Bihar Politics 2025: महागठबंधन के हमले भाजपा पर केंद्रित, नीतीश कुमार पर नरमी के पीछे क्या है राजनीतिक सोच?

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Bihar Politics 2025: महागठबंधन के हमले भाजपा पर केंद्रित, नीतीश कुमार पर नरमी के पीछे क्या है राजनीतिक सोच? (File Photo)
Bihar Assembly Elections 2025 में महागठबंधन ने भाजपा, मोदी और शाह पर तीखे हमले किए लेकिन नीतीश कुमार पर नरमी दिखाई। तेजस्वी यादव ने रोजगार और प्रवासन को मुद्दा बनाया, जबकि नीतीश ने प्रचार में सक्रिय रहकर अपनी छवि मजबूत की। यह राजनीतिक नरमी रणनीति थी या संयोग, यह परिणाम तय करेगा।
नवम्बर 12, 2025

Bihar Politics 2025: बिहार की राजनीति में नई पहेली — नीतीश पर नरमी, भाजपा पर तीखे वार

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का रण अपने निर्णायक दौर में है। इस बार की राजनीति में एक दिलचस्प तस्वीर उभरी है—जहाँ महागठबंधन (RJD, Congress और वाम दल) भाजपा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर जमकर हमलावर रहा, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति उसका रवैया असामान्य रूप से नरम दिखाई दिया। दो दशक तक सत्ता में रहने के बावजूद नीतीश के खिलाफ अपेक्षित सत्ता-विरोधी लहर नहीं उभर पाई।

नीतीश पर सीधे हमले से बचा महागठबंधन

महागठबंधन ने चुनावी अभियान में बार-बार भाजपा को “रिमोट कंट्रोल सरकार चलाने वाला” बताकर जनता के बीच असंतोष भड़काने की कोशिश की। लेकिन नीतीश कुमार पर केंद्रित हमले बहुत कम दिखाई दिए। विपक्ष ने उन्हें भाजपा की “ढाल” बताया, मगर व्यक्तिगत स्तर पर आक्रामक रुख नहीं अपनाया।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि महागठबंधन की यह रणनीति सोच-समझकर बनाई गई थी। दरअसल, नीतीश का अब भी ग्रामीण मतदाताओं के बीच “संयमी और अनुभवी” नेता के रूप में प्रभाव बना हुआ है। महागठबंधन यह जोखिम नहीं लेना चाहता था कि नीतीश पर सीधा हमला कर वह मध्यवर्गीय या महिला मतदाताओं को नाराज करे।

तेजस्वी यादव ने उठाए रोजगार और प्रवासन के मुद्दे

विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने अपनी सभाओं में रोजगार, नौकरी और प्रवासन को मुख्य मुद्दा बनाया। उन्होंने नीतीश सरकार द्वारा दी गई नौकरियों और रोजगार योजनाओं का श्रेय भी खुद लेने का प्रयास किया।
उन्होंने कहा कि “अगर हमारी सरकार होती, तो युवाओं को स्थायी नौकरी और सम्मानजनक वेतन मिलता।” तेजस्वी ने नीतीश द्वारा महिलाओं को रोजगार के लिए दी गई 10-10 हजार रुपये की सहायता को “चुनावी रिश्वत” बताया, और सत्ता में आने पर 30-30 हजार रुपये देने का वादा कर दिया।

भाजपा को बताया मुख्य प्रतिद्वंद्वी

Bihar Politics 2025: महागठबंधन के सभी प्रमुख नेताओं ने चुनाव प्रचार में भाजपा को ही अपना मुख्य शत्रु बताया। यह रुख इतना स्पष्ट था कि कई बार मंचों से भी कहा गया — “हमारा मुकाबला भाजपा से है, नीतीश तो बस मोहरा हैं।”
इस रवैये से यह भी स्पष्ट हुआ कि महागठबंधन ने नीतीश के साथ किसी भविष्य की संभावित राजनीतिक समीकरण की संभावना खुली रखी।

सत्ता-विरोधी लहर के अभाव की वजह

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि सत्ता-विरोधी लहर न बनने की बड़ी वजह भाजपा की आक्रामक चुनावी रणनीति भी रही। भाजपा ने हर स्तर पर महागठबंधन पर ताबड़तोड़ हमले किए, जिससे विपक्ष का अधिकतर समय जवाब देने में ही बीत गया। इस बीच, नीतीश कुमार ने लगातार प्रचार करके अपने “फिट और सक्रिय” नेता की छवि को फिर से पुष्ट किया।

प्रचार के मैदान में भी सक्रिय दिखे नीतीश

नीतीश कुमार ने खराब मौसम के बावजूद 75 से अधिक जनसभाएँ और कई रोड शो किए। जब अन्य नेता हेलीकॉप्टर न उड़ने के कारण घर या होटल में रुके रहे, नीतीश ने सड़क मार्ग से दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर का दौरा किया। उस दिन उन्होंने 200 किलोमीटर से अधिक की यात्रा की।
उनका भाषण भी बेहद संयमित और संतुलित रहा। एक महिला उम्मीदवार को जीत की माला पहनाने को लेकर उठे विवाद पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, बल्कि जनता ने इसे “वरिष्ठता का सम्मान” कहकर उनकी छवि को और मजबूत किया।

क्या रणनीति थी ‘नरमी’ की?

महागठबंधन के भीतर यह चर्चा भी रही कि नीतीश के प्रति नरमी बरतकर भविष्य में संभावित गठजोड़ के रास्ते खुले रखे जाएँ। चूँकि बिहार की राजनीति में कोई भी समीकरण स्थायी नहीं रहता, इसीलिए विपक्ष ने “पुल जलाने” की बजाय “संवाद के दरवाजे” खुले रखे।
यह रणनीति कामयाब रही या नहीं, यह तो चुनाव परिणाम बताएगा, लेकिन एक बात स्पष्ट है—बिहार की राजनीति में इस बार विचारों से ज़्यादा भावनाओं की लड़ाई लड़ी जा रही है।

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