हत्या की घटना ने मोकामा को फिर से बना दिया सियासी अखाड़ा
पटना ज़िले के अंतर्गत आने वाले मोकामा क्षेत्र में गुरुवार को उस समय सनसनी फैल गई जब कुख्यात अपराधी से नेता बने दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। वे उस समय जनसुराज पार्टी के उम्मीदवार पियूष प्रियदर्शी के समर्थन में प्रचार कर रहे थे। पुलिस के अनुसार, घटना मोकामा ताल क्षेत्र में हुई जहाँ दो विरोधी गुटों के बीच झड़प की सूचना मिली थी।
पुलिस अधीक्षक कार्तिकेय के शर्मा ने बताया कि, “हमें सूचना मिली कि चुनाव प्रचार के दौरान एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि मौत गोली लगने से हुई या किसी अन्य कारण से। शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा रहा है।”
जनसुराज पार्टी के नेता बोले – ‘लोकतंत्र पर हमला’
जनसुराज पार्टी के राज्य अध्यक्ष मनोज भारती ने इस घटना को “लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला” बताया। उन्होंने कहा कि जब जनता के बीच संवाद स्थापित करने के लिए निकले उम्मीदवारों पर हमला किया जाता है, तो यह लोकतंत्र की आत्मा पर आघात है।
उन्होंने कहा, “हमारे मोकामा प्रत्याशी के काफिले पर गोलियां चलाई गईं और दुलारचंद यादव को गाड़ी से कुचल दिया गया। यह क्रूरता किसी सभ्य समाज के लिए शर्मनाक है।”
अपराध और राजनीति का पुराना गठजोड़ फिर चर्चा में
दुलारचंद यादव का नाम बिहार के अपराध जगत में लंबे समय तक भय का पर्याय रहा। मोकामा के दलदली इलाकों में कभी उनके नाम से दहशत फैली रहती थी। बाद में उन्होंने राजनीति का रास्ता अपनाया और राज्य के कई वरिष्ठ नेताओं — लालू प्रसाद यादव तथा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार — से उनके संबंध भी रहे।
बीते वर्षों में यादव ने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली थी, किंतु हाल ही में प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी के मंच पर लौटे थे। उनकी वापसी को राजनीतिक विश्लेषक “मोकामा की बदलती समीकरणों की झलक” मान रहे थे।
विरोधी खेमे पर आरोप, जेडीयू प्रत्याशी का नाम उछला
घटना के बाद दुलारचंद यादव के समर्थकों ने जेडीयू प्रत्याशी और पूर्व विधायक अनंत सिंह पर आरोप लगाए कि उनके समर्थकों ने यह हमला किया।
जनसुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने कहा, “हमारे उम्मीदवार के काफिले पर हमला हुआ और जब दुलारचंद यादव ने बीच-बचाव किया तो उन्हें गोली मार दी गई। यह हत्या नहीं, राजनीतिक साजिश है।”
हालांकि अनंत सिंह ने इस आरोप को पूरी तरह नकारते हुए कहा कि वे घटना स्थल से काफी दूर थे। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि “यह सब साजिश के तहत किया गया ताकि मुझे बदनाम किया जा सके।”
मृत्यु के बाद बढ़ा तनाव, पुलिस ने बढ़ाई चौकसी
घटना के बाद मोकामा क्षेत्र में तनाव फैल गया। यादव के समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया और प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए। पुलिस ने हालात को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल तैनात कर दिया है।
पटना प्रशासन ने कहा है कि “हत्या की जांच हर कोण से की जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।” शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है ताकि मौत के सही कारणों का पता चल सके।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और कानून व्यवस्था पर सवाल
राज्य की राजनीति में यह हत्या नया तूफ़ान लेकर आई है। विपक्षी दलों ने सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं।
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “बिहार में हथियारबंद अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए कि यह कैसा सुशासन है।”
जनसुराज प्रमुख प्रशांत किशोर ने भी ट्वीट किया, “हमारे कार्यकर्ता की हत्या लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए चुनौती है। दोषियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।”
मोकामा बना बिहार की राजनीति का आईना
मोकामा की यह घटना केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में अपराध और सत्ता के गठजोड़ की दुखद पुनरावृत्ति है।
जहाँ एक ओर नई राजनीति का दावा करने वाले दल “बदलाव” की बात करते हैं, वहीं मैदान में फिर वही पुराने हथकंडे, गोलियां और दहशत लौट आई है।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन कितनी निष्पक्षता से इस जाँच को आगे बढ़ाता है और क्या सचमुच मोकामा फिर से शांति की राह पर लौट पाएगा।
यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।