार बन सकता है। जनता के बीच पार्टी की छवि कमजोर होने की आशंका जताई जा रही है।

चुनावी पटल पर आने वाले असर

बिहार विधानसभा चुनाव में हर सीट का महत्व बढ़ गया है। ऐसे में पार्टी के भीतर के विवाद और टिकटों की कथित बिक्री चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकती है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और आईपेक टीम पर लगाए गए आरोपों ने सियासी हलचलों को और तेज कर दिया है।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, संस्थापक सदस्य का विद्रोह और निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा जनसुराज पार्टी के लिए गंभीर चुनौती है। इससे पार्टी के समर्थकों में भी भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।

संजय केजरीवाल के आरोपों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चुनावी प्रक्रिया केवल राजनीतिक दाव-पेंच और रणनीतियों तक सीमित नहीं रहती। टिकटों की बिक्री और पार्टी के भीतर पारदर्शिता की कमी ने जनता के विश्वास को प्रभावित किया है। अब यह देखना रोचक होगा कि जनसुराज पार्टी इस संकट का सामना कैसे करती है और आगामी विधानसभा चुनाव में इसका राजनीतिक असर किस प्रकार दिखता है।


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Aakash Srivastava

Writer & Editor at RashtraBharat.com | Political Analyst | Exploring Sports & Business. Patna University Graduate.