बिहार सरकार गठन 2025 की औपचारिक प्रक्रिया शुरू
पटना। बिहार में सरकार गठन की प्रक्रिया अब निर्णायक चरण में प्रवेश कर चुकी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मिलकर वर्तमान विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव सौंप दिया। इस प्रस्ताव के स्वीकार होने के साथ ही बिहार विधानसभा 19 नवंबर को भंग होने जा रही है। राज्यपाल ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने का अनुरोध किया है। राजनीतिक विश्लेषक इसे बिहार में सत्ता परिवर्तन की शुरुआत मान रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की ऐतिहासिक जीत के बाद सरकार गठन की प्रक्रिया और भी तेजी से आगे बढ़ रही है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा और जेडीयू गठबंधन की बैठक में मुख्यमंत्री पद के नाम पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
विधानसभा भंग और कार्यवाहक मुख्यमंत्री की भूमिका
नीतीश कुमार का राज्यपाल से मिलना और विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव देना राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। मौजूदा विधानसभा की अवधि समाप्त होने के बाद राज्यपाल नए सरकार गठन के लिए एनडीए को औपचारिक निमंत्रण देंगे। कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार को प्रशासनिक कार्यों की जिम्मेदारी दी गई है, जिससे राज्य की सरकारी मशीनरी सुचारू रूप से चलती रहे।
विशेषज्ञों का कहना है कि कार्यवाहक मुख्यमंत्री की भूमिका न केवल प्रशासनिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह नई सरकार गठन की प्रक्रिया को भी सुव्यवस्थित बनाने में सहायक होती है।
एनडीए की बैठक और मुख्यमंत्री पद का निर्णय
भाजपा और जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं ने अगले 48 घंटों के भीतर विधायक दल की बैठक बुलाने का निर्णय लिया है। इस बैठक में नए मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार का चयन किया जाएगा। इसके बाद एनडीए की संयुक्त बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
राजनीतिक समीक्षक मानते हैं कि बिहार में इस समय सत्ता के समीकरण में किसी भी तरह के उतार-चढ़ाव की संभावना न्यूनतम है। एनडीए की वर्तमान जीत और गठबंधन के भीतर सामंजस्य ने नई सरकार गठन को अपेक्षाकृत सरल बना दिया है।
चुनावी परिणाम और राजनीतिक विश्लेषण
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की ऐतिहासिक जीत ने राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया है। इस चुनाव में मतदाता ने स्पष्ट संदेश दिया कि वे स्थिर और विकासोन्मुख सरकार चाहते हैं। राजनीतिक विश्लेषक इस जीत को बिहार में एनडीए की लोकप्रियता और जनता की नीति निर्धारण की इच्छा का परिणाम मान रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, नई सरकार गठन के बाद राज्य में नीतिगत स्थिरता और विकास के लिए कई नई योजनाएँ लागू की जा सकती हैं। इसके साथ ही राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि नई सरकार के गठन के समय किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचने के लिए सभी प्रक्रियाएँ पारदर्शी और संवैधानिक तरीके से की जा रही हैं।
राजनीतिक हलचल और भविष्य की दिशा
बिहार सरकार गठन 2025 की प्रक्रिया राजनीतिक हलचल को और भी तीव्र बना रही है। विधानसभा भंग होने के साथ ही नए नेतृत्व के चयन पर सभी निगाहें टिकी हुई हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि आने वाले कुछ दिनों में मुख्यमंत्री पद का नाम सार्वजनिक किया जा सकता है।
राजनीतिक स्थिरता के साथ-साथ प्रशासनिक दक्षता बनाए रखना नई सरकार की प्राथमिकता होगी। जनता की अपेक्षा है कि नए नेतृत्व के आने के बाद राज्य में विकास की गति और तेज होगी और पिछली सरकार की अधूरी योजनाओं को पूरा किया जाएगा।
बिहार सरकार गठन 2025 की प्रक्रिया यह स्पष्ट करती है कि राज्य में लोकतांत्रिक व्यवस्था और संवैधानिक प्रक्रिया कितनी मजबूत है। विधानसभा भंग और नए मुख्यमंत्री के चयन की प्रक्रिया पूरी तरह विधिक और पारदर्शी ढंग से की जा रही है। आने वाले दिनों में राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में नए बदलाव देखने को मिल सकते हैं, जो बिहार की विकास यात्रा को नई दिशा देंगे।