एनडीए में सीट बंटवारे पर गतिरोध
पटना: बिहार में एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर गतिरोध अब समाप्त होने के कगार पर है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान से मुलाकात कर विवाद सुलझाने का प्रयास किया। बैठक के बाद दोनों नेताओं ने मीडिया को संकेत दिया कि बातचीत सकारात्मक रही।
चिराग पासवान ने कहा कि सकारात्मक बातचीत हुई है, लेकिन सीटों की संख्या से जुड़े सवाल पर उन्होंने कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। एनडीए नेताओं के अनुसार चिराग को अधिकतम 25 सीटों का प्रस्ताव दिया गया है, जिसे वह स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
JDU और BJP की जिम्मेदारियां
जदयू ने साफ कर दिया है कि उसका न्यूनतम दायित्व 105 सीटों पर उम्मीदवार उतारना है। बाकी की 138 सीटों की जिम्मेदारी भाजपा की है, जिसे वह गठबंधन के अन्य दलों—लोजपा (चिराग), हिंदुस्तान अवामी मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा—के बीच समन्वय कर सकती है।
बीजेपी नेतृत्व पर दबाव है कि वह सभी दलों की मांगों का संतुलित समाधान निकाले और गठबंधन की स्थिरता बनाए रखे।
गठबंधन के अन्य दलों की मांगें
-
उपेंद्र कुशवाहा: राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष ने 24 विधानसभा सीटों की सूची भाजपा को सौंप दी। 2015 में उनकी पार्टी को 23 सीटें मिली थीं।
-
हिंदुस्तान अवामी मोर्चा (मांझी): 15 सीटों की मांग कर रहा है।
-
चिराग पासवान: लोजपा (रामविलास) को 25 सीटों का प्रस्ताव मिला है, परंतु वे संतुष्ट नहीं हैं।
बीजेपी के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण मामला चिराग पासवान और हिंदुस्तान अवामी मोर्चा का है। कुशवाहा को लेकर दबाव अपेक्षाकृत कम है।
सीट बंटवारे का महत्व
बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारा एनडीए की जीत के लिए अहम है। जदयू की 105 सीटें और भाजपा की 138 सीटों की जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करती हैं कि गठबंधन संतुलित और प्रभावी ढंग से चुनाव में उतरे।
विशेषज्ञों का कहना है कि गठबंधन दलों की मांगों का संतुलित समाधान निकालना भाजपा के लिए राजनीतिक रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे न केवल गठबंधन मजबूत होगा, बल्कि एनडीए की जीत की संभावना भी बढ़ेगी।
बिहार में एनडीए की सीट बंटवारे की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। जदयू, भाजपा और अन्य घटक दलों की मांगों को संतुलित करते हुए गठबंधन को मज़बूत बनाए रखना दोनों पक्षों के लिए महत्वपूर्ण है। नित्यानंद राय और अन्य नेताओं की सक्रिय भूमिका से यह गतिरोध जल्द सुलझ सकता है।
एनडीए की रणनीति इस बार सीटों के न्यायसंगत वितरण, गठबंधन के संतुलन और चुनावी सफलता सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।