बिहार चुनाव 2025 से पहले सियासी तूफान: सुनील सिंह पर एफआईआर से गरमाई राजनीति
बिहार चुनाव 2025 के नतीजों से ठीक पहले राज्य की राजनीति में नया तूफान उठ खड़ा हुआ है। राजद के विधान पार्षद सुनील कुमार सिंह पर भड़काऊ बयान देने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है। यह बयान मतगणना प्रक्रिया को लेकर दिया गया था, जिसने प्रशासन से लेकर आम जनता तक हलचल मचा दी है।
विवादास्पद बयान से बिगड़ा माहौल
राजद एमएलसी सुनील सिंह ने अपने बयान में कहा कि “अगर इस बार मतगणना में बेईमानी हुई तो बिहार की सड़कें नेपाल जैसी होंगी।” इस कथन को लेकर पुलिस ने इसे भड़काऊ और शांति भंग करने वाला माना है।
पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर पटना साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है। दारोगा खुशबू कुमारी के आवेदन पर दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि सुनील सिंह के बयान से लोगों में घृणा और वैमनस्य की भावना उत्पन्न होने की आशंका है, जो कानून-व्यवस्था को बिगाड़ सकती है।
दर्ज हुई धाराएँ और कानूनी कार्रवाई
राजद एमएलसी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 174, 353, 352 और 123(4) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन धाराओं के तहत चुनाव प्रक्रिया में बाधा डालने, सरकारी कार्य में हस्तक्षेप करने और सार्वजनिक शांति भंग करने के अपराध शामिल हैं। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है और बयान के सभी डिजिटल सबूत एकत्रित किए जा रहे हैं।
सत्ताधारी दल ने विपक्ष को घेरा
जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए कहा कि हार की आशंका से विपक्षी नेताओं के बोल बिगड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि “जब हार पक्की दिखती है, तो इस तरह के बयान विपक्ष की हताशा को दर्शाते हैं।”
राजीव रंजन ने आगे कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनना तय है, और यह घबराहट विपक्ष को अनर्गल बयानबाजी के लिए प्रेरित कर रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि महागठबंधन ने मतगणना प्रक्रिया को लेकर दुष्प्रचार फैलाने की साजिश रची है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
दूसरी ओर, राजद खेमे ने कहा है कि उनका उद्देश्य केवल निष्पक्ष चुनाव की मांग करना है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि “एफआईआर दर्ज कर सरकार विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। जनता सब देख रही है।”
राजद नेताओं का कहना है कि यह कार्रवाई लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है और जनता इसका जवाब मतपेटियों में देगी।
मतगणना से पहले सियासी माहौल में तनाव
बिहार में मतगणना से पहले ही राजनीतिक बयानबाज़ी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। नीतीश कुमार की अगुवाई वाले एनडीए और तेजस्वी यादव के महागठबंधन के बीच सत्ता की लड़ाई अब सड़क से सोशल मीडिया तक फैल चुकी है।
सुनिल सिंह का बयान न केवल चुनाव आयोग बल्कि राज्य की प्रशासनिक machinery के लिए भी चुनौती बन गया है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो चुकी हैं ताकि मतगणना के दिन किसी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके।
जनता की नब्ज़ और सियासी समीकरण
विश्लेषकों का मानना है कि बिहार की जनता इस बार मुद्दों के आधार पर मतदान कर रही है, न कि सिर्फ़ जातिगत समीकरणों पर। रोजगार, विकास और कानून-व्यवस्था जैसे विषय केंद्र में हैं।
हालांकि, इस तरह के बयानों से चुनावी माहौल में तनाव बढ़ता जा रहा है और यह देखना दिलचस्प होगा कि मतगणना के बाद जनता का जनादेश किसके पक्ष में जाता है—नीतीश कुमार या तेजस्वी यादव।