रोहिणी आचार्य का राजनीति और परिवार से अलविदा: बिहार में उठे राजनीतिक तूफान

Rohini Yadav:
Rohini Yadav: राजनीति और परिवार से त्याग; बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल (File Photo)
रोहिणी आचार्य ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बाद राजनीति और परिवार दोनों से दूरी बनाई। उनके इस निर्णय ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। जदयू और विपक्ष ने इसे राजद में कलह का संकेत माना है, जिससे आगामी चुनावी रणनीतियों पर असर पड़ेगा।
नवम्बर 15, 2025

बिहार में राजनीतिक भूचाल

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजद के निराशाजनक प्रदर्शन के पश्चात, रोहिणी आचार्य ने न केवल राजनीति से विदा लेने का निर्णय किया, बल्कि अपने परिवार से भी नाता तोड़ लिया। यह घोषणा एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से की गई, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखा कि वह राजनीति और पारिवारिक दायित्वों से अलग हो रही हैं। इस कदम ने बिहार की राजनीतिक सरगर्मी में नया मोड़ ला दिया है।

रोहिणी का परिवार से दूरी बनाना

रोहिणी आचार्य ने अपने परिवार से दूरी बनाने का निर्णय लिया, जो राज्य की राजनीति में एक बड़ा चर्चा का विषय बन गया। जदयू नेता नीरज कुमार ने कहा, “उनके भाई चुप हैं, इसका मतलब है कि घाव गहरा है।” उन्होंने आगे कहा कि जिस बेटी ने लालू जी के प्राण की रक्षा की, आज अगर उसके मन में टीस है, तो यह परिवार और राजनीति दोनों के लिए गंभीर संदेश है।

राजद पर राजनीतिक असर

राजद की करारी हार के पश्चात रोहिणी का यह निर्णय पार्टी के लिए और भी चिंताजनक हो गया है। पार्टी में यह सवाल उठ रहा है कि क्या आगामी विधानसभा चुनावों में यह स्थिति और गहरा संकट उत्पन्न करेगी। इसके अलावा, तेजस्वी यादव और उनके निकट सहयोगियों के बीच असहमति की अटकलें भी जोर पकड़ रही हैं।

संजय यादव और रमीज का प्रभाव

रोहिणी ने अपने पोस्ट में उल्लेख किया कि संजय यादव और रमीज ने उन्हें यह निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया। संजय यादव, जो राजद से राज्यसभा सांसद हैं, तेजस्वी यादव के विश्वसनीय सहयोगी माने जाते हैं। रमीज का संबंध उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिवार से बताया जाता है। इनकी सिफारिश के पश्चात रोहिणी ने यह साहसिक कदम उठाया।

पिछली राजनीतिक पृष्ठभूमि

रोहिणी आचार्य ने पहले अपने पिता को किडनी डोनेट करके समाज में सुर्खियां बटोरी थीं। उन्होंने पिछले साल सारण लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। ऐसी चर्चाएँ भी थीं कि वह तेज प्रताप यादव को पार्टी से अलग करने के फैसले से नाराज थीं, हालांकि विधानसभा चुनावों के दौरान उन्होंने तेजस्वी यादव के लिए प्रचार किया।

बिहार की राजनीति में व्यापक असर

इस कदम से बिहार में राजनीतिक परिदृश्य प्रभावित हुआ है। विपक्ष और समर्थक दोनों ही इस मामले में बयानबाजी कर रहे हैं। जदयू और अन्य राजनीतिक दल इसे राजद के अंदरूनी कलह के रूप में देख रहे हैं। आगामी महीनों में इसका असर चुनावी रणनीति और भविष्य की राजनीतिक गहराई पर पड़ सकता है।

रोहिणी आचार्य का राजनीति और परिवार से अलग होना न केवल व्यक्तिगत निर्णय है, बल्कि यह बिहार की राजनीति के लिए गंभीर संकेत भी है। इससे यह स्पष्ट होता है कि परिवारिक और राजनीतिक विवाद किसी भी राजनीतिक दल के लिए दीर्घकालीन चुनौती बन सकते हैं।

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