बिहार में बालू खनन पर बढ़ी हलचल
पटना। बिहार में बालू के अवैध खनन को लेकर एक नई स्थिति बन गई है। राज्य के दोनों उपमुख्यमंत्रियों सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा के बीच इस मुद्दे पर शांत लेकिन तेज तनाव दिखाई दे रहा है। दोनों नेता सीधे आमने-सामने नहीं बोल रहे, लेकिन अपने-अपने विभागों को लेकर ऐसे संकेत दे रहे हैं जिससे यह साफ समझ आता है कि वे एक-दूसरे की जिम्मेदारी पर सवाल उठा रहे हैं।
सम्राट चौधरी गृह मंत्री भी हैं और कानून-व्यवस्था का पूरा जिम्मा उनके पास है। पुलिस भी उसी विभाग के तहत आती है। दूसरी ओर विजय कुमार सिन्हा खनन एवं भूतत्व विभाग के मंत्री हैं। उनका साफ आरोप है कि कई जगह पुलिस की लापरवाही से बालू माफिया को मदद मिल रही है। इसी मुद्दे पर दोनों विभाग अपने-अपने स्तर पर सख्ती दिखाने की कोशिश में लग गए हैं।
नई टास्क फोर्स का गठन
बुधवार को उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने आर्थिक अपराध इकाई में एक नई टास्क फोर्स बनाई। इस टास्क फोर्स का काम बालू के अवैध कारोबार, जमीन माफिया की संपत्ति और उनके नेटवर्क की जांच करना है। इस टास्क फोर्स का नेतृत्व डीआईजी डॉ. मानवजीत सिंह ढिल्लो कर रहे हैं। टीम में एसपी राजेश कुमार, चार डीएसपी और पांच इंस्पेक्टर शामिल किए गए हैं।
गृह विभाग कह रहा है कि यह कदम बालू माफियाओं पर तेज कार्रवाई के लिए जरूरी था। इससे अवैध कारोबार की जड़ तक पहुंचने में मदद मिलेगी। लेकिन दूसरी ओर खनन विभाग में पहले से ही एक अलग तंत्र मौजूद है जो बालू खनन की निगरानी करता है। ऐसे में दोनों विभाग अपने-अपने तरीके से कार्रवाई में लगे हुए हैं।
विजय सिन्हा की सख्त टिप्पणी
टास्क फोर्स बनने के एक दिन बाद ही गुरुवार को उपमुख्यमंत्री और खनन मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि कई थाना क्षेत्रों में बिना नंबर प्लेट वाले ट्रैक्टर बालू लेकर खुले में घूम रहे हैं और निकल जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की गड़बड़ियों में पुलिस की भूमिका की जांच होनी चाहिए।
उन्होंने गृह विभाग से कहा है कि पुलिस की जवाबदेही तय की जाए और हर स्तर पर सख्ती दिखाई जाए। विजय सिन्हा का कहना है कि अगर किसी थाना, प्रखंड या अंचल की संलिप्तता सामने आती है, तो उन पर तुरंत कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को भी निर्देश दिया है कि खनन विभाग की टीम को हर जिले में पूरा सहयोग दिया जाए।
विभागों का अलग-अलग अभियान
बालू का अवैध कारोबार बिहार में लंबे समय से विवाद में रहा है। कई बार पुलिस और खनन विभाग के अधिकारियों के नाम भी माफियाओं के साथ जुड़े हुए मिले हैं। इसी कारण दोनों विभाग अब अपनी छवि साफ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
गृह विभाग अपनी टास्क फोर्स के जरिये कार्रवाई बढ़ा रहा है, जबकि खनन विभाग जमीन पर निगरानी कड़ी करने की बात कर रहा है। दोनों विभागों की इन अलग-अलग तैयारियों से यह अंदेशा भी बढ़ गया है कि आगे चलकर दोनों के बीच और बड़ा टकराव हो सकता है।
पहली बार दोनों में कब हुआ था विवाद?
यह कोई पहला मौका नहीं है जब दोनों नेताओं के बीच ऐसी स्थिति बनी हो। 17 मार्च 2021 को दोनों विधानसभा में पहली बार भिड़े थे। उस समय विजय कुमार सिन्हा विधानसभा अध्यक्ष थे और सम्राट चौधरी पंचायती राज मंत्री थे।
सिन्हा कह रहे थे कि पंचायती राज विभाग ऑनलाइन प्रश्नों का उत्तर समय पर नहीं देता। चौधरी ने कहा कि उनका विभाग समय पर उत्तर देता है। इस पर दोनों के बीच बहस बढ़ गई। चौधरी ने कहा कि ज्यादा व्याकुल होने की जरूरत नहीं है। यह बात सिन्हा को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने चौधरी से अपने शब्द वापस लेने को कहा। विवाद बढ़ने पर सिन्हा सदन छोड़कर अपने कक्ष में चले गए।
बाद में सम्राट चौधरी ने कहा कि उनका किसी को आहत करने का इरादा नहीं था। इसके बाद ही सदन की कार्यवाही आगे बढ़ पाई थी। इस पुराने विवाद की वजह से भी कहा जा रहा है कि आज के हालात में दोनों नेताओं के बीच की खाई फिर से बढ़ रही है।
बालू खनन का पुराना खेल और नई चुनौतियाँ
बिहार में बालू खनन लंबे समय से एक बड़ा कारोबार रहा है। इसकी वजह से कई क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था की समस्या भी बढ़ी है। कई बार छापेमारी के दौरान पुलिस टीम पर हमले तक हुए हैं। यह कारोबार कई माफिया समूहों के हाथ में रहा है जो अपनी सुरक्षा और पहुंच के लिए सरकारी तंत्र पर भी दबाव बनाते रहे हैं।
वर्तमान में सरकार चाहती है कि बालू खनन पूरी तरह पारदर्शी और कानूनी तरीके से हो। लेकिन इसके लिए दोनों विभागों का एक साथ चलना जरूरी है। अगर दोनों विभाग अपनी-अपनी दिशा में अलग अभियान चलाते रहे, तो इससे भ्रम की स्थिति भी बनेगी और माफिया दोनों के बीच की दूरी का फायदा उठा सकते हैं।
आगे की राह
राज्य सरकार के सामने यह बड़ी चुनौती है कि दोनों विभागों को एक दिशा में काम करने को कैसे प्रेरित किया जाए। दोनों उपमुख्यमंत्री वरिष्ठ नेता हैं और सरकार के महत्वपूर्ण चेहरे हैं। ऐसे में अगर दोनों में तालमेल बढ़ता है तो बालू खनन पर सही तरीके से रोक लग सकती है।
लेकिन अभी जो संकेत मिल रहे हैं, वे बताते हैं कि दोनों के बीच विश्वास का अभाव है। इससे आने वाले समय में सरकार को अतिरिक्त कठिनाई हो सकती है। फिलहाल देखना यह है कि बालू के अवैध कारोबार को रोकने के लिए दोनों विभाग कैसे साझा रणनीति बनाते हैं।