बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम 2025 पर सम्पादकीय समीक्षा
राजद की हार, लेकिन उम्मीद की पगडंडी भी साफ
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के ताजा नतीजों ने राज्य की राजनीति में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन का माहौल बना दिया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) स्पष्ट रूप से सरकार बनाते दिखाई दे रहा है, जबकि राज्य का प्रमुख विपक्ष, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), भारी पराजय के बाद भी कुछ ऐसी उपलब्धियों पर टिक सकता है जो उसके राजनीतिक भविष्य को आकार दे सकती हैं।
राजद का वोट शेयर बना संबल
चुनाव आयोग के प्रारंभिक रुझानों के अनुसार, तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर जनता का भरोसा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। राजद को इस चुनाव में 22.79 प्रतिशत वोट शेयर प्राप्त हुआ, जो भारतीय जनता पार्टी के 2.27 प्रतिशत और जनता दल यूनाइटेड के 3.8 प्रतिशत अधिक है। यह तथ्य स्वयं में संकेत देता है कि सीटों की कमी के बावजूद पार्टी का सामाजिक और राजनीतिक आधार अभी भी मजबूत है।
राजद ने 243 सीटों वाली विधानसभा में 143 सीटों पर प्रत्याशी उतारे, किंतु वर्तमान स्थिति में पार्टी केवल 25 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। 2010 के बाद यह पार्टी का दूसरा सबसे कमजोर प्रदर्शन माना जा रहा है, जब राजद को महज 22 सीटें मिली थीं।
हार के बीच छिपा राजनीतिक संदेश
साफ है कि राजद की हार केवल संगठनात्मक कमजोरी नहीं बल्कि सीटों के वितरण, स्थानीय समीकरणों और गठबंधन की रणनीति में खामियों का परिणाम भी है। इसके बावजूद इतना मजबूत वोट शेयर यह स्पष्ट करता है कि जनता की एक बड़ी संख्या अभी भी राजद को राज्य की मुख्य राजनीतिक शक्ति के रूप में देखती है।
यह चुनाव तेजस्वी यादव के राजनीतिक सफर का महत्वपूर्ण मोड़ सिद्ध हो सकता है। न केवल इसलिए कि उन्होंने एक मजबूत वोट आधार बनाए रखा, बल्कि इसलिए भी कि उन्हें अब यह सीखने का अवसर मिला है कि अपनी पार्टी को नई दिशा, नई ऊर्जा और नई रणनीति की आवश्यकता है।
एनडीए की बढ़त और जनता का संदेश
एनडीए के पक्ष में आए रुझान इस बात का संकेत हैं कि मतदाता स्थिर शासन और विकास केंद्रित राजनीति के प्रति झुकाव दिखा रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के साझा नेतृत्व ने एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पहुंच साबित की है।
विपक्ष को यह समझना होगा कि केवल सरकार विरोधी भावना से चुनाव जीतना संभव नहीं, बल्कि जनता को ठोस नीतिगत विकल्प देना अनिवार्य है।
राजद के लिए आगे की राह
राजद के पास इस समय वह अवसर है जब वह अपनी संगठनात्मक संरचना को मजबूत कर सकती है। युवा नेतृत्व, डिजिटल प्रचार, नए सामाजिक समूहों तक पहुंच और स्थानीय स्तर पर मजबूत कैडर विकसित करना समय की मांग है।
तेजस्वी यादव के समक्ष यह अवसर भी है कि वे पार्टी को पुरानी शैली से निकालकर अधिक आधुनिक, मुद्दा-आधारित और सकारात्मक राजनीति की ओर ले जाएं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम जहाँ एनडीए के लिए राहत लेकर आए हैं, वहीं राजद के लिए चिंतन, सुधार और पुनर्निर्माण का अवसर बने हैं। सीटों की पराजय के बाद भी वोट शेयर पार्टी के लिए संजीवनी है, जो इस बात का प्रमाण है कि जनता अभी भी एक मजबूत विपक्ष चाहती है।
राजद यदि इस संदेश को गंभीरता से समझे और स्थानीय स्तर पर चुनावी तथा सामाजिक रणनीति को मजबूत करे, तो यह हार उसके लिए एक नयी शुरुआत का आधार बन सकती है।