सिवान/29 सितंबर 2025। Siwan Navratri Celebration 2025 में इस बार भी शहरवासियों ने उत्साह और उमंग के साथ भाग लिया। आराध्या चित्रकला और डांस हॉपर गोल्डन पैलेस के तत्वावधान में आयोजित इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में लगभग 2600 से अधिक लड़कियों, महिलाओं और जोड़ों ने हिस्सा लिया। शाम 4 बजे से लेकर रात्रि 10 बजे तक डांडिया और गरबा की थाप ने पूरे क्षेत्र में त्योहार का जश्न बिखेरा।
यह कार्यक्रम इस साल अपने पांचवे सीजन में आयोजित हुआ और पिछले वर्षों से भी अधिक भव्य और आकर्षक रहा। आयोजन स्थल पर हर तरफ जोश और उत्साह देखने को मिला। सिवान की लड़कियों और महिलाओं ने कहा कि ऐसे सांस्कृतिक आयोजनों से शहर की रौनक बढ़ती है और Navratri की सुंदरता में चार चाँद लग जाते हैं।

आयोजन में नेतृत्व और योगदान
कार्यक्रम की सफलता के पीछे आराध्या चित्रकला के संस्थापक और चर्चित चित्रकार रजनीश मौर्य की अहम भूमिका रही। उन्होंने न केवल आयोजन का नेतृत्व किया बल्कि प्रतिभागियों के उत्साह और अनुशासन को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके प्रयासों से यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी यादगार बन गया।
इस मौके पर सिवान के वरिष्ठ पत्रकारों ने आयोजन को सफल बनाने वाले सभी सहयोगियों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस सम्मान समारोह ने आयोजकों और टीम के सदस्यों में गर्व और उत्साह का संचार किया। पत्रकारों ने कहा कि इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम युवाओं और बच्चों को कला और संस्कृति के करीब लाने का महत्वपूर्ण माध्यम हैं।

अन्य आयोजन और भागीदारी
वहीं, दूसरा रंगारंग कार्यक्रम भगवान पैलेस में आयोजित किया गया, जिसे दो संस्थाओं ने मिलकर सफलतापूर्वक आयोजित किया। यहाँ बिजय और वीजित ने आयोजन में अहम भूमिका निभाई और प्रतिभागियों के अनुभव को और भी यादगार बनाया। डांडिया और गरबा की थाप ने उपस्थित सभी महिलाओं और लड़कियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
इस प्रकार सिवान में नवरात्रि के इन सांस्कृतिक आयोजनों ने न केवल शहर की पारंपरिक रौनक बढ़ाई बल्कि युवा पीढ़ी और स्थानीय लोगों को सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने का भी कार्य किया। डांडिया और गरबा की रंगीनियों ने सिवान को त्योहार की भावना से सराबोर कर दिया। यह अनुभव आने वाले वर्षों तक लोगों के स्मरण में रहेगा और शहर के सांस्कृतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखेगा।
सिवान के लोगों ने आयोजकों की मेहनत और समर्पण को सराहा और कहा कि ऐसे कार्यक्रम सांस्कृतिक शिक्षा, सामाजिक एकता और पारंपरिक उत्सव को जीवित रखने का एक बेहतरीन तरीका हैं।