राजद-कांग्रेस ने 2025 चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर महागठबंधन में सीटों के बंटवारे और उम्मीदवार चयन को लेकर उथल-पुथल जारी है। राजद, कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों ने बिना किसी आधिकारिक सूची जारी किए अपने उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह आवंटित करना शुरू कर दिया है।
राजद ने मोकामा से सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि सारण जिले के परसा विधानसभा क्षेत्र से करिश्मा राय को उम्मीदवार घोषित किया गया है। करिश्मा राय पूर्व मुख्यमंत्री स्व. दारोगा प्रसाद राय की पौत्री हैं और उनकी एक पौत्री एश्वर्या राय का संबंध तेज प्रताप यादव से रहा है।
महागठबंधन के घटक दलों के बीच अभी तक सीटों का औपचारिक बंटवारा नहीं हुआ है। इस कारण कई सीटों पर एक ही क्षेत्र में दो या तीन दल अपने-अपने उम्मीदवार खड़े कर रहे हैं, जिससे राजनीतिक हलचल बढ़ गई है।
घटक दलों के बीच मतभेद
सहयोगी दलों के बीच मतभेद इस बात को लेकर स्पष्ट रूप से सामने आया है कि कौन सी सीट किसे मिलनी चाहिए। राजद और कांग्रेस के अलावा भाकपा, माकपा और भाकपा माले ने भी पहले चरण के विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह प्रदान किया है।
भाकपा माले ने राजगीर सुरक्षित सीट से विश्वनाथ चौधरी को उम्मीदवार घोषित किया है। वहीं बेगूसराय के बछवाड़ा क्षेत्र में भाकपा के अवधेश राय और कांग्रेस के गरीब दास आमने-सामने हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि सहयोगी दलों के बीच सीटों को लेकर कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।
मोकामा और परसा का चुनावी महत्व
मोकामा विधानसभा क्षेत्र हमेशा से राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील रहा है। यहाँ से उम्मीदवार के चयन का असर महागठबंधन की चुनावी रणनीति पर सीधे पड़ेगा। राजद ने वीणा देवी को उम्मीदवार बनाकर क्षेत्रीय समीकरणों को संतुलित करने की कोशिश की है।
परसा विधानसभा क्षेत्र से करिश्मा राय को उम्मीदवार बनाना भी महागठबंधन की रणनीति का हिस्सा है। यह क्षेत्र राजनीति में सक्रिय परिवारों का केन्द्र रहा है और यहाँ से उम्मीदवार के चयन से गठबंधन की छवि और भी मजबूत हो सकती है।
चुनाव चिन्ह और रणनीति
महागठबंधन के दलों ने बिना आधिकारिक सूची जारी किए चुनाव चिन्ह आवंटित किए हैं। यह कदम राजनीतिक दलों की आपसी सहमति और रणनीति को दर्शाता है। यह भी देखा जा रहा है कि कई सीटों पर दो या तीन उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ खड़े होंगे, जिससे क्षेत्रीय स्तर पर मुकाबला कड़ा होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि पहले चरण के 121 विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवारों की यह घोषणा महागठबंधन की चुनावी तैयारियों को गति देने का संकेत है। इससे दलों के भीतर और बाहर दोनों जगह राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
आगामी चुनाव और अंतिम तिथि
पहले चरण के लिए नामांकन की अंतिम तिथि शुक्रवार को है। इसके बाद ही स्पष्ट होगा कि कौन-कौन से उम्मीदवार पूरी तरह से चुनाव मैदान में हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह चरण महागठबंधन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि पहले चरण में जीत हासिल करने वाले दलों को आगे की रणनीति बनाने में मदद मिलेगी।
इस बीच, मतदाता और क्षेत्रीय जनता भी उम्मीदवारों के चयन और उनके परिवारिक एवं राजनीतिक संबंधों पर गहरी नजर रखे हुए हैं। यह चुनाव न केवल राजनीतिक दलों के लिए, बल्कि बिहार की जनता के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।