Raghopur Election 2025: मतगणना से पहले सियासी पारा चढ़ा
राघोपुर की राजनीतिक विरासत और गरिमा
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद अब सबकी निगाहें राघोपुर सीट पर टिकी हैं। यह सीट बिहार की राजनीति का केंद्र मानी जाती है, जहां से कभी लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी जैसे दिग्गज नेताओं ने राजनीति की दिशा तय की। इस बार फिर राघोपुर की धरती पर तेजस्वी यादव और सतीश कुमार के बीच पुराना संघर्ष दोहराया जा रहा है।
सतीश कुमार बनाम तेजस्वी यादव – इतिहास दोहराने की चुनौती
राघोपुर सीट पर भाजपा उम्मीदवार सतीश कुमार और महागठबंधन प्रत्याशी तेजस्वी यादव आमने-सामने हैं। सतीश कुमार वही नेता हैं जिन्होंने वर्ष 2010 में जदयू के टिकट पर राबड़ी देवी को हराकर राजनीति में बड़ा उलटफेर किया था। हालांकि 2015 और 2020 में उन्हें तेजस्वी यादव से हार का सामना करना पड़ा। अब 2025 में वे भाजपा के उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं और अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा को वापस पाने की कोशिश में जुटे हैं।

जन सुराज और अन्य दलों की भी मौजूदगी
इस बार राघोपुर में मुकाबला सिर्फ दो दिग्गजों तक सीमित नहीं है। जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार चंचल सिंह और जनशक्ति जनता दल के प्रेम यादव भी मैदान में हैं। स्थानीय स्तर पर इन उम्मीदवारों की सक्रियता ने चुनाव को और अधिक रोचक बना दिया है। हालांकि मुख्य लड़ाई अब भी तेजस्वी और सतीश के बीच मानी जा रही है।
क्षेत्र की भौगोलिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
Raghopur Election 2025: राघोपुर विधानसभा क्षेत्र में राघोपुर प्रखंड के बीस पंचायत और बिदुपुर प्रखंड के चौबीस पंचायत शामिल हैं। यह क्षेत्र गंगा नदी के तटवर्ती इलाकों में बसा है और खेती-किसानी यहां की मुख्य जीविका है। राघोपुर दियारा इलाका होने के कारण यहां बाढ़ का प्रभाव भी राजनीतिक चर्चाओं का अहम मुद्दा रहा है।
इतिहास की बात करें तो यह क्षेत्र स्वतंत्रता संग्राम और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का भी केंद्र रहा है। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में विदुपुर के पास सात युवाओं ने बलिदान दिया था, जबकि 1974 के छात्र आंदोलन में दो छात्रों ने पुलिस की गोली का सामना किया था।
सियासी दांव-पेच और जनता की राय
मतदान समाप्त होते ही अब गांव-गांव में चर्चा का माहौल है। चाय की दुकानों से लेकर चौपालों तक, हर कोई अपने-अपने हिसाब से जीत-हार के समीकरण जोड़ रहा है। तेजस्वी यादव के समर्थक जहां महागठबंधन की लहर का दावा कर रहे हैं, वहीं सतीश कुमार के समर्थक भाजपा की संगठन शक्ति और केंद्र सरकार की नीतियों पर भरोसा जता रहे हैं।
स्थानीय मतदाता विकास और रोजगार के मुद्दों पर भी चर्चा कर रहे हैं। युवाओं में शिक्षा और रोजगार की कमी को लेकर नाराज़गी है, जबकि बुजुर्ग मतदाता स्थायित्व और अनुभव को प्राथमिकता देते दिख रहे हैं।
मतगणना बनेगी निर्णायक क्षण | Raghopur Election 2025
राघोपुर की सीट पर मतगणना 14 नवंबर को होगी, और तब ही तय होगा कि जनता ने किसे अपने प्रतिनिधि के रूप में चुना है। यह सीट सिर्फ एक चुनावी क्षेत्र नहीं बल्कि बिहार की राजनीति की दिशा तय करने वाला संकेतक मानी जाती है। तेजस्वी यादव के लिए यह सीट उनकी साख की लड़ाई है, जबकि सतीश कुमार के लिए यह वापसी का आखिरी मौका भी कहा जा सकता है।