सारण में चुनावी परिदृश्य का विश्लेषण
सारण जिले की विधानसभा सीटों का पिछले चुनावों में परिणाम हमेशा राजद के पक्ष में रहा। वर्ष 2015 में राजद ने जिले की आठ में से दस सीटों पर विजय प्राप्त की थी। 2020 में यह संख्या सात रह गई। लेकिन इस बार समीकरण पूरी तरह उलट गए। भाजपा ने छपरा, अमनौर, बनियापुर, तरैया और सोनपुर में जीत दर्ज की, जबकि जदयू ने एकमा और मांझी पर कब्जा जमाया। महागठबंधन केवल मढ़ौरा, परसा और गड़खा सीटों पर संतोष कर सका।
एकमा में जदयू का दबदबा
एकमा विधानसभा क्षेत्र में जदयू प्रत्याशी मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह ने राजद के श्रीकांत सिंह को निर्णायक अंतर से हराया। मतदाताओं ने पुराने विधायक की निष्क्रियता और दूरी के कारण नया नेतृत्व चुना। धूमल सिंह ने अपने अनुभव और संगठनात्मक क्षमता से जीत हासिल की।
मांझी में जदयू का परचम
मांझी विधानसभा क्षेत्र में रणधीर कुमार सिंह ने महागठबंधन को पराजित कर अपनी सीट सुरक्षित की। क्षेत्रीय मतदाताओं ने स्थानीय मुद्दों और विकास कार्यों को देखते हुए नए नेतृत्व को चुना। यह जीत जदयू के लिए क्षेत्रीय पकड़ मजबूत करने वाली साबित हुई।
बनियापुर में भाजपा की महत्वपूर्ण जीत
बनियापुर विधानसभा सीट पर भाजपा के केदारनाथ सिंह ने राजद की चांदनी देवी को हराया। केदारनाथ सिंह का अनुभव और क्षेत्रीय पहचान उनके पक्ष में रही। उनके चुनावी अभियान में स्थानीय विकास कार्यों और जनसंपर्क को प्रमुखता मिली।
तरैया में भाजपा की लगातार दूसरी जीत
तरैया में वर्तमान विधायक जनक सिंह ने लगातार दूसरी बार विजय प्राप्त की। मतदाताओं ने उनके कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों और संगठनात्मक तैयारी को देखते हुए उन्हें समर्थन दिया। यह जीत भाजपा के लिए स्थानीय राजनीति में स्थिरता का संकेत है।
गड़खा में राजद ने अपनी सीट सुरक्षित रखी
गड़खा विधानसभा क्षेत्र में राजद प्रत्याशी सुरेंद्र राम ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की। स्थानीय मुद्दों और उनके अनुभव ने मतदाताओं को प्रभावित किया। यहां का राजनीतिक रुझान व्यक्तिगत कार्यों और स्थिर नेतृत्व पर आधारित रहा।
सारण के चुनावी परिणाम का अर्थ
सारण में इस बार का चुनाव स्पष्ट संदेश देता है कि मतदाता पुराने समीकरणों और परिवारवादी राजनीति से हटकर नए नेतृत्व और विकास कार्यों को महत्व दे रहे हैं। एनडीए की सात सीटों की जीत आगामी राजनीतिक परिदृश्य और गठबंधन रणनीतियों को बदल सकती है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह बदलाव बिहार की राजनीति में नए अध्याय की शुरुआत का संकेत है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सारण जिले का यह परिणाम केवल संख्या का फर्क नहीं है, बल्कि जनता की बदलती प्राथमिकताओं, विकास और नेतृत्व के प्रति विश्वास का स्पष्ट प्रमाण है।