Bihar Exit Poll 2025: एनडीए को बहुमत के संकेत, पर जनता की पहली पसंद बने तेजस्वी यादव
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मतदान पूर्ण होने के बाद जारी हुए एग्जिट पोल ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी किए गए एग्जिट पोल के अनुसार, राज्य में एक बार फिर एनडीए गठबंधन को बहुमत मिलता दिखाई दे रहा है। हालांकि, मुख्यमंत्री पद के लिए जनता की पहली पसंद इस बार भी तेजस्वी यादव बने हुए हैं।
एनडीए को स्पष्ट बहुमत, नीतीश को सीमित समर्थन
एग्जिट पोल के आंकड़ों के अनुसार, एनडीए गठबंधन को बिहार में बहुमत की स्थिति प्राप्त हो सकती है। एक्सिस माय इंडिया और सी-वोटर जैसी प्रमुख एजेंसियों के सर्वे के मुताबिक, एनडीए को 130 से 150 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं महागठबंधन को 90 से 110 सीटों के बीच सिमटने का पूर्वानुमान जताया गया है।
हालांकि, मुख्यमंत्री पद के लिए जनता की राय कुछ अलग है। सर्वे के अनुसार, केवल 22 प्रतिशत मतदाता मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार को पसंद करते हैं, जबकि 34 प्रतिशत लोगों ने तेजस्वी यादव को अपनी पसंद बताया।
जनता के दिल में क्यों हैं तेजस्वी यादव?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव की लोकप्रियता का कारण उनकी लगातार जनसंपर्क यात्रा और युवाओं के बीच बनी सशक्त छवि है। बेरोजगारी, शिक्षा और विकास जैसे मुद्दों पर तेजस्वी ने बीते वर्षों में मुखरता दिखाई है।
बिहार के ग्रामीण इलाकों में तेजस्वी की पकड़ पहले से मजबूत मानी जाती रही है, लेकिन इस बार शहरी मतदाताओं में भी उनके लिए झुकाव देखा गया है।
चिराग पासवान और प्रशांत किशोर को भी समर्थन
Bihar Exit Poll 2025: एग्जिट पोल में अन्य नेताओं के नाम पर भी मतदाताओं की राय ली गई। चिराग पासवान को 5 प्रतिशत लोगों ने मुख्यमंत्री पद के लिए पसंद किया, जबकि जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर को 4 प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन मिला।
सम्राट चौधरी को मात्र 2 प्रतिशत लोगों ने मुख्यमंत्री पद के लिए उपयुक्त माना, जबकि लालू यादव को भी 2 प्रतिशत मतदाता आज भी पसंद करते हैं।
विपक्षी एकता पर उठ रहे सवाल
महागठबंधन की स्थिति पर नज़र डालें तो तेजस्वी यादव के अलावा किसी अन्य नेता को पर्याप्त जनसमर्थन नहीं मिल सका। कांग्रेस के संभावित मुख्यमंत्री चेहरे को केवल 3 प्रतिशत समर्थन मिला है। इससे स्पष्ट है कि विपक्षी खेमे में नेतृत्व को लेकर अभी भी अस्पष्टता बनी हुई है।
राजनीतिक विश्लेषक इसे महागठबंधन की सबसे बड़ी कमजोरी मान रहे हैं। एनडीए जहां नीतीश कुमार और बीजेपी के संगठित ढांचे पर भरोसा कर रहा है, वहीं महागठबंधन तेजस्वी यादव के व्यक्तिगत करिश्मे पर टिका नजर आता है।
आने वाले नतीजों पर टिकी निगाहें
एग्जिट पोल के नतीजों ने भले ही एनडीए की जीत की संभावनाओं को बढ़ा दिया हो, लेकिन असली तस्वीर 20 नवंबर को मतगणना के बाद ही सामने आएगी।
फिलहाल, जनता की पसंद और एग्जिट पोल के बीच बना यह विरोधाभास बिहार की राजनीति में नया अध्याय जोड़ सकता है। यदि तेजस्वी यादव बहुमत न होने के बावजूद जनता के सबसे लोकप्रिय चेहरा बने रहते हैं, तो यह भविष्य के लिए राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव ला सकता है।