Nawada Jail Incident: कैदी नीतीश कुमार पर सिर की चोट, जेल प्रशासन की सफाई पर सवाल
नवादा | Nawada Jail Incident ने एक बार फिर से जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी नीतीश कुमार को सोमवार को गंभीर सिर की चोट के साथ नवादा सदर अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों ने साफ कहा कि कैदी ने खुद बताया कि उसके साथ मारपीट हुई है और यह हेड इंजरी की श्रेणी में आती है।
जेल प्रशासन का दावा है कि नीतीश “फिसल कर गिर गया”। लेकिन सवाल उठता है कि तीन दिनों से सेल में बंद कैदी अचानक कैसे फिसल सकता है, और इतनी गंभीर चोट केवल गिरने से कैसे लगी? विशेषज्ञों का कहना है कि अगर गिरने से चोट लगी होती, तो निशान और खून का पैटर्न अलग दिखता।

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सूत्रों के अनुसार, नीतीश लंबे समय से गया सेंट्रल जेल में शिफ्ट होने की मांग कर रहा था। इसी मुद्दे पर जेल अधिकारियों से उसकी तनातनी भी चल रही थी। ऐसे में अचानक उसे सेल से बाहर निकालना और कुछ ही घंटों बाद गंभीर चोट लगना जेल प्रशासन की “फिसलने” वाली सफाई पर संदेह को और गहरा करता है।
नीतीश वही कैदी है जिसे हिसुआ थाना कांड में सात वर्षीय मासूम मंटूस की हत्या का दोषी पाते हुए न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उसकी पत्नी संगीता देवी को अदालत ने बरी कर दिया था। फिलहाल नीतीश मंडल कारा में सजा काट रहा है।
Nawada Jail Incident ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या कैदियों को न्यायालय की सजा के अलावा जेल प्रशासन की ‘अलग सजा’ भी भुगतनी पड़ती है? डॉक्टर की रिपोर्ट और कैदी के बयान को नकार कर आखिर कौन-सा सच छुपाया जा रहा है?
जेल प्रशासन ने मीडिया को बताया कि “यह पूरी तरह आकस्मिक घटना है। हम जांच कर रहे हैं।” लेकिन कैदी की चोट और उसके पिछले व्यवहार पर नजर डालें तो मामला आकस्मिक होने से कहीं अधिक गंभीर प्रतीत होता है।

वकीलों और मानवाधिकार संगठनों ने भी इस Nawada Jail Incident पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि जेल में कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है। किसी भी प्रकार की मारपीट या अनुचित व्यवहार मानवाधिकार का उल्लंघन है।
मंडल कारा प्रशासन ने इसे महज दुर्घटना बताकर मामले को शांत करने की कोशिश की है। लेकिन कैदी की चोट और उसके पिछले व्यवहार पर नजर डालें तो यह सफाई पूरी तरह भरोसेमंद नहीं लगती। उच्च अधिकारियों को इस Nawada Jail Incident की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
वेब स्टोरी:
विशेषज्ञों का सुझाव है कि जेल में कैदियों की सुरक्षा, उनकी शिकायतों का त्वरित निपटान और शोषण रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ। यह घटना न केवल नवादा मंडल कारा की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि पूरे बिहार के जेल प्रशासन की पारदर्शिता पर भी गंभीर प्रभाव डालती है।
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