बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर महनार सीट पर सियासी हलचल लगातार बढ़ रही है। NDA में सीटों के बंटवारे के बावजूद महनार को लेकर अभी तक खींचतान और विवाद जारी है। खासकर चिराग पासवान और उनकी पार्टी RLJP ने इस सीट पर अपने बाहुबली नेता रामा सिंह के लिए जोरदार दावेदारी की थी।
हालाँकि, सीट बंटवारे के तय फार्मूले के अनुसार JDU ने महनार को अपने खाते में रखा है। इसी क्रम में आज JDU के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने महनार से अपने नामांकन दाखिल कर राजनीतिक माहौल में अपनी पकड़ मजबूत कर दी।
JDU का दावा: महनार में जीत निश्चित
उमेश कुशवाहा ने नामांकन के बाद स्पष्ट किया कि महनार उनका गृह क्षेत्र है और उनकी जीत इस बार लगभग तय है। उन्होंने कहा, “हम यहां से विधायक नहीं थे तब भी हमने कड़ोरो की योजना का नितीश जी से काम करवाया है।”
जाहिर है, JDU की इस कदम ने चिराग पासवान और उनके RLJP के दावे को एक कदम पीछे धकेल दिया है। महनार सीट अब सियासी नजरिए से और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है, क्योंकि यह क्षेत्र लंबे समय से राजनीतिक संघर्ष का केंद्र रहा है।
महनार: चिराग और JDU के बीच राजनैतिक गठजोड़ की परीक्षा
विशेषज्ञों का मानना है कि महनार NDA के लिए एक संवेदनशील सीट है। चिराग पासवान के दावे और JDU के अधिकारों के बीच संतुलन बनाने के लिए दोनों पक्षों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
सवाल यह उठता है कि क्या महनार के मुद्दे पर सियासी जंग समाप्त होगी या यह गठबंधन और चिराग के राजनीतिक रिश्तों में और अधिक जटिलता पैदा करेगा।
उम्मीदवारों की सक्रियता और चुनावी रणनीति
नामांकन के साथ ही महनार सीट पर चुनावी गतिविधियां तेज हो गई हैं। JDU प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने समर्थकों के बीच बैठक कर चुनावी रणनीति तैयार की है। वहीं, RLJP की ओर से चिराग पासवान के समर्थक भी महनार में सक्रिय हो गए हैं।
राजनीतिक विश्लेषक बता रहे हैं कि महनार सीट पर यह जंग केवल व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का मामला नहीं है, बल्कि NDA के भीतर सीट बंटवारे और गठबंधन के फार्मूले को परखने वाली परीक्षा भी है।
भविष्य की राजनीति पर असर
महनार की स्थिति भविष्य की राजनीति के लिए संकेत देती है। यदि JDU इस सीट पर जीत दर्ज करता है, तो यह उनके प्रदेश में बढ़ते प्रभाव को दर्शाएगा। दूसरी ओर, RLJP की चुनौती गठबंधन में सन्तुलन बनाए रखने की जटिलता को उजागर करेगी।
इस तरह, महनार सीट न केवल एक चुनावी लड़ाई है, बल्कि राजनीतिक गठजोड़ और सत्ता संतुलन का भी महत्वपूर्ण प्रतीक बन चुकी है।