बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर एनडीए में सीट बंटवारे की प्रक्रिया में लगातार उलझन बढ़ रही है। गठबंधन के भीतर सबसे बड़ा पेच बनकर सामने आए हैं लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान।
सीटों पर विवाद
सूत्रों के अनुसार, चिराग पासवान 50 से 55 सीटों की मांग पर अड़े हुए हैं, जबकि एनडीए की ओर से उन्हें केवल 25 सीटों का प्रस्ताव दिया गया है। यही मुख्य कारण है कि गठबंधन के भीतर अंतिम सहमति अभी तक नहीं बन पाई है।
दिल्ली से लेकर पटना तक चिराग पासवान की लगातार बैठकें जारी हैं। बीती रात दिल्ली स्थित उनके आवास पर पार्टी के प्रमुख सांसद — वीणा सिंह, शांभवी चौधरी, अरुण भारती, राजेश वर्मा — के साथ बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी भी मौजूद रहे। बैठक में न केवल सीट बंटवारे पर चर्चा हुई बल्कि पार्टी की आगामी रणनीति पर भी गहन विचार-विमर्श हुआ।
सम्मानजनक हिस्सेदारी की मांग
चिराग पासवान ने स्पष्ट कर दिया है कि वे “सम्मानजनक हिस्सेदारी” से कम पर समझौता नहीं करेंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, लोजपा (रामविलास) की कोर कमेटी ने यह निर्णय लिया था कि सीट बंटवारे का अंतिम फैसला केवल चिराग पासवान ही करेंगे।

राजनीतिक विश्लेषण
विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद लोजपा (रामविलास) की बढ़ती राजनीतिक हैसियत और चिराग पासवान की आक्रामक रणनीति का संकेत है। चिराग अब खुद को बिहार में भाजपा का “समानांतर चेहरा” स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसका असर एनडीए के अंदरूनी समीकरणों पर भी पड़ रहा है।
आने वाली रणनीति और राजनीति की दिशा
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि चिराग पासवान कब तक अपने पत्ते खोलते हैं। आगामी कुछ दिनों में यह स्पष्ट होगा कि वे एनडीए के साथ बने रहेंगे या फिर नया राजनीतिक रास्ता अपनाएंगे। इस फैसले से बिहार की राजनीति में नई दिशा और गठबंधन समीकरण तय होंगे।
एनडीए के लिए यह चुनौती है कि कैसे वे चिराग की मांग और अपनी सीट शेयरिंग रणनीति के बीच संतुलन बनाए रखें, ताकि गठबंधन मजबूत और टिकाऊ दिखाई दे।